Success Story of Progressive Farmer: असम के चिरांग जिले में रहने वाले प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद ने खेती की पारंपरिक पद्धति को छोड़कर एप्पल बेर (Apple Ber) की हाई डेंसिटी फार्मिंग (उच्च घनत्व खेती) से खुद को एक सफल किसान के रूप में स्थापित किया है. उनकी कहानी देश के लाखों किसानों के प्रेरणादायक है और बताती है कि अगर नई तकनीकों को अपनाया जाए तो सीमित संसाधनों में भी बड़े पैमाने पर सफलता प्राप्त की जा सकती है. आज, अकबर 10 हेक्टेयर जमीन पर एप्पल बेर की खेती (Apple Ber Farming) कर रहे हैं, जिसमें से 4 हेक्टेयर उनकी खुद की है, जबकि बाकी जमीन लीज और साझेदारी में ली हुई है.
अपने "खिदमत एग्रो नर्सरी एवं फार्म" के तहत वे एप्पल बेर (Apple Ber) और ड्रैगन फ्रूट समेत कई फलों की खेती और नर्सरी की तैयारी कर सालाना लगभग 1 करोड़ रुपये का टर्नओवर प्राप्त कर रहे हैं. ऐसे में आइए अकबर अली अहमद की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
खेती में नए तरीके अपनाने की शुरुआत
प्रगतिशील किसान अकबर ने छह साल पहले एप्पल बेर (Apple Ber) की हाई डेंसिटी फार्मिंग यानी उच्च घनत्व रोपण की शुरुआत की. पारंपरिक खेती में जहां पौधों के बीच 15x15 फिट की दूरी होती है, वहीं हाई डेंसिटी फार्मिंग में पौधों की दूरी केवल 7x6 फिट रखी जाती है. इस तरह, एक ही जमीन पर अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है.
इस विधि से अकबर को न केवल अधिक पैदावार मिली, बल्कि खर्च भी कम हुआ. उनका मानना है कि हाई डेंसिटी फार्मिंग के जरिए कम समय और कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जो छोटे और मध्यम किसानों के लिए बेहद लाभदायक है.
हाई डेंसिटी फार्मिंग की खूबियां और फायदे
प्रगतिशील किसान अकबर की हाई डेंसिटी फार्मिंग का एक प्रमुख लाभ यह है कि इसमें पौधों की संख्या अधिक होती है और उनकी देखभाल भी आसान होती है. वह पौधे 3 फिट चौड़े बेड पर लगाए हैं, जिससे पौधों की जड़ों को गहरी और अच्छी मिट्टी मिलती है और वे तेजी से बढ़ते हैं. इस तकनीक से उनके पौधे केवल 5 महीने में फल देने लगते हैं.
फसल की समयावधि और कीमत
अकबर की एप्पल बेर (Apple Ber) की फसल जुलाई और अगस्त महीने में बोई जाती है और जनवरी से मार्च तक फल पककर तैयार हो जाते हैं. इस फसल की कीमत आमतौर पर 40 से 60 रुपये प्रति किलो होती है, जो बाजार की मांग और फसल की गुणवत्ता पर निर्भर करती है. अधिक गुणवत्ता के फल बाजार में अच्छा दाम पर बिकते हैं, जिससे उनको अच्छी आमदनी होती है. इस प्रकार, साल में एक बार होने वाली फसल से अकबर को अच्छी आमदनी होती है, जो उन्हें और प्रेरित करती है.
एक बीघा में 6-7 टन उत्पादन
हाई डेंसिटी फार्मिंग की बदौलत अकबर 1 बीघा जमीन पर लगभग 350 पौधे लगा पाते हैं, जबकि परंपरागत खेती में इतनी ही जमीन में केवल 80-100 पौधे लगाए जा सकते हैं. एप्पल बेर (Apple Ber) का एक पौधा लगभग 30 से 50 किलो फल देता है. इस हिसाब से, एक बीघा जमीन पर लगभग 6 से 7 टन तक एप्पल बेर (Apple Ber) का उत्पादन हो जाता है, जो बहुत ही अच्छा है.
विभिन्न किस्मों की खेती का लाभ
अकबर अपनी फसल में एप्पल बेर (Apple Ber) की कई किस्मों का उत्पादन करते हैं, जैसे कि कश्मीरी एप्पल, भारत सुंदरी और मिस इंडिया. विभिन्न किस्मों की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि एक समय में सारे फल नहीं पकते, जिससे बाजार में फलों की आपूर्ति बनी रहती है और उनकी आय का स्रोत स्थायी रहता है. इसके अलावा, विभिन्न किस्मों से उन्हें ग्राहकों की मांग के अनुसार आपूर्ति करने में भी आसानी होती है. उनके अनुसार, यह विविधता बाजार में उनके फलों को खास पहचान दिलाती है.
मार्केटिंग में कोई समस्या नहीं
अकबर बताते हैं कि उन्हें अपने उत्पाद को बेचने में कोई परेशानी नहीं होती. उन्होंने बंगाल और असम के आसपास के राज्यों में अपनी अच्छी पैठ बना ली है, जिससे उनके फल आसानी से बिक जाते हैं. स्थानीय और राज्य स्तरीय बाजार में उनकी उपज की मांग रहती है, जिससे उन्हें अपने उत्पाद को बेचने में समय और मेहनत की बचत होती है. उनके फल की गुणवत्ता भी ऐसी है कि खरीददार उन्हें बार-बार खरीदते हैं, जिससे उनकी आय निरंतर बढ़ती रहती है.
सिंचाई का आधुनिक तरीका
अकबर ने अपनी खेती में आधुनिक सिंचाई प्रणाली - ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल किया है. यह विधि न केवल पानी की बचत करती है, बल्कि पौधों की जड़ों तक सही मात्रा में पानी पहुंचाती है. इससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और उनकी वृद्धि भी तेजी से होती है. असम में पानी की उपलब्धता का मामला कई बार चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन ड्रिप इरिगेशन प्रणाली से वह इस समस्या को हल कर पाए हैं.
बागों की देखभाल और नियमित सफाई
अकबर का मानना है कि फसल की अच्छी पैदावार के लिए बागों की नियमित देखभाल और सफाई बहुत जरूरी है. उन्होंने अपने बागों में सफाई का विशेष ध्यान रखा है और समय-समय पर अनावश्यक पौधों की कटाई-छंटाई करते रहते हैं, ताकि फसल में बीमारियां न लगे. ग्राफ्टिंग विधि से पौधे लगाए गए हैं, जिससे जल्दी और अधिक फल मिलते हैं. इस प्रकार की देखभाल से पौधों की सेहत बनी रहती है और उत्पादन भी उच्च गुणवत्ता का होता है.
किसानों के लिए प्रेरणा
अकबर की कहानी किसानों के लिए एक उदाहरण है कि खेती में आधुनिक तरीकों और नई तकनीकों का इस्तेमाल किस प्रकार फायदेमंद साबित हो सकता है. उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें एक सफल किसान बना दिया है, और आज वे देश के कई किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं. उन्होंने यह साबित किया है कि कम जमीन पर भी नई तकनीक और सही प्रबंधन से अधिक उत्पादन और मुनाफा कमाया जा सकता है.