मानसून में Kakoda ki Kheti से मालामाल बनेंगे किसान, जानें उन्नत किस्में और खेती का तरीका! ये हैं धान की 7 बायोफोर्टिफाइड किस्में, जिससे मिलेगी बंपर पैदावार दूध परिवहन के लिए सबसे सस्ता थ्री व्हीलर, जो उठा सकता है 600 KG से अधिक वजन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Karz maafi: राज्य सरकार की बड़ी पहल, किसानों का कर्ज होगा माफ, यहां जानें कैसे करें आवेदन Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Krishi DSS: फसलों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से सरकार ने लॉन्च किया कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल
Updated on: 10 September, 2021 2:21 PM IST
Papaya Cultivation

झारखंड की मिट्टी खेती के लिए अच्छी है, इसलिए किसान भी कड़ी मेहनत कर कई फसलों की खेती करते हैं. अब राज्य के लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड की धरती पर ताइवान किस्म का पपीता भी उगने लगा है.

यहां किसान परंपरागत तरीके खेती से हटकर ताइवान किस्म का पपीता उगा रहे हैं, जो अब फल भी देने लगा है. इसकी खेती से अधिक उत्पादन के आसार को देखते हुए युवा किसान खासा उत्साहित हैं. ऐसे में किसान कोलकाता से पौधा मांगा रहे हैं और वैज्ञानिक तरीके से पपीते की रेड लेडी ताइवान-786  किस्म की खेती कर रहे हैं.

टीटीसी की तैयारी कर रहे किसान ने शुरू की खती

बहेराटोली के युवा किसान उज्ज्वल लकड़ा रांची में रहकर टीटीसी की तैयारी कर रहे थे. इस दौरान कोरोना महामारी का संकट आ गया, जिसकी वजह से परीक्षा नहीं हुई. इसके बाद वह अपने गांव लौट आए और फिर परिवार के किसी सदस्य ने पपीता की खेती करने की सलाह दी.

पहले साल 2018-19 में मनरेगा के तहत एक एकड़ में आम बागवानी की मिली, साथ ही सिंचाई के लिए कुआं बनाया. मगर इसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र, रांची के मार्गदर्शन से पपीता की खेती करने का विचार किया.

एक एकड़ में लगाए पपीते के 6000 पौधा

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो बहेराटोली के युवा किसान उज्ज्वल लकड़ा ने अपनी एक एकड़ जमीन में ताइवान किस्म के 6000 पौधे लगाए हैं. यह पौध लगभग अक्टूबर में तैयार हो जाएगी. जानकारों के मुताबिक, किसान ताइवानी किस्म के पपीते की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

8 महीने में तैयार होती है फसल

आपको बता दें कि पपीता के पौधे की ऊंचाई 2 से 3 फीट तक होती है, जो 3 महीने बाद फसल देने लगता है और पूरे 8 महीने बाद फसल तैयार हो जाती है. पपीते का एक पेड़ डेढ़ साल तक फसल देता है, जिसमें लगभग ढाई से तीन क्विंटल पपीता का फल निकलता है.

सिंचाई के लिए अपनाई टपक विधि

किसान ने सिंचाई के लिए टपक विधि को अपनाया. बता दें कि वह कोलकाता से 60 रुपए में एक पौधा लाया था. इस तरह 36 हजार का पौधा लगाया था, जिसमें 120 पौधा मर गया. इसके अलावा, खाद व सिंचाई में लगभग 25 से 30 हजार रुपए की लागत लगी. मगर मौजूदा समय में जो पौधा लगा है, उसमें काफी मात्रा में फल लगे हैं.

पपीता की बिक्री

इसका मुख्य बाजार रांची, छत्तीसगढ़ और बंगाल में है. किसान की मानें, तो बाजार में ताइवान के कच्चे पपीते की अधिक खपत है. इसकी कीमत 10 से 30 रुपए प्रति किलो है.  इस तरह प्रखंड क्षेत्र में खेती का अच्छा भविष्य नजर आ रहा है. युवा किसान इस ओर अग्रसर हैं. खुशी की बात यह है कि ऐसे किसानों को झारखंड सरकार की तरफ से हर संभव मदद दी जाती है.

English Summary: getting more profit from the cultivation of taiwanese variety of papaya
Published on: 10 September 2021, 02:24 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now