Aaj Ka Mausam: देश के इन 3 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, जानें अगले 4 दिन कैसा रहेगा मौसम? PM Kusum Yojana से मिलेगी सस्ती बिजली, राज्य सरकार करेंगे प्रति मेगावाट 45 लाख रुपए तक की मदद! जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया Farmers News: किसानों की फसल आगलगी से नष्ट होने पर मिलेगी प्रति हेक्टेयर 17,000 रुपये की आर्थिक सहायता! Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Wheat Farming: किसानों के लिए वरदान हैं गेहूं की ये दो किस्में, कम लागत में मिलेगी अधिक पैदावार
Updated on: 1 August, 2023 5:08 PM IST
Atinderpal Singh

सफलता की कहानी: पंजाब के बरनाला जिले के कट्टू गांव में अतिंदर पाल सिंह पुत्र एस. सरबजीत सिंह ने कृषि के क्षेत्र में उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद खेती को ही एक पेशे के रूप में अपनाया. अतिंदर ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से फसल विज्ञान में एमएससी की डिग्री प्राप्त की है. अतिंदर देसी तरीके से अपनी फसल को उगाते हैं. वह कीटों को खत्म करने के लिए देसी तरीके से बनाए गए कीटनाशक को उपयोग करते हैं. इसके अलावा वह फसल में कीटों और बीमारियों से बचने के लिए फसल चक्र बदलते रहते हैं. वह अपने वैज्ञानिक अध्ययन का उपयोग कर खेती में विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक विधियों का भी इस्तेमाल करते हैं.

अतिंदर पाल ने हल्दी की खेती की शुरुआत महज दो एकड़ के खेत से की थी, लेकिन अब वह पूरे 9 एकड़ के खेत में इसकी सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं. वह हल्दी की सिर्फ खेती ही नहीं बल्कि उसे थोक बाजार में बेचने का भी काम करते हैं. हल्दी की प्रोसेसिंग यूनिट भी उन्होंने अपने घर में लगा रखी है.

वह बताते है कि शुरुआत में उन्हें हल्दी बेचने के लिए गांव-गांव जाना पड़ता था. लेकिन अब उनके घर से ही सारी हल्दी बिक जाती है. अब वह अपनी पैदावार को कनाडा भी बेच रहे हैं. अतिंदरपाल सिंह के मुताबिक, हल्दी की खेती से उन्हें प्रति एकड़ 1,25,000 से 1,50,000 रुपये तक की बचत होती है, जो गेहूं और धान फसल, जिसकी वह पहले खेती किया करते थे, उससे लगभग दोगुनी है.

ये भी पढ़ें: जैविक तरीके से खेती कर किसान तरसेम ने बदली किस्मत, छोटे किसानों के लिए बने मिसाल

अतिंदर ने हल्दी की खेती के बाद गर्म मौसम में मूंगफली की खेती शुरु की और वह इसमें प्रति एकड़ 25 से 30 हजार रुपये की बचत भी कर लेते हैं. उनका कहना है कि युवाओं को कृषि और इससे जुड़े व्यवसाय अपनाने चाहिए और खेती को वैज्ञानिक ढंग देना चाहिए. इससे उनकी आय तो बढ़ेगी ही साथ ही वह लोगों को रोजगार भी मुहैया करा सकेंगे.

अतिंदरपाल अपने फार्म में हर साल 20 से 25 लोगों को रोजगार दे रहे हैं, किसान का कहना है कि जब से उन्होंने धान की जगह हल्दी की खेती शुरू की है, इससे न केवल उनकी आय बढ़ी है, बल्कि उनके खेत की मिट्टी की सेहत भी बेहतर हुई है. वह अपने गांव के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं.

अतिंदर पाल लगातार कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के संपर्क में रहते हैं और उनकी सिफारिशों के आधार पर निर्णय लेते हैं. उनका कहना है कि विशेषज्ञों द्वारा अच्छी तरह से शोध किए गए तरीकों से न केवल पैदावार बढ़ाने में मदद होती हैं बल्कि इससे खेती में होने वाले अनावश्यक खर्चों को भी कम किया जा सकता है.

English Summary: Atinderpal Singh changed his fortune by cultivating turmeric
Published on: 01 August 2023, 05:14 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now