Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 10 September, 2019 9:25 AM IST

हिमाचल प्रदेश के शिमला में रहने वाली एक महिला अधिकारी की सोच कुपोषण से जंग लड़ रही है. गमले से निकली हुई पोषण की शाख न केवल उसके वजूद को मजबूत बनाने का कार्य करती है बल्कि कुपोषण भी अब उनके सामने हार मानने लगा है. इसका गवाह शिमला का शहरी क्षेत्र है जिसको कुपोषण मुक्त बनाने के लिए एसडीएम शहरी नीरजा चांदला ने बेहद ही नया तरीका ईजाद कर लिया है. उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों में गमले लगाकर कुपोषण का इलाज ढूंढ निकाला है. बता दें कि चांदला के इन सभी प्रयासों के चलते ही शहर और इसके आसपास के इलाकों में चल रहे 10 अंगनबाड़ी केंद्रों में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या नाममात्र ही रह गई है. पहले यह संख्या 10 थी. इनकी नई शुरूआत से आंगनबाड़ी केंद्रों में ही किचन गार्डन को विकसित किया गया है. इससे केंद्रों की सुंदरता के साथ ही बच्चों के चेहरे पर रंगत दिखाई देने लगी है. कृषि विभाग के सहयोग के चलते आंगनबाड़ी केंद्रों में गमले उपलब्ध करवाए गए है और इन केंद्रों पर भिंडी, पालक, सहित अन्य तरह की पौष्टिक सब्जियां उगाकर आंगनबाड़ी केंद्रों में सब्जियों को परोसा जा रहा है.

सिर्फ तीन बच्चे है कुपोषित

आगनबाड़ी केंद्रों में पोषक भोजन और गर्भवती महिलाओं में जागरूकता के बाद अब केवल तीन बच्चे ही शिमला शहरी क्षेत्र में कुपोषण से ग्रस्त है. यह बच्चे भी किन्हीं कारणों से जन्म से पूर्व गर्भवती महिलाओं में रही कमियों के कारण कुपोषण का शिकार हुए है. अब इनकी देखरेख और पोषक भोजन और जागरूकता के बाद इनमें भी समय के साथ सुधार आने की उम्मीद है.

सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में लागू होगी योजना

नीरजा चांदला द्वारा शहरी क्षेत्र में कुपोषण मुक्त बनाने के लिए तैयार की गई योजना को सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में लागू किया जाएगा. महिला एवं बाल विभाग के सहयोग से गमले उपलब्ध करवाने के लिए आवेदन किया है. स्वीकृति के मिलते ही योजना आंगनबाड़ी केंद्रों में लागू की जाएगी और साथ ही आगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए पौष्टिक आहार को तैयार किया जाएगा ताकि कुपोषण को भगाया जा सके.

English Summary: SDM is removing the problem of malnutrition by planting vegetables in Anganwadi centers
Published on: 10 September 2019, 09:28 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now