हौसले अगर बुलंद हों तो मंजिल कदम चूमती है. इस कहावत को साकार कर दिखाया है दून के एक ऑटो चालक की बेटी ने. नेहरू कॉलोनी निवासी पूनम टोडी ने पीसीएस जे परीक्षा में टॉप कर एक नजीर पेश की है. साथ ही उन लोगों को भी जवाब दिया है, जो लड़कियों को लड़कों से कमतर आंकते हैं.
पूनम के पिता अशोक टोडी ऑटो चलाते हैं. वह बताते हैं कि दिन का 400-500 रुपये ही कमा पाते हैं. इस कम आमदनी में परिवार का भरण पोषण बहुत मुश्किल से किया. उनकी दो बेटियां और दो बेटे हैं. जिनमें उन्होंने कभी फर्क नहीं किया. उन्हें अच्छी शिक्षा देने के लिए घर के अन्य खर्चों में कटौती की.
वह कहते हैं कि बच्चे ही जीवन की असल पूंजी हैं और बेटी ने यह सच भी कर दिखाया है. पूनम ने उनका सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है. मां लता ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर नाज है.
पूनम ने उन लोगों को भी करार जवाब दिया है, जो अंकों के आधार पर व्यक्ति की सफलता का आकलन करते हैं. उस समाज को आइना दिखाया है, जहां बोर्ड परीक्षा के प्राप्तांक पर बच्चों का भविष्य तय होता है. वह बताती हैं कि दसवीं एमकेपी इंटर कॉलेज से की. जिसमें 54 फीसद अंक मिले. इसके बाद 61 प्रतिशत अंक के साथ डीएवी इंटर कॉलेज से बारहवीं की. डीएवी पीजी कॉलेज से ही यूजी, पीजी और फिर लॉ की पढ़ाई की. अब वह एसआरटी, बाहशाहीथौल से एलएलएम कर रही हैं.
पीसीएस जे की टॉपर पूनम को यह सफलता यूं ही नहीं मिली. वह बताती हैं कि यह उनका तीसरा चांस था. इससे पहले वह दो बार पहले भी साक्षात्कार तक पहुंचीं, पर असफल रहीं. लेकिन इन असफलताओं ने भी उन्हें काफी कुछ सिखाया. इससे पहले वह यूपी में सहायक अभियोजन अधिकारी की परीक्षा भी पास कर चुकी हैं.
अपनी सफलता का श्रेय पूनम अपने परिवार को देती हैं. वह बताती हैं, सीमित संसाधन, तंग हालात और जीवन के तमाम उतार-चढ़ाव के बीच परिवार के सदस्य उनकी ताकत बने. बड़ी बहन शीतल की शादी हो चुकी है. बड़े भाई चंदन का अपना काम है और छोटा भाई राजीव मास कम्यूनिकेशन कर रहा है. पूनम ने दिल्ली में कोचिंग ली तो इन सभी ने उनका संबल बढ़ाया. अपने छोटे-छोटे खर्चों में कटौती की. मन में बस यही तमन्ना थी कि पूनम जज बन जाए. पूनम के शिक्षक प्रयाग आइएएस एकेडमी के निदेशक आरए खान का कहना है कि पूनम कई और लड़कियों के लिए भी प्रेरणा बनेंगी.