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Updated on: 12 March, 2018 12:00 AM IST
Success Story

किसान कभी भी खली रहना पसंद नहीं करता है. वो हमेशा कुछ न कुछ न कुछ नया करने की तैयारी में रहता है. क्योंकि एक किसान के मन में हमेशा कुछ नया सिखने की ललक रहती है. ऐसी ही कुछ नया करने की चाह रखने वाले किसान मिश्रीलाल ने एक कुछ ऐसा नया किया की आज सब उनकी तारीफ कर रहे हैं. उन्होंने  वनस्पति के साथ कुछ ऐसे ही उपलब्धि हासिल की है

मिश्रीलाल मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं. कहां से, यहीं से, अपने ही खेत-बगीचों, जंगलों से. मिश्रीलाल के इस कारनामे से वैज्ञानिक जगत भी उनकी तारीफ कर रहा है. अभी तक आपने सिर्फ आम के पौधों में ग्राफ्टिंग यानी कलम बाँधने की विधि के विषय में सुना है. लेकिन मिश्रीलाल ने ग्राफ्टिंग के जरिए जंगली पौधों पर कई तरीके की सब्जियां उगा दी. कलम बांधना (ग्राफ्टिंग) उद्यानिकी की एक तकनीक है, जिसमें एक पौधे के ऊतक दूसरे पौधे के ऊतकों में प्रविष्ट कराए जाते हैं, जिससे दोनों के वाहिका ऊतक आपस में मिल जाते हैं.

इस प्रकार इस विधि से अलैंगिक प्रजनन द्वारा नई नस्ल का पौधा पैदा कर दिया जाता है. ग्राफ्टिंग तकनीकि का सर्दियों के दिनों में ज्यादा असरदार होती है. कभी ऐसा ही कर गुजरते हुए न्यूयॉर्क (अमेरिका) की सेराक्यूज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वॉन के करतब पर दुनियाभर के वनस्पति विज्ञानियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था. उन्होंने भी ग्राफ्टिंग के वनस्पति पर अनुसन्धान किया था.  वॉन ने एक पेड़ पर चालीस अलग-अलग प्रकार के फल पैदा कर दिए, जो किसी चमत्कार से कम न था. तो वॉन ने आखिर किया क्या था, जिससे एक ही वृक्ष की शाखाओं पर चेरी भी, बेर भी और खुबानी जैसे पौधों को एक ही पेड़ पर लगा दिया था.

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि ग्राफ्टिंग तकनीक में मदर प्लांट जंगली और तने में सब्जी के पौधे की ग्राफ्टिंग कर एक ही तने से कई तरह की सब्जियां प्राप्त की जा सकती हैं. जंगली नस्ल की होने से इनकी प्रतिरोधक क्षमता खेत की सामान्य सब्जियों से कई गुना अधिक होती है.

ग्राफ्टिंग तकनीक के माध्यम से भारत में पहले से ही पौधों एवं वनस्पतियों पर अनुसन्धान होता आया है और यह सफल  भी  रहा है. इस क्षेत्र में मिश्रीलाल का कारनामा ही बिलकुल अलग है. मिश्री भोपाल  के खजूरीकला इलाके में रहते हैं. ग्रॉफ्टिंग तकनीक की उन्हें थोड़ी-बहुत जानकारी थी. उन्होंने एक दिन सोचा कि क्यों न जंगल की बेकार मानी जाने वाली वनस्पतियों को जैविक तरीके से सब्जियां देने वाली खेती में तब्दील करने के लिए कुछ किया जाए. वैसे भी जंगली पेड़-पौधे लोगों के लिए आमतौर से अनुपयोगी रहते हैं और उनकी सेहत पर मौसम का भी कोई खास असर नहीं होता है, जैसाकि आम फसलों पर प्रकृति का प्रकोप होता रहता है.

इसके लिए उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से बातचीत के अंदाज में साझा किया ताकि विस्तार से बाकी बातें सीखी जा सकें. मामूली प्रशिक्षण लेने के बाद मिश्रीलाल ने एक दिन एक जंगली पेड़ के तने पर ग्रॉफ्टिंग से टमाटर का तना काटकर रोप दिया. फिर बैगन और मिर्च के तने अन्य जंगली पेड़ों के तनों से साध-बांध डाले. एक-दूसरे के आसपास ही एक ट्रे में जंगली पौधा, दूसरे में टमाटर, मिर्च, बैगन. जब जंगली पौधे लगभग पांच-छह इंच के हो जाते, और टमाटर, मिर्च बैगन के पौधे पंद्रह-सोलह दिन के, उनके साथ मिश्रीलाल एक-दूसरे में ग्राफ्टिंग करने में जुट जाते. इसके बाद वह ग्रॉफ्ट पौधों को लगभग दो सप्ताह तक छाया में रख देते. फिर उन्हें अन्य जहां चाहें, रोप डालते.

उन्होंने देखा कि रोपे गए ऐसे प्रति सैकड़ा पौधों में पचपन-साठ ऐसे निकल आए, जिनके एक एक पेड़ तीन-तीन तरह की सब्जियां देने लगे. इनमें बैगन और मिर्च का प्रयोग सर्वाधिक सफल रहा. कृषि वैज्ञानिकों ने जब मिश्रीलाल के करतब का अवलोकन किया तो वह भी खुशी से झूम उठे. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि ग्राफ्टिंग तकनीक में मदर प्लांट जंगली और तने में सब्जी के पौधे की ग्राफ्टिंग कर एक ही तने से कई तरह की सब्जियां प्राप्त की जा सकती हैं. जंगली नस्ल की होने से इनकी प्रतिरोधक क्षमता खेत की सामान्य सब्जियों से कई गुना अधिक होती है. साथ ही, जैविक विधि से उगने के कारण उनसे ज्यादा स्वादिष्ट भी होती हैं.  आजकल मिश्रीलाल बैगन, टमाटर और मिर्च की एक साथ जैविक सब्जियों की खेती कर इनसे मन माफिक कमाई भी कर रहे हैं. इससे पहले वह जंगल में मूसली के बीज छिड़क कर भूल जाते कि कहीं कुछ बोया है,  जिसे काटना भी है. फसल तैयार हो जाती, मूसली तैयार, जिसकी बाजार में भारी मांग हैं. इसने ही उन्हें प्रयोगवादी प्रगतिशील किसान बना दिया. जिस तरीके से मिश्रीलाल ने ज्यादा जानकारी और एक वैज्ञानिक न होते हुए कृषि के क्षेत्र में एक उपलब्धि हासिल की है वह सराहनीय है.

English Summary: Safal Kisan Mishri Lal
Published on: 12 March 2018, 05:50 AM IST

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