Success Story: जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि आज के समय में किसान खेती से हजारों-लाखों की कमाई कर रहे हैं. इसी क्रम में आज हम आपको ऐसे एक प्रगतिशील किसान के बारे में बताएंगे, जिन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती से अपनी जिंदगी को बदल दिया है. दरअसल, जिस किसान की हम बात कर रहे हैं, वह बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित कटिहार जिले के रहने वाले संजय कुमार है. बता दें कि ड्रैगन फ्रूट की इस क्षेत्र में कम जानकारी एवं जोखिम को ध्यान में रखते हुए संजय कुमार सिंह ने इसकी खेती प्रारंभ की. कटिहार जिले में संजय कुमार ने अपनी योजना के अनुरूप अनिश्चितता को दरकिनार करते हुए ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. इनके द्वारा लिया गया जोखिम ने लाभ पहुँचाया.
संजय कुमार को अपने उत्पाद हेतु बाजार से उत्साहजनक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई. शुरुआत में धान आलू, केला एवं सब्जियों की खेती करते हुए 2018 में इन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती/ dragon fruit ki kheti की संभावनाओं को तलाशा था.
यूट्यूब से संजय ने ड्रैगन फ्रूट की ली जानकारी
वास्तव में संजय कुमार केला की खेती के स्थान पर दूसरे फल की खेती करना चाहते थे और यूट्यूब के माध्यम से पोषण से भरपूर ड्रैगन फ्रूट के बारे में उन्हें जानकारी प्राप्त हुई. शुरुआत में वह थोड़ा संकोच में थे परंतु बाद में ड्रैगन फ्रूट की खेती/Dragon Fruit Cultivation के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया. अच्छे ड्रैगन फ्रूट की उपज की आशा के साथ कम प्रचलित फल से भविष्य में अपनी आय को बढ़ाने का निर्णय लिया. शुरुआत में संजय कुमार ने कोलकाता से 600 पौध, रू. 40 प्रति पौधों की दर से खरीद कर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. ड्रैगन फ्रूट का पौधा/Dragon Fruit Plant, जो लता रूपी है, को ध्यान में रखते हुए इन्होंने 230 सीमेंट पोल को 10 कट्ठा जमीन (कुल 5 एकड़ जमीन) में खड़ा किया एवं प्रत्येक पोल के चारों ओर 4 पौधे लगाएं ताकि अच्छे से बढ़ सके एवं पोल पर चढ़ सके.
ड्रैगन फ्रूट की खेती से संजय कुमार की हुई मोटी कमाई
दूसरे वर्ष उन्होंने रू. 200 प्रति किलोग्राम की दर से ड्रैगन फ्रूट/ Dragon Fruit को बेचा. फल तोड़ने के पश्चात् इन्होंने और फल विक्रेताओं एवं ड्रैगन फ्रूट / Dragon Fruit से रूचि रखने वाले लोगों से संपर्क किया. ड्रैगन फ्रूट को औसतन 1 माह तक रखा जा सकता है. संजय कुमार को दूसरे वर्ष 2,00,000 की कुल आमदनी प्राप्त हुई. दूसरे वर्ष की आय ने शुरुआती खर्च को पूरा करने में काफी मदद की. संजय कुमार को वर्ष 2021 में 24 क्विंटल से अधिक ड्रैगन फ्रूट प्राप्त हुआ. तीसरे वर्ष इनकी ड्रैगन फ्रूट की खेती/Dragon Fruit ki Kheti से आय में काफी बढ़ोतरी हुई.
संजय कुमार परंपरागत खेती/Traditional Farming से रू. 200000 प्रतिवर्ष आय करते थे जो कि ड्रैगन फ्रूट की खेती से उनकी आमदनी दोगुनी से ज्यादा हो गयी है. कर उत्पाद को बेचा. कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिहार के वैज्ञानिकों द्वारा सभी तरह के तकनीकी एवं वैज्ञानिक सलाह उपलब्ध कराया कृषि विज्ञान केन्द्र एवं उनके अपने प्रयास से ड्रैगन फ्रूट गया. संजय कुमार के ड्रैगन फ्रूट की पूर्ण जानकारी कृषि को लोकप्रिय बनाने एवं प्रथम वर्ष 200 किलोग्राम उत्पाद विज्ञान केन्द्र के लोगों नें उपलब्ध करवाया. इन्हें 2019 रूपये 200 प्रति किलोग्राम बेचने में सहायता प्रदान की . में प्रत्येक पोल पर 2018 में लगाए गए पौधों से 6 से 7 हालांकि प्रथम वर्ष में उत्पाद बेचने से प्राप्त राशि खेती किलोग्राम ड्रैगन फ्रूट प्राप्त हुआ.
पहले वर्ष संजय कुमार के में लगाये गये लागत राशि से काफी कम थी. लिए उत्पाद बेचने हेतु चुनौती साबित हुआ. क्योंकि ड्रैगन शुरुआत में संजय कुमार द्वारा प्रत्येक सीमेंट पोल को लगाने फ्रूट की जानकारी राज्य में लोगों के बीच कम थी इन्हें का खर्च रू. 1000 प्रति पोल था. जो पौधे खरीद खर्च के यह समझ नहीं आ रहा था कि उत्पादों कैसे बेचा जाए.
शुरूआत में साथी किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने से किया मना
ड्रैगन फ्रूट की खेती संजय कुमार के लिए प्रथम कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिहार से संजय कुमार को ड्रैगन फ्रूट वर्ष में आर्थिक घाटे का सौदा था परंतु इन्हें विश्वास था की खेती में सहायता के साथ ही इसे लोकप्रिय बनाने कि आने वाले वर्ष में इन्हें लाभ होगा. वर्ष 2020 में इन्हें में सहायता प्रदान की. फल को लोकप्रिय बनाने हेतु संजय कुमार 10 क्विंटल ड्रैगन फ्रूट प्राप्त हुआ. औसतन प्रत्येक पोल सिंह ने महत्वपूर्ण लोगों, डॉक्टरों के बीच बिना पैसा के के पास के पौधे को 10-15 किलोग्राम फल प्राप्त हुआ. जो क्षेत्र में फल को लोकप्रिय बनाने में बढ़ते उत्पादन को देखते हुए इनके उत्पाद बढ़ी, दूसरे इसके पोषक वैल्यू की जानकारी दूसरे लोगों को बताने में वर्ष इन्हें सटे हुए पूर्णियाँ जिले से एवं कटिहार जिले से मददगार साबित हुआ. इन्होंने फल विक्रेताओं से सम्पर्क फल आपूर्ति आदेश प्राप्त हुआ. शुरुआत में उनके साथी किसान कम जानकारी वाले ड्रैगन फ्रूट की खेती से मना कर रहे थे. परंतु उनकी सफलता को देखकर कुछ कृषक ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू कर दिए हैं.
कटिहार जिले में छः से अधिक कृषक ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू कर दिए हैं. कुछ और कृषक भविष्य में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू करने का योजना बना रहे हैं. इनके कम जानकारी वाली फल के खेती के प्रयोग में कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिहार के वैज्ञानिकों का सहयोग मिला.