Success Story of Assam Farmer Asgar Ali: असम के गोलाघाट जिले के प्रगतिशील किसान असगर अली ने कृषि के क्षेत्र में अपनी मेहनत और लगन से मिसाल कायम की है. 24 वर्षों से कृषि से जुड़े असगर अली ने अपनी शुरुआत परंपरागत खेती से की थी, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें यह महसूस हुआ कि इस खेती से अधिक मुनाफा नहीं हो रहा है. इसीलिए उन्होंने कुछ नया करने की ठानी और पांच साल पहले पपीते की खेती (Papaya Farming) को अपनाया.
आज उनकी सालाना आय 60 लाख रुपये से भी अधिक है. यह उनकी सूझबूझ और मेहनत का ही परिणाम है कि वे आज न केवल खुद आत्मनिर्भर हैं, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं. ऐसे में आइए इस प्रगतिशील किसान की सफलता की कहानी (Success Story) के बारे में विस्तार से जानते हैं-
परंपरागत खेती से पपीते की खेती तक का सफर
प्रगतिशील किसान असगर अली ने कृषि जागरण से बातचीत में बताया कि उन्होंने अपने कृषि जीवन की शुरुआत परंपरागत खेती से की थी. वे धान, गेहूं, और सब्जियों की खेती करते थे. हालांकि, इस खेती से उन्हें सीमित लाभ ही होता था. उन्होंने देखा कि पारंपरिक फसलों में लागत अधिक है, लेकिन मुनाफा उतना नहीं हो पाता. इस वजह से उन्होंने आधुनिक खेती के तरीकों की ओर ध्यान दिया.
कई जगह से जानकारी इकट्ठा करने और एग्रीकल्चर एक्सपर्ट से सलाह लेने के बाद उन्होंने पांच साल पहले पपीते की खेती (Papaya Farming) को अपनाया. उनका कहना है कि पपीते की खेती में मेहनत और सही तकनीक का उपयोग करके बेहतर आय प्राप्त की जा सकती है.
पपीते की खेती के लिए विशेष तैयारियां
पपीते की खेती (Papaya Farming) शुरू करने से पहले असगर अली ने अपने खेत की मिट्टी की जांच कराई. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनकी जमीन जलभराव से मुक्त हो, क्योंकि पपीते के पौधे को जलभराव बिल्कुल भी पसंद नहीं होता. उन्होंने बताया कि पपीते की पौध को खेत में लगाने के लिए फरवरी और मार्च का महीना सबसे उपयुक्त है. इस समय लगाने से पौधों की वृद्धि सबसे अच्छी होती है.
उन्होंने बताया कि वह पौध से पौध की दूरी 6 फीट और चौड़ाई 7 फीट रखें हैं. इससे पौधों को पर्याप्त जगह और पोषण मिलता है. पौध को लगाने के बाद हर 3-4 दिन पर हल्की सिंचाई करना जरूरी होता है. उनके अनुसार, पपीते के पौधे को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन समय-समय पर सिंचाई और पोषण का ध्यान रखना जरूरी है.
पपीते की किस्म और उसकी विशेषताएं
प्रगतिशील किसान असगर अली फिलहाल रेड लेडी किस्म के पपीते की खेती (Papaya Farming) कर रहे हैं. इस किस्म की खासियत यह है कि इसके फल बड़े आकार के होते हैं और पकने के बाद उनका अंदरूनी हिस्सा लाल हो जाता है. इस किस्म के पपीते की बाजार में काफी मांग है. रेड लेडी पपीते में पौधे पर फल लगने की प्रक्रिया बहुत जल्दी शुरू होती है. पौध लगाने के लगभग तीन महीने बाद ही फल आना शुरू हो जाते हैं.
पपीते की उपज और आय
असगर अली का कहना है कि पपीते का एक पौधा तीन साल तक अच्छी उपज देता है. इस दौरान पहले साल से ही अच्छी उपज मिलने लगती है. एक पौधे से सालभर में लगभग 1 क्विंटल 20 किलो फल प्राप्त होता है.
वर्तमान में असगर अली 15 बीघा जमीन पर पपीते की खेती (Papaya Farming) कर रहे हैं. प्रति बीघा में 378 पौधे लगाए जाते हैं. उनका कहना है कि प्रति बीघा पपीते की खेती में 40-45 हजार रुपये की लागत आती है, लेकिन इससे प्रति बीघा 4 लाख रुपये तक का मुनाफा होता है. उनकी कुल सालाना आय 60 लाख रुपये से भी अधिक है.
उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
असगर अली खेती में आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करते हैं. वे सॉयल टेस्टिंग के माध्यम से यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है. इसके आधार पर वे जैविक और रासायनिक खाद का संतुलित उपयोग करते हैं.
वे कहते हैं कि पौधों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहिए. पौधों की गुणवत्ता ही उनकी उपज और फलों की गुणवत्ता को निर्धारित करती है. इसके अलावा, वे सिंचाई और पोषण के समय का खास खयाल रखते हैं.
रोग प्रबंधन और पौधों की देखभाल
असगर अली बताते हैं कि पपीते के पौधों में आमतौर पर रोग नहीं लगते, लेकिन कभी-कभी छह महीने के बाद पत्तों में पीलापन आने लगता है. इसके लिए वे फफूंदनाशक का उपयोग करते हैं. वे इस बात का भी खयाल रखते हैं कि पौधों को किसी प्रकार का कीट नुकसान न पहुंचाए.
अतिरिक्त आय के स्रोत
पपीते की खेती (Papaya Farming) के साथ-साथ असगर अली ने अपनी नर्सरी शुरू की है, जिसे उन्होंने "असगर अली नर्सरी फार्म" नाम दिया है. यहां वे पपीते की उच्च गुणवत्ता वाली पौध बेचते हैं. उनकी नर्सरी की मांग न केवल असम में, बल्कि अन्य राज्यों में भी है. इससे उन्हें खेती के अतिरिक्त आय प्राप्त होती है.
भविष्य की योजनाएं
प्रगतिशील किसान असगर अली की योजना है कि वे अपनी खेती का दायरा और बढ़ाएं. वे अन्य फसलों की खेती में भी निवेश करना चाहते हैं. इसके अलावा, वे आधुनिक तकनीकों का और अधिक उपयोग करके अपनी उपज और मुनाफा बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.