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Updated on: 24 October, 2024 5:14 PM IST
प्रगतिशील किसान रामचंद्र दुबे

Mushroom ki Kheti: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी प्रगतिशील किसान रामचंद्र दुबे ने कृषि क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. वे पिछले आठ वर्षों से मशरूम की खेती (Mushroom Farming) सफलता पूर्वक कर रहे हैं और अपनी मेहनत और समर्पण से एक मिसाल कायम की है. रामचंद्र दुबे की इस यात्रा की शुरुआत 2017 में हुई, जब उन्होंने बक्शा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से मशरूम की खेती (Mushroom Farming) का पांच दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त किया.

इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज वे मशरूम की खेती (Mushroom Farming) में एक सफल किसान हैं. उनके अनुभव और ज्ञान ने न केवल उन्हें मुनाफा दिलाया है, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है.

मशरूम की खेती: एक लाभकारी व्यवसाय

कृषि जागरण से बातचीत में प्रगतिशील किसान रामचंद्र दुबे ने बताया कि मशरूम की खेती (Mushroom Farming) एक अत्यधिक लाभकारी खेती है. खासतौर पर इसके साथ सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी खेती कम लागत में की जा सकती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है. इस खेती का सबसे खास पहलू यह है कि इसे घर के अंदर किया जा सकता है, जिससे मौसम की मार से फसल को कोई नुकसान नहीं होता.

यह खासतौर पर उन किसानों के लिए फायदेमंद है जो बाहरी मौसम के कारण अक्सर फसल खराब होने की चिंता करते हैं. मशरूम की खेती महिलाओं के लिए भी एक बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि इसे घर के अंदर ही किया जा सकता है.

रामचंद्र दुबे बताते हैं कि मशरूम की खेती (Mushroom Farming) से रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होते हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां रोजगार के साधन सीमित होते हैं, वहां मशरूम की खेती (Mushroom Farming) एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत बन सकती है.

पराली का समाधान और पौष्टिक गुण

मशरूम की खेती (Mushroom Farming) का एक और बड़ा फायदा यह है कि इसके माध्यम से पराली का भी समाधान किया जा सकता है. पराली, जो किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, को मशरूम की खेती में उपयोग करके इसका सही उपयोग किया जा सकता है.

इसके अलावा, मशरूम पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है और इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होता है. इसमें प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है, जिससे इसका सेवन करने से शरीर को कई प्रकार के पोषक तत्व प्राप्त होते हैं.

बटन और ऑयस्टर मशरूम की खेती: लागत और मुनाफा

रामचंद्र दुबे ने ऑयस्टर और बटन मशरूम दोनों की खेती में सफलता प्राप्त की है. उनके अनुसार, बटन मशरूम की खेती (Button Mushroom Cultivation) के लिए कम्पोस्ट तैयार करने में लगभग 28 दिन लगते हैं, जबकि ऑयस्टर मशरूम के लिए कम्पोस्ट मात्र 2 से 3 दिनों में तैयार हो जाता है. ऑयस्टर मशरूम की खेती कम लागत में की जा सकती है, जबकि बटन मशरूम की खेती में थोड़ा अधिक समय और लागत लगती है.

बटन मशरूम की खेती किसान कम लागत में साल में केवल दो बार कर पाते हैं, जबकि ऑयस्टर मशरूम की खेती (Cultivation of Oyster Mushroom) किसान कम लागत में एक साल में 8 बार कर सकते हैं. हालांकि, बटन मशरूम की मांग बाजार में अधिक होती है और इसकी कीमत भी ज्यादा मिलती है.

रामचंद्र दुबे बताते हैं कि ऑयस्टर मशरूम की फसल ढाई महीने में तैयार हो जाती है, जबकि बटन मशरूम को तैयार होने में चार महीने का समय लगता है. अगर एक किसान 10x10 के कमरे में मशरूम की खेती करता है, तो उसकी कुल लागत लगभग 5 हजार रुपये होती है. इस लागत पर किसान को 100 प्रतिशत रिटर्न यानी 5 हजार रुपये का मुनाफा होता है.

मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता

रामचंद्र दुबे के अनुसार, मशरूम की खेती करने के लिए किसानों को सही प्रशिक्षण लेना आवश्यक होता है. बिना उचित प्रशिक्षण के इस खेती में सफल होना मुश्किल है. इसके लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र का दौरा कर सकते हैं और वहां से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं. कृषि विज्ञान केंद्रों में विशेषज्ञ किसानों को खेती की तकनीक और उससे जुड़ी जानकारी देते हैं, जिससे वे इस खेती को बेहतर तरीके से कर सकते हैं.

बाजार में मशरूम की कीमत

मशरूम की कीमत बाजार में किस्म और गुणवत्ता के आधार पर भिन्न होती है. बटन मशरूम की कीमत 200 रुपये से 500 रुपये प्रति किलो तक होती है, जबकि ऑयस्टर मशरूम 100 रुपये से 200 रुपये प्रति किलो के बीच बिकता है.

रामचंद्र दुबे बटन मशरूम की खेती के लिए एक विशेष सिस्टम का उपयोग करते हैं, जिसमें वे लगभग 2000 बोगियों में मशरूम की खेती करते हैं. इसके अलावा, वे अन्य किसानों के साथ मिलकर ऑयस्टर मशरूम की खेती भी करते हैं. सालाना वे 20 से 25 क्विंटल बटन मशरूम का उत्पादन करते हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है.

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा

प्रगतिशील किसान रामचंद्र दुबे की सफलता की कहानी न केवल उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम है, बल्कि यह अन्य किसानों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत है. वे नियमित रूप से अन्य किसानों को भी मशरूम की खेती का प्रशिक्षण देते हैं और उन्हें इस खेती के लाभों से अवगत कराते हैं. उनके अनुसार, अगर किसान सही जानकारी और प्रशिक्षण के साथ मशरूम की खेती करते हैं, तो वे कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

किसानों के लिए संदेश

रामचंद्र दुबे का संदेश है कि किसानों को परंपरागत खेती के अलावा आधुनिक और कम लागत वाली खेती जैसे मशरूम की खेती की ओर भी ध्यान देना चाहिए. इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि वे आत्मनिर्भर बनकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेंगे.

English Summary: Mushroom ki Kheti farmer became a millionaire by cultivating mushrooms read his success story
Published on: 24 October 2024, 05:27 PM IST

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