भारत में खेती का एक व्यापक क्षेत्र है. जहां पर किसान खेती में अच्छा प्रदर्शन कर मुनाफा कमा रहे हैं. इसके अलावा बहुत से किसान ऐसे भी हैं, जो अपनी पारंपरिक खेती को छोड़कर खेती में नवाचार कर लोगों के लिए एक मिसाल बनकर सामने आ रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम राजस्थान के बांसवाडा जिला के नयागांव के रहने वाले देविलाल मसार की सफल कहानी साझा करने जा रहे हैं, जिन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर सब्जी और फलों की खेती को अपनाया और अब खेती में नया मुकाम हासिल किया है.
देविलाल का जीवमन संघर्षमय
देविलाल एक सीमांत किसान हैं और उनके पास 6 बीघा जमीन है. कुछ साल पहले तक वह धान, मक्का, गेहूँ और चना जैसी पारंपरिक फसलें लगाते थे. हालांकि, इन फसलों से उसके परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त आय भी अर्जित नहीं हो पाती थी, जिससे उनका परिवार और गरीबी के ओर जाने लगा. 2018 तक उनकी परिवार की कुल वार्षिक आय 25,000 रुपए थी, जिसमें परिवार के 7 सदस्यों का गुजारा मुश्किलों के साथ हो रहा था. फिर उनके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया, जब देविलाल वागधारा गठित ग्राम विकास एवं बाल अधिकार समिति के अध्यक्ष बने. उसके बाद वह संस्था द्वारा चलाए प्रशिक्षण में सम्मिलित होते गए और आजिविका को बढ़ाने के लिए नए गुर सीखते गए.
2 बीघा जमीन से की शुरूआत
वागधारा की मानगड वाडी विकास परीयोजना के तहत देविलाल ने 2 बीघा कृषी भूमि पर 20 आम के पेड़ और 20 नींबू और 20 अमरूद के पौधो का रोपण किया गया ताकि किसानों को अपने संसाधनों और आय के अनुकूलन करने में मदद मिल सके और खुद को भी गरीबी से बाहर निकाल सकें.
दिशा में परिवर्तन
2018-19 में, पद्धतिगत कृषि पद्धतियों पर कुछ प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेने के बाद, उन्होंने आत्मविश्वास हासिल किया और वाडी में इंटरक्रॉप्स के रूप में सब्जियों की खेती करने का फैसला किया. उन्होंने वाडी के खुले क्षेत्र के 1 बीघा जमीन में टमाटर और बैंगन के साथ शुरुआत की. अब देविलाला 2 सीजन की फसल से 50 हजार रुपए से अधिक की आय अर्जित कर रहे हैं.
सब्जी की खेती में लगातार वृद्धि और सफलता के साथ, देविलाल का कृषि के प्रति दृष्टिकोण बदल गया. उन्होंने इसे बढ़ाने में अधिक समय और प्रयास किया. प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त जानकारी को अपनी खेती में उपयोग में लाए. देविलाल ने प्रोग्राम टीम के समर्थन से 0.5 बीघा भूमि में ड्रिप सिंचाई स्थापित की और मल्चिंग तकनीक को अपनाया. उन्होंने खरीफ और रबी दोनों मौसमों में टमाटर, मिर्च, बैंगन, गोभी और तरबूज जैसे मौसमी सब्जियों और फलों की खेती करनी शुरू कर दी.
अब हो रही अच्छी कमाई
देविलाल ने अपनी जमीन से प्राप्त सब्जियों और फलों की उपज को दुकान लगाकर बेचना शुरू किया और 2 सीजन से 86,546 रुपये कमाए. अब वह आसपास के लोगों के लिए स्थिरता की एक मिसाल बन रहे हैं. इसके साथ ही आवारा पशुओं से अपनी फसल को बचाने के लिए अपने खेतों में कंटीले तार का बाड़ा भी लगवाया है.
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नाबार्ड एवं वागधारा के मानगड वाड़ी विकास परियोजना, देविलाल और साथ में बासवाडा जिले के 500 किसानों के आजिविका बढ़ाने के लिए बहुत ही अच्छा काम कर रही है. इससे उन्हें अपनी फसल और आय के स्रोतों में विविधता लाने में मदद मिल रही है. देविलाल की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में बदलाव हुआ और कहीं ना कहीं इस पहल से उन्होंने गरीबी को पीछे धकेला. इसके अलावा देविलाल अपनी अर्जित आय से अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहे हैं.
रिपोर्ट-
विकास मेश्राम, कार्यक्रम अधिकारी, वाग्धारा