जैसे ही दुनिया भर में कोरोना महामारी शुरू हुई. तो चारों तरफ खाने-पीने से लेकर हर एक चीजों के लिए लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. कोरोना के चलते कई लोगों के रोजगार छीन गए तो कई लोगों की व्यवसाय बंद हो गए.
लेकिन ऐसे समय में भी देश के कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने हार नहीं मानी और अपने परिवार के लिए मेहनत करते रहे. आज हम आपको ऐसे ही एक युवक के बारे में बताएंगे. जिन्होंने कोरोना के आने के बाद ना केवल अपना बिजनेस शुरू किया, बल्कि अपने परिवार को भी पाला.
दरअसल, इस युवक का नाम रजा मोहम्मद है, जो 41 वर्षीय के हैं. यह अजमेर के रसूलपुर के रहने वाले हैं. बता दें कि रजा मोहम्मद कोविड -19 दुनिया में आने से पहले अपने स्वयं के स्कूल में पढ़ाते थे. लेकिन कोरोना के चलते रजा की आय पर भी बहुत बुरा असर पड़ा. क्योंकि कोरोना में स्कूल कॉलेज सब कुछ बंद था.
आपको बता दें कि इस दौरान लोग जीवित रहने के लिए रोजगार की तलाश कर रहे थे. रजा भी आय के लिए रोजगार की तलाश कर रहे थे, लेकिन ऐसे में रज़ा ने महसूस किया कि उसके पास केवल 2 बीघा भूमि है जहाँ वह मौसमी फसलें उगाता है. हालांकि, यह एक अच्छा जीवन यापन करने के लिए पर्याप्त नहीं था. लेकिन फिर भी उन्होंने इन सब के बीच मोती की खेती (pearl farming) करने की ठानी. इस खेती को सिखने के लिए वह किशनगढ़, राजस्थान के नरेंद्र गरवा से मिले, जो मोती की खेती कर रहे थे. ऐसे में रजा ने लोकप्रिय खेती व्यवसाय सीखने का फैसला किया.
सिर्फ एक दिन के प्रशिक्षण से सफलता (Success with just one day's training)
जब रज़ा ने मोती की खेती (pearl farming) के बारे में सीखना शुरू किया, तो तालाबंदी ने देश को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे उनका प्रशिक्षण केवल एक दिन का हो गया. उस एक प्रशिक्षण सत्र से और साथ ही अपने ज्ञान का उपयोग करते हुए, उन्होंने अपने खेत में 10/25 के क्षेत्र में एक छोटा तालाब बनाया और उसमें तिरपाल लगाकर मोती की खेती शुरू की.
इसके बाद उन्होंने मोती की खेती के लिए आवश्यक सभी सामग्री जैसे अमोनिया मीटर, पीएच मीटर, थर्मामीटर, एंटीबायोटिक्स, माउथ ओपनर और पर्ल न्यूक्लियस को एकत्र किया, साथ ही गोबर, यूरिया और सुपर फॉस्फेट से शैवाल जैसे सीपों के लिए चारा भी तैयार किया. अपने तालाब में उन्होंने 1000 सीपों के लिए बीज बोए थे, जो डिजाइनर मोती बन गए.
उन्होंने सभी सीपों में एक केंद्रक डाला और उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं और विकास का ध्यान रखा. उनका कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो एक सीप दो मोती पैदा कर सकता है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मोती की फसल को विकसित होने में 18 महीने लगते हैं और उन्होंने पूरी प्रक्रिया के दौरान 60-70 हजार रुपये से अधिक का निवेश किया. उन्हें फसल की उपज (crop yield) से कुछ ही दिनों में करीब ढाई लाख का मुनाफा प्राप्त हुआ.
मोती की खेती के लिए थोड़ी देखभाल की आवश्यकता होती है लेकिन ध्यान रहे कि इसके लिए बहुत प्रतीक्षा भी करनी पड़ती है. रजा ने कहा कि वह हर दिन केवल एक घंटा मोती की खेती में लगाते थे. इसके अलावा उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अगर लोग दूसरी नौकरी करते हैं, तो भी वे मोती की खेती कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
मोती की खेती की आवश्यकताओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पानी का पीएच और अमोनिया स्तर सप्ताह में केवल एक बार जांचना है. उन्होंने सलाह दी कि पानी का पीएच स्तर 7-8 के बीच रखा जाना चाहिए और जगह के तापमान के आधार पर मोती को बढ़ने में कम या ज्यादा समय लग सकता है.
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मोती की खेती में रखरखाव की लागत लगभग नगण्य है लेकिन अधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता जल स्तर, सीप के स्वास्थ्य, शैवाल की उपस्थिति आदि का ध्यान रखना पड़ता है. इसके लिए उत्पादक के धैर्य की भी आवश्यकता है. इसके रिजल्ट के लिए एक साल इंतजार करना होगा.
मोती तैयार होने के बाद, उन्हें प्रयोगशाला में भेजा जाना चाहिए. क्योंकि मोती की गुणवत्ता के आधार पर इसकी कीमत 200 रुपये से 1000 रुपये प्रति मोती के बीच हो सकती है. इस बीच नरेंद्र इस पूरे सफर में रजा की मदद करते रहे हैं. रज़ा को अगले दौर की फ़सल से बहुत उम्मीदें हैं और इसलिए वह अब बड़े पैमाने पर मोती की खेती की तैयारी कर रहे हैं.
निवेश के बारे में बोलते हुए, नरेंद्र ने कहा कि 1,000 मोती के बीज खरीदने की लागत 40,000 रुपये है, लेकिन इससे 3-4 गुना अधिक लाभ होता है. अगर आप भी मोती की खेती करना चाहते हैं तो आप नरेंद्र जी से सीधा इस नंबर 9414519379 पर संपर्क कर पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. जिनसे आप रजा की तरह प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकते हैं.