Mahindra Tractors ने अप्रैल 2024 में बेचे 37,039 ट्रैक्टर्स, निर्यात बिक्री में 23% की वृद्धि Mandi Bhav: गेहूं की कीमतों में गिरावट, लेकिन दाम MSP से ऊपर, इस मंडी में 6 हजार पहुंचा भाव IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये 2 छोटे बिजनेस, सरकार से मिलेगा लोन और सब्सिडी की सुविधा एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 6 April, 2019 4:41 PM IST
Sucess Story

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम विष्णु ठाकुर है. मैं गांव बिरगोदा, जिला इंदौर, मध्य प्रदेश का निवासी हूं. आज हम गेहूं की उन्नत खेती कैसे करें ताकि लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो. मैं करीब 10-12 वर्षों से खेती कर रहा हूं.

पहले पुरानी पद्धति से खेती करता था जिसमें एक बोरी भीगा हुआ डीएपी  देना पड़ता था और बोने के 15 से 20 दिन बाद एक बोरी यूरिया देना होता था. जिसके बाद 15-15 दिन के अंतराल पर तीन-चार बार पानी फेरना पड़ता था. इस तरीके से जब हम खेती करते थे तब हमारे गेहूं का उत्पादन 10 से 12 क्विंटल प्रति बीघा होता था. कम उत्पादन होने की वजह से मैं निराश होता था.

फिर मैं अपने दो मित्रों धर्मेंद्र और सुनील से मिला. उन्होंने मुझे ग्रामोफोन के बारे में बताया. मैंने ग्रामोफोन के टोल फ्री नंबर - 18003157566 पर मिस कॉल दी और ग्रामोफोन से जुड़ा. ग्रामोफोन  से मैंने गेहूं की खेती के बारे में जानकारी ली और उसी तरीके से खेती करना प्रारंभ किया.

सबसे पहले ग्रामोफोन की मदद से एक बोरी  बीघा की खाद देता था उसे 40 किलो प्रति बीघा यानी कि 10 किलो प्रति बीघा कम करवाया और गेहूं का बीज उपचार करवाया. बोने के  15 से 20 रोज बाद जब हम पहला पानी गेहूं में  देते हैं तब यूरिया की मात्रा 50 किलो से घटाकर 25 किलो कर दी गई. 

पहले ग्रामोफोन ने डीएपी कम कराया और फिर यूरिया की मात्रा कम की. मैं घबरा गया. मेरी फसल के उत्पादन पर असर पड़ेगा. तब मुझे विशेषज्ञों के माध्यम से यह बताया गया कि यूरिया की आवश्यकता पौधे की जड़ों को नहीं होती है.

यूरिया की आवश्यकता पत्तियों को होती है. हम  इसकी आधी मात्रा जड़ के माध्यम से दे रहे हैं. 200 से 300 ग्राम प्रति बीघा की दर से छिड़काव करेंगे और उस पानी के घोल में हल्की-फुल्की कीटनाशक एवं सल्फर की मात्रा भी दी जाएगी. तब मैं संतुष्ट हुआ इसी प्रकार अंतिम सिंचाई से पहले ग्रामोफोन ने मुझे एक छिड़काव और करने की सलाह दी, जिसमें फंगीसाइड और कीटनाशक डाली गई.

 मेरा गेहूं पूर्ण रूप से स्वस्थ था. कटाई के बाद उत्पादन 17 से 18 क्विंटल प्रति बीघा हो गया और दानों में चमक ज्यादा थी. दानों का आकार बड़ा था जिसे देख कर मेरे आस-पड़ोस के मित्र बंधु बहुत प्रभावित हुए और आज वह भी मेरे साथ  ग्रामोफोन से जुड़ चुके हैं. सच कहता हूं ग्रामोफोन से किसानों का बहुत फायदा होगा. खेती एक लाभ का व्यवसाय बनेगी और हिंदुस्तान विश्व का सबसे बड़ा कृषि उत्पाद निर्यातक देश बनेगा.

English Summary: gramophone farming is beneficial for farmers
Published on: 06 April 2019, 04:49 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now