सफल किसान: सविता रानी पंजाब के संगरूर जिले के बखतरा गाँव की एक उद्यमी किसान महिला हैं, जिन्होंने घर के कामों के साथ-साथ मशरूम की खेती शुरु की और आज वह अपने लोगों के लिए एक मिसाल कायम कर दी हैं. वह अपने पति के साथ 2 एकड़ जमीन पर गेहूं और सब्जी की खेती कर अपने परिवार की जरूरतें पूरी कर रही थीं. कम जमीन और सिंचाई के लिए पानी की कम सुविधा के कारण, उनका परिवार कृषि आय पर मुश्किल से गुजर-बसर कर रहा था. लेकिन उनकी इच्छा कृषि से अपनी आय बढ़ाने की थी, इसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपने परिवार की मदद से मशरूम की खेती करने का फैसला लिया.
सविता का पैतृक परिवार हरियाणा से ताल्लुक रखता था, जहां के किसान मशरूम की खेती करते थे. उन्होंने घर बैठे ही इंटरनेट से मशरूम की खेती के तरीकों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी. इस तरह की पृथक खेती शुरू करने से पहले उन्होंने तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक समझा. इसी उद्देश्य से 2018 में वह कृषि विज्ञान केंद्र, संगरूर के संपर्क में आईं. कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी विशेषज्ञों ने उन्हें वैज्ञानिक तरीके से बटन मशरूम उगाने की सलाह दी.
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इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान उन्होंने मशरूम की खेती, कम्पोस्ट तैयार करने और पैकेजिंग की बारीकियों को अच्छी तरह से समझा. उसी साल ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने अपने घर के दो खाली कमरों में मशरूम उगाने का काम किया. इन कमरों में थोड़ी सी जगह से ज्यादा कमाई के लिए मशरूम उगाने के लिए शेल्फ सिस्टम बनाया. जब उन्होंने अपने गांव में मशरूम उगाना शुरू किया.
सविता के मशरूम उगाने के काम में उनके पति सुखविंदर सिंह और बेटे ने भरपूर सहयोग दिया. उसी साल उन्होंने 650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 16 क्विंटल छोटी खाद खरीदी और खेती शुरू की. मशरूम की खेती के दौरान आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए वह समय-समय पर कृषि विज्ञान केंद्र, संगरूर के साथ समन्वय करती रहीं. उस सीजन में उन्हें लगभग 5-10 क्विंटल मशरूम की उपज प्राप्त हुई, जिसे उन्होंने 90 रुपये प्रति किलोग्राम की औसत दर से बेचा और शुद्ध आय के रूप में 20,000 रुपये की कमाई की. इस मशरूम की सफल खेती से सविता ग्रामीणों के लिए एक रोल मॉडल बन गई.
पहले साल में ही काम में सफल होने पर उन्होंने अगले साल मशरूम की खेती के लिए बांस और पुआल की मदद से कच्चा शेड तैयार किया और साथ ही खाद खरीदने के खर्च से बचने के लिए खुद खाद तैयार करने का भी मन बनाया. इसके लिए उन्होंने अपने परिवार के सहयोग से करीब 20 क्विंटल पराली से करीब 37 क्विंटल खाद तैयार की. खेती के अलावा, सविता रानी के पास दो गायें भी हैं, जिनसे वह रोजाना 5 लीटर दूध बेचकर लगभग 7000 रुपये प्रति माह कमा रही हैं.