कोई भी किसान पूरी मेहनत और लगन के सहारे कृषि कार्य को करें तो वह परंपरागत खेती की अपेक्षा कई गुना ज्यादा लाभ को कमा सकता है. यह वास्तविकता है और इस बात को संभव करके दिखाया है उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के किसान मनोज कुमार राय ने. मनोज कुमार पॉली हाउस के जरिए जरबेरा फूल की खेती करके साल में डेढ़ लाख रूपये की बचत को कर लेते है. उनकी इस जरबेरा फूल की खेती और उसके तरीके को कई लोग दूर-दूर से देखने भी आते है.
संरक्षित जरबेरा की खेती के अंतर्गत सजावट के काम आने वाला जरबेरा फूल की खेती करने वाले किसान मनोज राय ने यह बताया कि बीएचयू से स्नातक की उपाधि को हासिल करने के बाद वह नौकरी के लिए काफी भाग दौड़ किए है. बाद में उन्होंने वाराणसी में नौकरी की और मन नहीं लगने के कारण नौकरी की तलाश में दुबई चले गए थे. उनका वहां भी मन नहीं लगा था. बाद में वह दोबारा से देश लौट आए. उन्होंने पॉली हाउस के बारे में सारी जानकारी पढ़ने और सुनने के बाद इसके लिए आवेदन भी किया.ऐसे शुरू की जरबेरा की खेती...
सबसे पहले उन्होंने बैंक के सहयोग से पॉली हाउस के कार्य को शुरू किया है. उन्होंने लगभग चार मंडा खेत में पॉली हाउस का निर्माण करवाया. साढ़े पद्रंह लाख की लागत से शुरू होने वाली इस पॉली हाउस में रोपाई के लिए बैंगलोर से दो लाख साठ हजार मूल्य के जरबेरा के कुल 6500 पौधे मंगवाए थे. बाकी के पैसा पॉलीहाउस की तैयारी में लगे थे. यह रोपाई के तीसरे महीने में रोपे गए इन पौधों में पुष्प आने भी शुरू हो गए है.
इसके चौथे महीने में फूलो की बिक्री के लिए वाराणसी के इंग्लिसिया लाइन पर स्थित फूल मंडी में भेजना भी शुरू हो गया है. बता दें कि जरबेरा का एक फूल औसतन दो रूपये में बिकता है, एक हजार वर्गमीटर में तैयार किए गए इस पॉली हाउस से प्रति माह बारह से पंद्रह हजार फूल मंडी में बिक्री के लिए आते है.
किसान मनोज कहते है कि इस चार मंडा में निर्मित पॉलीहाउस की खेती में परंपरागत दस बीघे खेती की तुलना में लगभग पच्चीस गुना अधिक आमदनी लिया जा सकता है. इससे आने वाले समय में किसान को काफी ज्यादा फायदा हो सकता है.
कृषि विभाग को सक्रियता की जरूरत (Department of Agriculture needs activism)
किसान का कहना है कि किसानों की हालत को और उनकरी दशा को सुधारने के लिए अनेक तरह की महत्वकांक्षी योजनाओं को चलाया तो जाता है लेकिन कृषि विभाग की उदासीनता के कारण जानकारी के अभाव में किसानों को शासन के जरिए चलाई जाने वाली योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं हो पाती है. उन्होंने कहा कि पॉली हाउस की खेती शुरू करने में सबसे ज्यादा परेशानी विभाग द्वारा अपेक्षित सहयोग न मिल पाने के कारण हुई है. औपचारिकताओं के पूरा होने के विलंब होने के कारण बैंकिग लाभ को मिलने में भी दिक्कत आती है.