Success Story: किसान से कृषि उद्यमी बने राजू सिंह, मधुमक्खी पालन से सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये के पार! खुशखबरी! मूंग और सोयाबीन की खरीद अवधि 4 फरवरी तक बढ़ी, जारी हुए दिशा-निर्देश शीतलहर और पाला से फसलों की ऐसे करें सुरक्षा, वैज्ञानिकों ने जारी की सलाह केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 16 January, 2025 2:48 PM IST
मधुमक्खी पालक राजू सिंह की सफलता की कहानी, फोटो साभार: कृषि जागरण

Success Story of UP Beekeeper Farmer Raju Singh: राजू सिंह, जो कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के हरपुर गांव के रहने वाले हैं, आज मधुमक्खी पालन के व्यवसाय में एक आदर्श बन चुके हैं. उनका ब्रांड "हाई ग्रोथ हनी" अब शहद के उत्पादन और बिक्री में एक नाम बन चुका है. वह एक सफल किसान से लेकर एक बड़े कृषि उद्यमी तक का सफर तय कर चुके हैं, और आज उनके पास एक हजार कालोनी हैं, जिससे उनका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से अधिक है. उनके उत्पाद की बिक्री न केवल देशभर में होती है, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी वह अपनी शहद बेचते हैं. उनका शहद लगभग 500 रुपये प्रति किलो बिकता है, और यह गुणवत्ता के मामले में देश के विभिन्न हिस्सों में लोकप्रिय है.

राजू सिंह ने अपनी मेहनत और सही मार्गदर्शन से न सिर्फ अपने व्यवसाय को सफल बनाया, बल्कि वह अब कई किसानों और युवाओं को इस व्यवसाय में प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं. ऐसे में आइए, आज हम प्रगतिशील मधुमक्खी पालक किसान राजू सिंह की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-

खेती से लेकर मधुमक्खी पालन तक का सफर

प्रगतिशील किसान राजू सिंह की शुरुआत पारंपरिक खेती से हुई थी. वह पहले अपने खेतों में विभिन्न फसलों और सब्जियों की खेती करते थे, लेकिन समय-समय पर फसलों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ता था. ऐसे में वह सोचने पर मजबूर हो गए कि कुछ ऐसा किया जाए, जिसे कम निवेश में किया जा सके और जिसका लाभ स्थिर हो. यही विचार उनके मन में मधुमक्खी पालन के व्यवसाय को लेकर आया.

मधुमक्खी पालक राजू सिंह, फोटो साभार: कृषि जागरण

मधुमक्खी पालन में उन्हें एक स्थिर और लाभकारी व्यवसाय का रास्ता दिखाई दिया. प्रगतिशील किसान राजू सिंह ने इस व्यवसाय में प्रवेश करने के लिए उत्तराखंड के नैनीताल जिले के ज्योलीकोट स्थित राजकीय मौन पालन केंद्र से प्रशिक्षण लिया. यहां उन्हें न केवल थ्योरी सिखाई गई, बल्कि प्रैक्टिकल का भी अवसर मिला, जिससे वह इस व्यवसाय के तकनीकी पहलुओं को समझ सके.

प्रशिक्षण और शुरुआती चुनौतियां

मधुमक्खी पालन शुरू करने के बाद राजू सिंह को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इस व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए उन्हें विशेष देखभाल और ध्यान देना पड़ा, क्योंकि यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें प्रकृति और मौसम का बड़ा प्रभाव होता है. इसके अलावा, शुरुआत में मधुमक्खियों के रखरखाव के बारे में पूरी जानकारी नहीं होने के कारण उन्हें कई बार समस्याओं का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हर कठिनाई का डटकर सामना किया. राजू सिंह का मानना है कि किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले उसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए और सही मार्गदर्शन के बिना सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती.

मधुमक्खी बॉक्स के साथ मधुमक्खी पालक राजू सिंह, फोटो साभार: कृषि जागरण

राजू सिंह ने अपने अनुभव से यह भी सीखा कि केवल प्रशिक्षण ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि प्रैक्टिकल अनुभव भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसलिए, वह अब खुद अन्य किसानों और युवाओं को मधुमक्खी पालन में प्रशिक्षण देने का कार्य करते हैं.

