बीए और एमबीए करने के बाद अच्छी खास नौकरी और सालाना 10 लाख रूपये से अधिक का पैकेज, बड़े महानगरों की सैर, एक से बढ़कर एक टूर, अच्छे काम पर काफी बड़े पुरस्कार, लेकिन एक सोच और दृढ़ संकल्प ने सबकुछ फीका कर दिया है. यह पूरी कहानी है सुबीर चतुर्वेदी की. जो कि अब व्यापार के साथ ही कृषि के क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं. आज वह इसके सहारे लाखों रूपए भी कमा रहे हैं. सुबीर चतुर्वेदी खेत में उद्यानिकी विभाग के सहयोग से पॉली हाउस तैयार करवाकर ड्रिप एरिगेशन पद्धति से उन्होने इटालियन खीरा लगाया है. खास बात यह है कि आधा एकड़ खेत में 12 टन से अधिक खीरे की पैदावार पूरी कर चुके है. अभी भी 4 से 6 टन पैदावार की उम्मीद है. इससे हर महीनें हजारों रूपए की खीरे की पैदावार हो रही है. अभी बाजार में यह खीरा 30 रूपए प्रति किलोग्राम बिक रहा है.
गजब की खासियत
इटालियन खीरे की सबसे खास बात यह है कि यह डार्क ग्रीन रंग का होता है.इस खीरे को काटना और छीलना नहीं पड़ता है. इस खीरे का छिलका बड़ा ही मुलायम और साफ होता है. इसमें काफी विशेष गुण होते हैं और यह कड़वा भी नहीं होता है. इस खीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है जो कि हर मौसम में स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है.
जैविक खेती पर फोकस
कृषक सुबीर की खास बात यह है कि किसान किसी भी फसल में रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं कर रहे हैं. आर्गेनिक फार्मिग कर रहे हैं . इसके अलावा खेत में केचुआ खाद, वर्मी कंपोस्ट, वार्मीवॉश को तैयार कर रहे हैं. खेत में बैंगन, गोभी, भिंडी, गेहूं, ज्वार, चना सहित अन्य फसलें काफी लहलहा रही है.
बेहतर सोच से बने बेहतर किसान
सुबीर चर्तुवेदी ने बताया कि कई साल तक उन्होंने बड़े-बड़े शहरों में कई सेक्टरों में नौकरी की है. बाद में उन्होंने माता-पिता के बारे में सोचा और खेती को अपनाया और आज जिले में उन्नत कृषक के साथ किसानों के लिए मिसाल बन गए है. सुबीर कहते हैं कि बागवानी के अधिकारी आर. के. हल्दकार के मार्गदर्शन में वह खेती को लाभ का धंधा बना रहे हैं.
हाईटेक खेती का था सपना
सुबीर चतुर्वेदी जिलेभर के किसानों से एकदम हटकर खेती करने का कार्य कर रहे हैं. खास बात तो यह है कि वह परंपरागत खेती ही नहीं बल्कि वह हाईटेक खेती करने का भी कार्य कर रहे हैं. एक किसान जिस खेत में 50 किलो बीज को डालते है, वहां पर केवल एक किलो बीज से डबल मुनाफा भी हो रहा है. आज उन्नत किसान, वैज्ञानिक, कृषि वैज्ञानिक मिलकर हाईटेक खेती कर रहे हैं.