आज जिसे देखो वह अपने फायदे के बारे सो सोच रहा है. किसान ज्यादा उपज के लालच में आकर हाईब्रिड बीज एवं रासायनिक खाद का प्रयोग करते है, जिससे किसान और उन सब्ज़ियों को खाने वाली आम जनता को दोनों को ही नुकसान होता है. निबैया गांव के एक किसान हीरामणि कहते हैं कि हाइब्रिड और रासायनिक खाद से उगने वाली सब्ज़ियों में कोई पोषक तत्व नहीं मिलता.
इसी बात को ध्यान में रखते हुए हीरामणि ने फैसला किया की वह रिसर्च बीज और जैविक खाद को उपयोग में लेकर सब्ज़ियां उगायेगा और उन्हें बाजार में बेचेगा ताकि लोगो को सब्ज़ी के अंदर के तत्व मिल सके. हीरामणि बताते है की सब्ज़ियों की पैदावार में कमी तो आयी लेकिन तकनिकी मदद और मेहनत करके वह समय से पहले सब्ज़ी तैयार कर लेते है.
साथ ही हीरामणि ने बताया की समय से पहले सब्ज़ी बाजार में जाने से अच्छा भाव मिल जाता है, जिससे कम पैदावार होने से जो घाटा होता है, तो समय से पहले सब्ज़ी उगाकर वह घाटे की भरपाई हो जाती है.
हीरामणि बताते है की इस बार उन्होंने भिंडी, करेला समय से दो सप्ताह पहले ही तैयार कर लिया. इस वजह से शुरु में उन्होंने 40 रुपये प्रति किलो से लेकर 50 रुपये प्रति किलो में भिंडी की बिक्री हो गई. प्रतिदिन वह दो कुंतल भिंडी एवं डेढ़ कुंतल करेला मंडी में पहुंचाते रहे. उसके बढ़ जब बाकि किसानों की उपज मंडी में पहुंची तो भिंडी का दाम कम हो गया था.
उनका कहना है कि समय से पहले सब्ज़ी उगाने से फायदा यह हुआ की उन्हें अच्छे खासे दाम मिल जाते है जोकि दूसरे किसानो को नही मिलता. उन्होंने बताया कि कुछ इलाको में जून के महीने में हरी धनिया नहीं उग पाती है, जिस कारण बाहर से आने वाला हरी धनिया काफी महंगा बिकता है.
इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने खरपतवार की छावनी तैयार कर धनिया की उगाया. उन्होंने बताया कि सब कुछ सही रहा तो इस बार हरी धनिया की अच्छी पैदावार होगी और फायदा भी ज्यादा होगा. क्यूंकि जून के बाद शादियों के सीजन में धनियां 100 से लेकर 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक होता है.