मधुमक्खी पालन के लिए सबसे उपयुक्त स्थान

प्रगतिशील किसान राजू सिंह के मुताबिक, मधुमक्खी पालन के लिए सबसे उपयुक्त स्थान वह होता है जहां का वातावरण मध्यम गर्मी और ठंडा हो. ठंडी के मौसम में मधुमक्खियों को धूप में और गर्मी या बारिश के मौसम में छांव या शेड में रखा जाना चाहिए. इस प्रकार के वातावरण में मधुमक्खियों की उत्पादकता और सेहत दोनों बनी रहती हैं. इसके अलावा, वह यह भी मानते हैं कि मधुमक्खी पालन के लिए ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए जहां कीट, सांप, छिपकली या अन्य उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले न पहुंच सकें, क्योंकि इनसे मधुमक्खियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

खुले मैदान में रखे मधुमक्खी बॉक्स, फोटो साभार: कृषि जागरण

साथ ही, वह यह भी सलाह देते हैं कि मधुमक्खी पालन के स्थान को घनी आबादी और सड़कों से दूर रखें. इसके अलावा, जगह को बिजली की तारों से भी दूर रखना चाहिए.

शहद उत्पादन और इसके लाभ

प्रगतिशील किसान राजू सिंह का कहना है कि मधुमक्खी पालन से शहद का सबसे ज्यादा उत्पादन अक्टूबर से मार्च माह के बीच किया जाता है. इस दौरान एक महीने में 3 से 4 बार शहद निकाला जा सकता है. वह बताते हैं कि मधुमक्खियां अपने भोजन को खुद तलाश लेती हैं, जिससे किसान को कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता. इसके अलावा, मधुमक्खी पालन के आसपास की फसलों की पैदावार भी बढ़ जाती है, जिससे किसानों को दोहरा लाभ मिलता है—एक तरफ शहद मिलता है, दूसरी तरफ उनकी फसलें भी बेहतर होती हैं.

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी करते हुए मधुमक्खी पालक राजू सिंह, फोटो साभार: कृषि जागरण

प्रगतिशील किसान राजू सिंह का मानना है कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय को कम लागत में भी शुरू किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, अगर कोई किसान 10 कालोनी से शुरुआत करता है, तो उसे लगभग 50-60 हजार रुपये की लागत आएगी. इसके अलावा, किसानों को सरकार से अनुदान भी प्राप्त हो सकता है, जो इस व्यवसाय को शुरू करने में सहायक हो सकता है.

व्यवसाय में सफलता के कारक

प्रगतिशील किसान राजू सिंह का मानना है कि सफलता के लिए कुछ विशेष बातें हैं जिन पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है. सबसे पहले, किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले उसकी पूरी जानकारी और प्रशिक्षण हासिल करना चाहिए. दूसरा, गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी है. जब उत्पाद अच्छा होता है, तो ग्राहक खुद-ब-खुद आ जाते हैं. उन्होंने अपने व्यवसाय के लिए कभी भी भारी मार्केटिंग खर्च नहीं किया. उनके उत्पाद की गुणवत्ता ने ही उनका नाम फैलाया और अब वह देशभर में प्रसिद्ध हो चुके हैं.

सफलता की कुंजी: गुणवत्ता और मेहनत

प्रगतिशील किसान राजू सिंह की सफलता की कुंजी उनकी गुणवत्ता और कड़ी मेहनत है. वह कहते हैं, "अगर आप अपने व्यवसाय को सही तरीके से करते हैं और हमेशा गुणवत्ता पर ध्यान देते हैं, तो सफलता निश्चित रूप से आपके कदम चूमेगी." उनका मानना है कि किसी भी व्यवसाय में सफलता पाने के लिए कठिन परिश्रम और समर्पण जरूरी है. उन्होंने हमेशा अपने उत्पाद की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया, और इसका ही परिणाम है कि आज उनका शहद देशभर में पसंद किया जाता है.

प्रगतिशील मधुपालक किसान और कृषि उद्यमी राजू सिंह का इंटरव्यू देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें

English Summary: Success Story of UP Beekeeper farmer Raju Singh annual turnover crossed Rs 1 crore from beekeeping
Published on: 16 January 2025, 03:14 PM IST

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