नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 8 May, 2019 2:13 PM IST

राजस्थान के झुझुंन जिले के नवलगढ़ तहसील के गांव चैलासी में रहने वाले किसान मुरलीधर सैनी ने अपने दिल की सुनकर कुछ अलग करके दिखाया है.  मुरलीधर काफी लंबे समय से टमाटर की खेती करने का कार्य कर रहे है. मुरलीधर को दो वर्ष पहले पंजाब के एक किसान मित्र के जरिए ऑस्ट्रेलिया के टमाटरों की खेती की जानकारी मिली. जिसके बाद जब उनके मित्र का बेटा ऑस्ट्रेलिया गया तो उसी के माध्यम से उन्होंने बीज मंगवाए. जोकि 1800 रूपए प्रति 10 ग्राम पड़े. टमाटर की इस सीजन में पहली बार उन्होंने अपने खेत में देसी टमाटरों की बजाय ऑस्ट्रेलियाई टमाटरों की बुवाई की है. अब धीरे-धीरे उनके यह टमाटर उगने लगे है. इससे उनको काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त होने लगा है.

देसी और ऑस्ट्रेलियाई टमाटर में अंतर

अगर हम मुरलीधर की बात करें तो ऑस्ट्रेलियाई और देसी टमाटर की खेती में बहुत अंतर है. सबसे खास बात यह है कि ऑस्ट्रेलियाई टमाटर का छिलका बहुत ही ज्यादा कठोर होता है, जो राजस्थान में गर्मियों में रहने वाले 40 डिग्री तक के तापमान को सहन कर सकता है, जबकि देसी से इतना तापमान सहन नहीं हो पाता है. इतने तापमान में देसी टमाटर के पौधे से फूल से फल नहीं बन पाते है. इस तरह की समस्या ऑस्ट्रेलियाई टमाटर में नहीं होती है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई टमाटर को देसी टमाटर की तुलना में अधिक समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है.

इस तरह होती पैदावार

मुरलीधर ने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई बीज के प्रति पौधे से औसतन 15 - 16 किलोग्राम टमाटर की पैदावार मिल रही है, जबकि भारतीय पौधे से औसतन 6-7 किलोग्राम ही पैदावार बैठती है. दोनों ही टमाटरों का भाव समान होता है. एक बीघा में बोए गए ऑस्ट्रेलियाई टमाटर की स्टोरेज क्षमता अधिक होने के वजह से इसकी खरीद हो रही है.

टीम भेजकर होगी जांच

कृषि विभाग झुझुनूं के उप निदेशक के मुताबिक सैनी ने बताया कि 'मुरलीधर एक प्रगतिशील किसान है जो इन दिनों ऑस्ट्रेलियाई टमाटर की खेती करने का कार्य कर रहे है. साथ ही विभाग की पूरी टीम उनके खेत में भेजकर जानकारी को एकत्र किया जाएगा ताकि जिले के अन्य किसान को इस नवाचार के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके. टीम पूरी तरह से इस फसल को जांच करेगी और इसके बारे में जानकारी एकत्र करेगी.

English Summary: Heavy profits to farmers through Australian tomatoes in Rajasthan
Published on: 08 May 2019, 02:18 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now