पटना के रहने वाले अशोक पाल आज भेड़ पालन से अच्छा मुनाफा कमाते हैं. घर में शांति एवं संपन्नता है. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब खाने के लाले पड़े रहते थे. दरअसल आज से 10 साल पहले अशोक पाल मजदूरी का काम करते थे. चलिए जानते हैं कि कैसे उन्हें भेड़ पालने का ख्याल आया.
दोस्त से ली भेड़ पालन की सलाह (Sheep rearing advice taken from friend)
अशोक बताते हैं कि मजदूरी के दिनों में कमाई कुछ खास नहीं होती थी. शादी के बाद पांज बच्चो की जिम्मेदारी भी सर पर आन पड़ी, ऐसे में अधिक पैसो की जरूरत महसूस होने लगी. एक दिन उनके दोस्त ने सलाह दिया कि भेड़ पालन व्यवसाय कैसे शुरू किया जा सकता है.
4 भेड़ों से शुरू किया भेड़ पालन (Sheep rearing started with 4 sheep)
10 साल पहले अशोक ने कर्जा लेकर 4 भेड़ों के सहारे अपना छोटा सा सफर शुरू किया था. लेकिन आज उनके पास 150 से भी अधिक भेड़ हैं. उनके मुताबिक ऊन, खाद, दूध, मड़ा, जैसे कई उत्पादों के निर्माण के लिए भेड़ों की अधिक मांग है. इसके अलावा लोग मांस के लिए भी इसकी खरीददारी करते हैं.
भेड़ पालन की देखभाल (Sheep care)
अशोक बताते हैं कि भेड़ों को चारे के रूप में फलीदार(पत्ते, फूल आदि) लोबिया, बरसीम, फलियां आदि पसंद है. इसके अलावा उन्हें पेड़ों के पत्ते, झाड़ियां एवं जड़ वाले पौधे खाना पसंद है.
फार्म में है भेड़ों की कई प्रजातियां (Farm has many species of sheep)
आम भेड़ों के अलावा भी अशोक ने इनकी कई प्रजातियों को पाला हुआ है. उनके पास पूंछी, करनाह और मारवाड़ी नस्ल की भेड़ी भी है. इन्हें वो कई मेलों से खरीदकर लाएं हैं. अशोक बताते हैं कि क्योंकि भूगोलिक रूप से इन सबका मूल स्थान अलग-अलग है, इसलिए इनके देखभाल में अधिक सावधानी बरतनी पड़ती है. अशोक के मुताबिक भेड़ पालन एक संयम का काम है, इसमें मुनाफा हमारी मेहनत और लगन पर निर्भर करता है.
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