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Updated on: 26 June, 2022 6:08 PM IST
cow dung is a new way for womens to self employed

भारतीय परंपरा में गाय को बड़ा ही पवित्र और पूज्यनीय माना गया है यहां पर लोग इसकी पूजा करते हैं और भगवान के बराबर मानते हैं. गाय के दूध से कई सारे प्रोडक्ट्स बनते हैं जैसे- दही, घी, मक्खन, पनीर इत्यादि और इनका इस्तेमाल हम अपने जीवन में कई प्रकार से करते हैं. और साथ ही गाय के गोबर का हम इंधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं.    

लेकिन आज के इस लेख में गाय के गोबर से जुड़े हम एक विषय के बारे में बात करने जा रहे हैं जो कि किसी को भी सोचने पर मजबूर कर सकता है, वो है गाय के गोबर से बनने वाले आभूषण, इस बात को कई लोग शायद पहली बार सुनने पर भरोसा ही न करें लेकिन यह सत्य है.

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दरअसल, मूलरूप से बिहार के समस्तीपुर जिले की रहने वाली महिला प्रेमलता ने गाय की उपयोगिता को प्रेरणा मानकर लोगों तक एक संदेश पहुंचाने का काम किया है. उन्होंने गाय के दूध से बनने वाले डेरी प्रोडक्ट से लेकर गोबर तक की उपयोगिता को आम लोगों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. प्रेमलता लगभग 30 वर्षों से अलग-अलग राज्यों व छोटे-छोटे गांव, कस्बों में जाकर वहां की महिलाओं और बेरोजगार लोगों को गोबर की उपयोगिता के बारे में बताती है. उस गोबर का उपयोग कर आभूषण बनाकर दिखाती है और लोगों को आत्मनिर्भर होने की ओर प्रेरित भी करती है.

प्रेमलता ने गोबर से बनाए हैं 2000 से ज़्यादा प्रोडक्ट्स

प्रेमलता ने गोबर से अभी तक 2000 से ज़्यादा प्रोडक्ट्स को बनाकर तैयार किया है जो कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से ऑर्गेनिक और हाइजीनिक हैं. जिसमें ज्वेलरी से लेकर घर में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं, पूजा हवन की जरूरत की चीजें धूप, अगरबत्ती, घर को सजाने के लिए मूर्तियां, गोबर की ईटें, चप्पल ,घड़ियां ,खिलौने, कान की बाली, गले का हार, हाथ के चूड़ी, कंगन ,हेयर क्लिप से लेकर कई सारे आइटम शामिल हैं.

प्रेमलता की आभूषण बनाने की यह कला बड़ी ही अद्भुत है उन्होंने इसके ज़रिए न केवल खुद को आत्मनिर्भर किया है बल्कि बिहार के अलग-अलग हिस्सों में जाकर वहां की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया है. 

English Summary: cow dung is a new way for womens to self employed
Published on: 26 June 2022, 06:15 PM IST

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