Umashankar Pandey Padma Shri: गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर हर साल अपने क्षेत्र में किए गए बेहतरीन कार्यों के लिए लोगों को पुस्कार से सम्मानित किया जाता है, इसी कड़ी में इस वर्ष के गणतंत्र दिवस (Republic Day 2023) के अवसर पर पद्म पुरस्कार के लिए कई सज्जनों की नाम की घोषणा की गई है, जिनमें से एक हैं उमाशंकर पांडे, जिन्हें जल संरक्षण और सामाजिक कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई है.
जल संरक्षण पूरे विश्व की बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है. जल संरक्षण के लिए समय-समय पर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाते हैं. मगर जलवायु परिवर्तन के कारण अधिकतर कार्य विफल हो जाते हैं. पानी की समस्या का सबसे अधिक प्रभाव किसानों को झेलना पड़ता है. फसलों के लिए अच्छे विकास के लिए जल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मगर क्या हम वर्तमान में किसानों की समस्या के कुछ स्थायी समाधान को लेकर कार्य कर रहे हैं? इसी समस्या के निपटान के लिए किसान उमाशंकर ने एक अहम कदम उठाया. बता दें कि उमाशंकर पांडे उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड के जखनी गांव के रहने वाले हैं. वह बीते 30 सालों से सामाजिक कार्य और खेतों में मेढ़ बनाकर जल को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं. जिसका फायदा गांव के कई किसानों को मिल रहा है. जहां पहले गर्मियों में किसानों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता था वहीं अब मई-जून की भीषण गर्मी के बीच किसानों को पानी समस्या नहीं हो रही है.
गांव में पानी की थी किल्लत
बता दें कि बांदा जिले से तकरीबन 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जखनी गांव कभी पानी की किल्लत से जूझ रहा था. लेकिन अब उमाशंकर पांडे की पहल से क्षेत्र में कहीं भी पानी की समस्या नहीं रही. गांव में जलभागीदारी और सामुदायिक पहल की एक अहम भूमिका को पूरा करने का काम किसान उमाशंकर पांडे ने किया. पानी को बचाने के लिए उन्होंने अपने खेतों में मेढ़बंदी का कार्य शुरू किया, जिससे सालों तक पानी को संरक्षित करके रखा जा सके. खास बात यह कि उन्होंने मेढ़ पर पेड़ लगाने शुरू किए, क्योंकि पेड़ों की जड़ मिट्टी को जकड़कर रखती है और पानी संकलन आसानी से होने लगता है. इस प्रक्रिया से उन्होंने ना सिर्फ पानी को बचाने का कार्य किया, बल्कि पेड़ लगाने से पर्यावरण को भी संरक्षित किया.
क्या है पद्म पुरस्कार
प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की जाती है. पद्म पुरस्कार देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक, तीन श्रेणियों में प्रदान किए जाते हैं, जिसमें पद्म विभूषण (Padma Vibushan), पद्म भूषण (padma Bhusan) और पद्म श्री (padma Shree) शामिल हैं. यह पद्म पुरस्कार कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, सिविल सेवा, आदि में दिए जाते हैं. बता दें कि 'पद्म विभूषण' असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है. उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा के लिए 'पद्म भूषण'. किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए 'पद्म श्री’ से सम्मानित किया जाता है. किसान उमाशंकर को भी कृषि में विशिष्ट सेवा के लिए 'पद्म श्री’ दिया गया.
धान उगाने लगा बुंदेलखंड
धान की फसल के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक किलो चावल के उत्पादन के लिए 2500 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. तो जैसा कि गांव में पानी की बहुत किल्लत थी, चावल का उत्पादन बिना पानी के ना के बराबर था, मगर उमाशंकर पांडेय का खेत पर मेढ़ और मेढ पर पेड़ वाला नुस्खा काम करने लगा, इसके बाद जल संरक्षण के चलते भूजल स्तर भी सुधरने लगा. उमाशंकर ने पलायन कर रहे युवाओं और किसानों को अपने साथ इस मुहिम का हिस्सा बनाया. बुंदेलखंड की सूखी धरती पर फिर धान का उत्पादन अच्छे से होने लगा. बता दें कि गांव में पहली बार 2007 से 2008 के बीच धान की फसल लगाई गई, जिसमें किसानों को 300 क्विंटल गेहूं तथा 500 क्विंटल धान की पैदावार प्राप्त हुई. सफल परिणाम के फलस्वरूप पलायन में कमी देखी गई और जो लोग अपने खेत बंजर छोड़ शहरों की ओर चले गए थे, वह भी वापस गांव में आकर खेती शुरू करने लगे.
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उमाशंकर को पहले भी मिल चुके हैं कई पुस्कार
पद्म श्री पुरस्कार की घोषणा होने के बाद मीडिया से बातचीत में बुंदेलखंड के किसान उमाशंकर पांडे ने कहा कि ‘हमेशा अंधेरे को कोसने के बजाय मैंने मिट्टी का एक दीया बनाकर जलाना मुनासिब समझा. मेरे जैसा एक साधारण किसान बस इतना ही कर सकता था.’ उमा शंकर ने अपने दृढ़ संकल्प और निष्ठा के जरिए जिस प्रकार से अपने गांव जखनी की तस्वीर बदली है वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है. उन्होंने अपनी इस पहल के जरिए न सिर्फ अपने गांव के एक बेहतरीन कार्य किया, बल्कि वह अब पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनकर सामने आ रहे हैं. उमाशंकर की इस पहल के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. उमाशंकर के इस जज्बे को कृषि जागरण भी सलाम करता है.