किसान पारंपरिक फसल चक्र से हटकर नई फसलों की खेती कर रहे हैं और उनको मेहनत का अच्छा फल भी मिल रहा है. पंजाब के किसान कंवल पाल सिंह चौहान की भी ऐसी ही कहानी है, जिन्हें बेबी कॉर्न के राजा के रूप में जाना जाता है. आइए आज हम आपको उनकी सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से बताते हैं.
कंवल पाल अपने गांव में धान की खेती करते थे. उनकी फसल को भारी नुकसान होने के कारण वह भारी कर्ज के बोझ तले दब गये थे, जिसके बाद कंवल ने अपनी समस्या का समाधान खोजने के लिए बेबी कॉर्न की खेती शुरू की और उन्हें काफी बड़ी सफलता मिली.
कंवल सिंह चौहान को जब अपने खेतों से बेबी कॉर्न की पहली फसल मिली तो उन्होंने दिल्ली के प्रमुख बाजारों से पांच सितारा होटलों में बेबी कॉर्न बेचना शुरू किया और उनकी बिक्री भी काफी ज्यादा हुई. उनका एक समय ऐसा आया जब लोगों के बीच बेबी कॉर्न का चलन कम हुआ. ऐसे समय में उन्होंने अपनी खुद की फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाई और स्वीट कॉर्न के साथ-साथ मशरूम, टमाटर और मक्के से भी तरह-तरह के खाद्य उत्पाद बनाने लगे.
सफल किसान कंवल सिंह ने अपनी खेती और प्रसंस्करण व्यवसाय के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. जब कंवल सिंह चौहान ने बेबी कॉर्न की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना शुरू किया तो उनकी सफलता को देखकर आस-पास के गांवों के किसानों ने भी उनके साथ जुड़ने का फैसला किया. फिलहाल उनके यहां 400 से ज्यादा मजदूर काम कर रहे हैं.
इन्हीं संघर्षों के चलते कंवल सिंह चौहान को बेबीकॉर्न के जनक और बेबीकॉर्न के राजा की उपाधि दी गई है और इससे जुड़े नवाचारों के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
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आज के समय में कंवल सिंह चौहान की प्रोसेसिंग यूनिट से बने बेबी कॉर्न उत्पाद देश-विदेश में निर्यात किए जा रहे हैं. उनकी प्रसंस्करण इकाई में बने उत्पाद जैसे टमाटर और स्ट्रॉबेरी प्यूरी, बेबी कॉर्न, मशरूम बटन, स्वीट कॉर्न और मशरूम के टुकड़े इंग्लैंड और अमरीका को निर्यात किए जा रहे हैं.