Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! अब किसानों और पशुपालकों को डेयरी बिजनेस पर मिलेगा 35% अनुदान, जानें पूरी डिटेल Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 3 February, 2023 3:25 PM IST
चाय की दुकान छोड़ की एलोवेरा की खेती

राजस्थान के हनुमानगढ़ क्षेत्र के परलिका गाँव में रहने वाले 31 वर्षीय अजय स्वामी को खेती के क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं था. उनके परिवार के पास दो बीघे से कुछ ज्यादा की जमीन थी. अजय स्वामी ने बताया कि एक सुबह उन्होंने अखबार में एलोवेरा के बारे में पढ़ा और तब उन्हें इसके उत्पादन के बारे में एक अद्भुत विचार आया. हालांकि उनके पास इसकी खेती आरंभ करने के लिए आवश्यक संसाधन नहीं थे.

अजय ने अपनी पढ़ाई कक्षा 8वीं तक की है. पिता के निधन के बाद उन्हें खुद अपने परिवार का पालन पोषण करना पड़ा और सन् 1999 में उन्होंने अपनी मां की मदद से 10 रुपये प्रति कप के हिसाब से चाय बेचने का काम शुरू किया.

खुद का व्यवसाय

अखबार में एलोवेरा की कहानी पढ़ने के बाद अजय ने सोचा कि क्यों न दो बीघे जमीन का इस्तेमाल किया जाए और पौधे उगाना शुरू किया जाए. अजय ने एलोवेरा के बारे में शोध और अपने समुदाय के किसानों से बात करना शुरू कर दिया. बातचीत से उन्होंने पता लगाया कि एलोवेरा उगाने के लिए बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है. उनको यह बात बहुत अच्छी लगी क्योंकि राजस्थान में अक्सर सूखा पड़ता रहता है, जिससे ऐसी फसल उगाना मुश्किल हो जाता था जो बड़े पैमाने पर पानी पर निर्भर होती है.

उन्होंने पौधों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले उर्वरक और मिट्टी के उपयोग के बारे में पता किया. इस बारे में उन्होंने ऑनलाइन बहुत शोध किया. हालाँकि उनका यह खेती में पहला प्रयास था, इसलिए उन्हें अधिक उम्मीदें नहीं थीं. इसके साथ ही वह अपनी चाय की दुकान पर काम करते रहते थे. उन्होंने एलोवेरा की आपूर्ति बढ़ाने के लिए अपनी चाय कंपनी से बचाए गए पैसों का इस्तेमाल करते थे. अजय को अंदाजा नहीं था कि उनकी फसल इतनी शानदार मुनाफा देगी.

ये भी पढ़ेंः चाय की दुकान छोड़ की एलोवेरा की खेती, अब होती है लाखों की कमाई

कमाई

अजय कहते हैं कि वह खुश हैं कि उन्होंने सही पौधे को चुना क्योंकि वह एलोवेरा का खेत बनाने और बाद में इसके व्यवसाय से उन्हे अच्छा फायदा मिल रहा है. अजय एक बच्चे के रूप में एलोवेरा के लड्डू खाने को याद करते हैं और बताते हैं कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान इसका प्रयोग किया था और आज वह एलोवेरा से बने दो तरह के लड्डूओं को बाजार में बेच कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इन लड्डू की कीमत 350 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम है. अजय के अनुसार उद्योग में हर किसान की सफलता की कुंजी नवाचार है.

English Summary: farmer earns lakhs of rupees by cultivating aloe vera who was earlier selling tea
Published on: 03 February 2023, 03:35 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now