Success Story in Fish Farming: बिहार के किशनगंज जिला के रहने वाले प्रगतिशील किसान विकास कुमार झा ने अपनी मेहनत, दृढ़ संकल्प और नई तकनीकों को अपनाने की प्रवृत्ति से खुद को मछली पालन (Fish Farming) के क्षेत्र में एक सफल उद्यमी के रूप में स्थापित किया है. जहां एक समय पारंपरिक खेती करने के कारण उन्हें बहुत कम आमदनी होती थी, वहीं आज वह मछली पालन (Fish Farming) और फिश सीड उत्पादन के साथ-साथ केले की खेती से सालाना लगभग 20 लाख रुपये तक की आमदनी कर रहे हैं, जिससे वह अपने गांव के साथ-साथ जिले भर के किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं.
प्रगतिशील किसान विकास कुमार झा के पास 10 तालाबों में फैला मछली पालन व्यवसाय (Fish Farming Business) है, जो लगभग 10 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है. मछली पालन के साथ-साथ फिश सीड उत्पादन करने के कारण उन्हें इस क्षेत्र में और अधिक सफलता और आर्थिक मजबूती मिली है. ऐसे में आइए इस सफल किसान की कहानी विस्तार से जानते हैं-
आईटी से खेती की ओर: एक साहसिक निर्णय
41 वर्षीय प्रगतिशील किसान विकास कुमार झा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद बीसीए (बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन) की डिग्री हासिल की और कुछ वर्षों तक आईटी सेक्टर में नौकरी की. हालांकि, उन्होंने जल्द ही शहर की नौकरी छोड़कर गांव में अपनी जड़ों यानी कृषि की ओर लौटने का फैसला किया. विकास ने महसूस किया कि खेती के माध्यम से वे अपने परिवार और समाज के लिए कुछ बेहतर कर सकते हैं.
पारंपरिक खेती से मछली पालन (Fish Farming) की शुरुआत
गांव लौटने पर, विकास ने अपने पुश्तैनी 35 बीघा जमीन पर धान और मक्का की खेती करना शुरू किया. लेकिन उन्हें जल्द ही महसूस हुआ कि इन फसलों की खेती से अपेक्षित मुनाफा नहीं हो रहा है. आमदनी बहुत कम थी और इससे परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करना बहुत चुनौतीपूर्ण था. एक दिन, गांव में आयोजित कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के जागरूकता कार्यक्रम में भाग लेकर उनकी सोच में बदलाव आया. इस कार्यक्रम में उन्होंने मछली पालन के फायदों के बारे में जाना और इसमें अपनी रुचि दिखाई. कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने उन्हें मछली पालन के तकनीकी और व्यावसायिक पहलुओं से अवगत कराया, जिसके बाद उन्होंने मछली पालन को व्यावसायिक (Fish Farming Business) रूप से अपनाने का निर्णय लिया.
चुनौतियों का सामना: एक कठिन सफर
शुरुआत में मछली पालन का सफर आसान नहीं था. तालाब निर्माण, मछलियों की प्रजातियों का चयन, और तकनीकी ज्ञान की कमी जैसी कई चुनौतियों ने विकास का रास्ता कठिन बना दिया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से सलाह लिया और उनके मार्गदर्शन में तालाब निर्माण के लिए सही तकनीक का उपयोग किया. तालाब की गहराई, चौड़ाई और पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित की गई, ताकि मछलियों का विकास बेहतर हो सके.
मछली पालन में सफलता (Success in Fish Farming): एक नयी पहचान
आज, विकास के पास 10 तालाब हैं, जो लगभग 10 बीघा जमीन में फैले हुए हैं. इन तालाबों में वह अमूर कार्प, जयंती रोहू, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, मृगल, और कैट फिश जैसी मछलियों की उन्नत प्रजातियों (Species of Fish) का पालन करते हैं. इन मछलियों की देखभाल के लिए वह नियमित रूप से तालाब के पानी की गुणवत्ता की जांच करते हैं और मछलियों को पौष्टिक आहार देते हैं. उन्होंने फीड के रूप में होम मेड फीड, फ्लोटिंग फीड, और डस्ट फीड जैसी तकनीकों को अपनाया है. अगर कभी मछलियों को किसी बीमारी का सामना करना पड़ता है, तो वह तुरंत कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करते हैं, जिससे उन्हें सही इलाज और मार्गदर्शन मिल सके.
विकास का मछली पालन इतना सफल रहा है कि इससे वह सालाना 8 से 10 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. मछलियों की उच्च गुणवत्ता और उचित देखभाल के कारण, उनके तालाबों की मछलियों की बाजार में बड़ी डिमांड है.
फिश सीड उत्पादन (Fish Seed Production): अतिरिक्त आय का स्रोत
मछली पालन (Fish Farming) के अलावा, विकास कुमार झा फिश सीड उत्पादन (Fish Seed Production) भी करते हैं. उन्होंने बताया कि वह साल में दो बार फिश सीड का उत्पादन करते हैं, जिसमें एक बार की लागत लगभग दो लाख रुपये होती है, जबकि इससे 5 लाख रुपये तक का मुनाफा होता है. इस तरह, फिश सीड उत्पादन (Fish Seed Production)से विकास सालाना लगभग 10 लाख रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. फिश सीड का बाजार में बढ़ता हुआ मांग उन्हें इस क्षेत्र में निरंतर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है.
कृषि विज्ञान केंद्र की भूमिका
विकास कुमार झा की सफलता की कहानी (Success Story) में कृषि विज्ञान केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने न केवल मछली पालन और फिश सीड उत्पादन के लिए तकनीकी सहायता प्राप्त की, बल्कि तालाब निर्माण, मछलियों की प्रजातियों का चयन और उनके पोषण के लिए भी विशेषज्ञों का मार्गदर्शन मिला. कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा समय-समय पर आयोजित प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों ने विकास की सफलता में अहम भूमिका निभाई.
सामाजिक और आर्थिक बदलाव
विकास कुमार झा की इस सफलता ने न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, बल्कि उनके गांव और आसपास के क्षेत्र के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है. अब कई किसान उनसे मछली पालन और फिश सीड उत्पादन के बारे में सीखने आते हैं. उनकी सफलता ने साबित किया है कि अगर किसान सही जानकारी, तकनीकी सहायता और मेहनत से काम करें, तो खेती के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं.
इनपुट: डॉ. अलीमुल इस्लाम, विषय वस्तु विशेषज्ञ, (कृषि प्रसार)
कृषि विज्ञान केन्द्र, किशनगंज, बिहार
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर, बिहार
डॉ. पवन सिंह, एसआरएफ, एनआईसीआरए केवीके, किशनगंज, बिहार