Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम महिंद्रा ट्रैक्टर्स ने '40 लाख हैप्पी कस्टमर्स' का माइलस्टोन किया हासिल, किसानों को आगे बढ़ाने में सक्षम IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 21 February, 2019 1:01 PM IST

हम बात कर रहे हैं जिनाभाई की, जो आज एक सफल किसान हैं.  इनका कहना है कि “चुनौतियों के बिना जीवन नहीं है और चुनौतियों के बिना कोई मज़ा नहीं है. जहां लोग रुकते हैं,  मैं वहीं से शुरू करता हूं. मुझे कभी नहीं लगा कि ऐसा कुछ है जो मैं नहीं कर सकता. मेरे शब्दकोष में असंभव नाम का कोई शब्द नहीं है".

वे गुजरात में बनासकटा जिले के अनार कृषक हैं. जिनाभाई जन्म से ही दोनों पैरों से पोलियो ग्रस्त थे. उन्हें 2017 में सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

'अनार दादा' के नाम से मशहूर जिनाभाई ने गंभीर रूप से प्रभावित बनासकांठा जिले को अनारों की खेती में बदल दिया और इसे देश का प्रमुख अनार उत्पादक क्षेत्र बना दिया . एक किसान परिवार में जन्मे जिनाभाई 17 साल की उम्र से हर प्रकार कि कृषि गतिविधियों में शामिल थे. वे कुछ ऐसा विकसित करना चाहते थे. जिसमें सुधार की गुंजाश न बचे.

एक विकल्प की तलाश में, उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय और राज्य सरकार के कृषि महोत्सव (2003-04) का दौरा किया. उन्होंने अनार की खेती और वहां ड्रिप सिंचाई के बारे में ज्ञान प्राप्त किया.

उन्होंने अनार से अपना भाग्य बनाने की कोशिश की. महाराष्ट्र से 18000 किस्म के पौधे लाए और उन्हें अपनी 5 एकड़ भूमि में लगाया. जिसमें उनके भाइयों और भतीजों का समर्थन भी उन्हें प्राप्त हुआ. लेकिन शुरुआती समय में बाजार के ज्ञान की कमी के कारण उन्हें सही कीमत नहीं मिल सकी. जिससे जिले के किसानों ने उनका मजाक उड़ाया.

लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और निरंतर प्रयासों के साथ उपज और लाभ दोनों बढ़ाए. जिससे और भी किसान प्रोत्साहित हुए. कुछ ही वर्षों में कुछ पड़ोसी गांवों के साथ पूरे गांव ने अनार उगाना शुरू कर दिया. लगभग 70 हज़ार किसानों ने अब तक उनके खेत का दौरा किया है और उनसे प्रेरित होकर अनार की खेती शुरू कर दी है.

अब अनार उनके पूरे जिले में उगाया जा रहा है. जिसमें उत्पाद खरीदने के लिए हर साल दिसंबर-जनवरी के दौरान कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र के व्यापारी आते हैं. उन्होंने खुद अनार के लगभग 5500 पेड़ लगाए हैं. जैविक उर्वरकों के रूप में, वह हर महीने प्रत्येक पेड़ पर पंचामृत (गोमूत्र + गोबर + गुड़ + दाल का आटा) और वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करते है.

वह लाल, चमकदार, बड़े और अच्छी गुणवत्ता वाले फल उगाते है. पक्षियों से फलों को बचाने के लिए बर्ड नेट का उपयोग किया जाता है. उन्होंने कहा कि वर्ष में एक बार फसल लेना पर्याप्त है. इससे गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलती है और प्रीमियम मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलती है. उन्हें कई बार राज्य और केंद्र सरकार ने सम्मानित किया है. 'अनार दादा' का सुझाव है कि किसानों को पारंपरिक खेती के तरीकों से परे सोचना चाहिए और बाधाओं को तोड़ते हुए नए अवसरों का पता लगाना चाहिए.

English Summary: succes story of pomegranate farmer
Published on: 21 February 2019, 01:04 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now