कई लोगों को ऐसा लगता है की खेती-बाड़ी में कमाई नहीं है, लेकिन आज लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि खेती- किसानी में कितने सारे परिवर्तन आ चुके है. नए जमाने की खेती में गेहूं और धान जैसी परंपरागत फसलों की जगह पर गुलाब, खस और हर्बल चाय पत्ती कई ऐसी औषधीय फसलें होती है जिनके उत्पाद देश ही नहीं बल्कि विदेशों में धूम मचा रही है. आज दमिश्क गुलाब के तेल की कीमत तो 10 से 12 लाख रूपये लीटर तक है. बता दें कि बीते कुछ सालों से बरेली में भी इस तरह की नई खेती काफी उन्नत हुई है. दरअसल पंतनगर विश्वविद्यालय के डॉ जेपी सिंह ने रिठौरा ने गांव भड़सर में फार्म को सुंगधित करने के लिए विशेष मॉडल को अपनाया है.
दमिश्क गुलाब की मांग
आज खेती करने के तरीके में काफी बदलाव आया है. इसी के चलते आज गुलाब की खेती फायदे का सौदा बनी है. डॉ सिंह कहते है कि दुनियाभर में गुलाब की पांच सौ से ज्यादा प्रजातियां मौजूद है. हमारे देश में दमिश्क के गुलाब की बहुतायत मांग बनी हुई है. इस गुलाब से तैयार होने वाले एक लीटर तेल की कीमत 10 से 12 लाख रूपये होती है.इसका खासतौर पर इस्तेमाल इत्र और फेस क्लीनर के सात चेहरे की झुर्रियां दूर करने वाले प्रसाधनों में होता है. शरबत, सुगंध, गुलाब जल जैसी आम उत्पादों के साथ अनिद्रा, तनाव, सिरदर्द दूर करने की औषधियां भी इसी तेल से बनती है. बता दें कि यहां की जलवायु इस गुलाब की खेती से लिए बेहद ही अनुकूल होती है. इसकी साल में दो फसले तैयार हो जाती है.
तुलसी के पत्तों में जीवनवर्धक औषधियां
तुलसी की दो सौ से ज्यादा प्रजातियां होती है.इसके अंदर मिथाइल चेविकॉल, कैल्शियम, लिनालूल, प्रोटीन, कैफर जै से कई तरह के जैविक रसायन और कार्बोहाइट्रेड, फाइबर, विटामिन कापी बेहतर मात्रा में होते है. हजारों सालों से इसका प्रयोग औषधि के रूप में होता हुआ आया है.
मेंथा की नई प्रजाति
मेंथा का उत्पादन तो की सालों से होता आ रहा है, साथ ही उत्तराखंड में इसकी काफी अच्छी डिमांड भी रहती है. इसका एक एकड़ में 80 से सौ किलो तक उत्पादन होता है. इसकी फसल केवल चार महीनों के भीतर ही तैयार हो जाती है. इसका एक लीटर तेल 13 सौ रूपये किलो में बिकता है. बता दें कि भारत मेंथा का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. साथ ही मेंथा का इस्तेमाल कफ सीरप, ब्रेवेज, टूथ पेस्ट, पिज्जा और शराब आदि में किया जाता है. इसके अलावा सिट्रोनेला,कैमोनिल, पामारोजा आदि कई औषधीय फसलें है जिनकी खेती बरेली में की जाती है.