मध्यप्रदेश के इंदौर में रहने वाले गोविंद सनवदिया गांव में 20 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती करने का कार्य कर रहे है. दरअसल गोविंद अपने रिश्तेदार मनीष बिरला के साथ मिलकर एक विशेष दुर्लभ प्रकार की किस्म के गेहूं 'बंसी' को उगा रहे हैं. महंगा होने के साथ इस गेहूं की किस्म डायबिटीज, बीपी जैसी बीमारी वालों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद है. इस तरह की फसल की प्रजाति पूर्ण रूप से जैविक है जो लोगों की सेहत के लिए फायदेमंद है. इसके साथ ही किसान गोविंद अपने खेत में कई और तरह की सब्जियों को उगाने का कार्य कर रहे है. इसके अलावा कई और तरह के पेड़-पौधे भी उगाने का कार्य किया जा रहा है. गोविंद आसपास के किसानों को भी इस तरह की प्राकृतिक खेती के लिए जागरूक करने का कार्य कर रहे है. कुछ दिन पहले ही उन्होंने कई किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में प्रशिक्षण दिलवाया है जिसमें 100 से अधिक किसानों ने लाइव प्रशिक्षण किया है.
हो रहा है मधुमक्खीपालन
गोविंद सनवदिया गांव में मधुमक्खीपालन के कार्य को करके शहद उत्पादन का कार्य भी कर रहे है. उन्होंने यहां पर बी-कीपिंग के कार्य को शुरू कर दिया है. इसके लिए सबसे पहले एक विशेष लकड़ी के बॉक्स में मधुमक्खीपालन का कार्य किया जाता है. इनका छत्ता मोम का बना होता है. एक छत्ते में 20 से 60 हजार मादा मधुमक्खियां होती है. ज्यादातर मादा मधुमक्खियां कुल एक बार में 50 से 100 फूलों का रस अपने अदंर इकट्टठा करने का कार्य कर लेती है. इनकी जिंदगी कुल 45 दिन तक ही होती है लेकिन सबसे खास बात है कि इसका शहद कई सालों तक खराब नहीं होता है.
युवाओं को दे रहे बड़ा संदेश
गोविंद सनवदिया का कहना है कि हम गांवों के युवा को नई राह दिखाना चाहते हैं. गोविंद कहते है कि प्रकृति ने हमें ज्यादा नायाब तोहफा दिया है. उन्होंने कहा कि आज इस बात की जरूरत है कि जो भी प्राकृतिक संसाधन है उनका ठीक तरह से इस्तेमाल होना बेहद ही जरूरी है. उन्होंने कहा कि हम अगर जिंदगी में कोई भी कार्य को मेहनत से करें उस कार्य में सफलता जरूर मिलती है. उन्होंने कहा कि किसान इसी तरह की तकनीकों को अपनाएं तो उनको सफलता अवश्य मिलेगी.