मानसून में Kakoda ki Kheti से मालामाल बनेंगे किसान, जानें उन्नत किस्में और खेती का तरीका! ये हैं धान की 7 बायोफोर्टिफाइड किस्में, जिससे मिलेगी बंपर पैदावार दूध परिवहन के लिए सबसे सस्ता थ्री व्हीलर, जो उठा सकता है 600 KG से अधिक वजन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Karz maafi: राज्य सरकार की बड़ी पहल, किसानों का कर्ज होगा माफ, यहां जानें कैसे करें आवेदन Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Krishi DSS: फसलों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से सरकार ने लॉन्च किया कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल
Updated on: 2 June, 2018 12:00 AM IST
Vegetable Farming

आज जिसे देखो वह अपने फायदे के बारे सो सोच रहा है. किसान ज्यादा उपज के लालच में आकर हाईब्रिड बीज एवं रासायनिक खाद का प्रयोग करते है, जिससे किसान और उन सब्ज़ियों को खाने वाली आम जनता को दोनों को ही नुकसान होता है. निबैया गांव के एक किसान हीरामणि कहते हैं कि हाइब्रिड और रासायनिक खाद से उगने वाली सब्ज़ियों में कोई पोषक तत्व नहीं मिलता.

इसी बात को ध्यान में रखते हुए हीरामणि ने फैसला किया की वह रिसर्च बीज और जैविक खाद को उपयोग में लेकर सब्ज़ियां उगायेगा और उन्हें बाजार में बेचेगा ताकि लोगो को सब्ज़ी के अंदर के तत्व मिल सके. हीरामणि बताते है की सब्ज़ियों की पैदावार में कमी तो आयी लेकिन तकनिकी मदद और मेहनत करके वह समय से पहले सब्ज़ी तैयार कर लेते है.

साथ ही हीरामणि ने बताया की समय से पहले सब्ज़ी बाजार में जाने से अच्छा भाव मिल जाता है, जिससे कम पैदावार होने से जो घाटा होता है, तो समय से पहले सब्ज़ी उगाकर वह घाटे की भरपाई हो जाती है. 

हीरामणि बताते है की इस बार उन्होंने भिंडी, करेला समय से दो सप्ताह पहले ही तैयार कर लिया. इस वजह से शुरु में उन्होंने 40 रुपये प्रति किलो से लेकर 50 रुपये प्रति किलो में भिंडी की बिक्री हो गई. प्रतिदिन वह दो कुंतल भिंडी एवं डेढ़ कुंतल करेला मंडी में पहुंचाते रहे. उसके बढ़ जब बाकि किसानों की उपज मंडी में पहुंची तो भिंडी का दाम कम हो गया था. 

उनका कहना है कि समय से पहले सब्ज़ी उगाने से फायदा यह हुआ की उन्हें अच्छे खासे दाम मिल जाते है जोकि दूसरे किसानो को नही मिलता. उन्होंने बताया कि कुछ इलाको में जून के महीने में हरी धनिया नहीं उग पाती है, जिस कारण बाहर से आने वाला हरी धनिया काफी महंगा बिकता है. 

इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने खरपतवार की छावनी तैयार कर धनिया की उगाया. उन्होंने बताया कि सब कुछ सही रहा तो इस बार हरी धनिया की अच्छी पैदावार होगी और फायदा भी ज्यादा होगा. क्यूंकि जून के बाद शादियों के सीजन में धनियां  100 से लेकर 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक होता है.

English Summary: Farmer Success Story June
Published on: 02 June 2018, 02:18 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now