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Updated on: 4 June, 2024 11:33 AM IST
किसान बीज संरक्षणवादी और प्राकृतिक खेती प्रशिक्षक महादेव गोमारे, फोटो साभार: कृषि जागरण

आम किसे पसंद नहीं होता, लेकिन हम देखते हैं कि इस रसीले फलों के राजा के पेड़ों की संख्या घटती जा रही है और इसलिए महाराष्ट्र के इस सूखाग्रस्त शहर ने इस शहरी गलती को सुधारने का फैसला किया.  आर्ट ऑफ लिविंग के किसान, बीज संरक्षणवादी और प्राकृतिक खेती प्रशिक्षक महादेव गोमारे कहते हैं, "एक समय था, जब लोग आम के पेड़ों की छत्रछाया में एक गांव से दूसरे गांव की यात्रा करते थे, लेकिन आज शहरीकरण के कारण, हम कृषि भूमि की सीमाओं पर आम के पेड़ नहीं देखते हैं."

इससे 2023 में 'एक लक्ष्य आम वृक्ष' के एक संकल्प का जन्म हुआ, जिसके तहत 1 लाख आम के पेड़ लगाए जाएंगे, ताकि किसानों को अधिक आम के पेड़ उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.

'हमने लातूर के किसानों और निवासियों से आम के बीज इकट्ठा करके हमें देने की अपील शुरू की. आवासीय सोसायटियों, नगर निगम, स्थानीय दुकानों और फल विक्रेताओं- सभी ने इस परियोजना के लिए आम के बीज इकट्ठा करने में योगदान दिया और स्वेच्छा से आगे आए. जल्द ही, लोगों ने हमारे द्वारा विकसित संग्रह केंद्रों पर आम के बीजों के बैग डालना शुरू कर दिया. इन बीजों को मेरे खेत की नर्सरी में बायो एंजाइम्स से उपचारित किया गया और हमने आम के पौधे बनाना शुरू कर दिया. हमने किसानों को केसर की किस्में देने के लिए उन्हें ग्राफ्ट भी किया और सोसायटियों को सामाजिक वानिकी के लिए अन्य किस्में दी. इससे लोगों के इलाकों के आसपास वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को बढ़ावा मिलेगा. जैव विविधता बढ़ेगी और किसानों को ग्राफ्टेड आम के पेड़ों के कारण अधिक आय होगी.

गोमारे कहते हैं, "मेरे खेत में आम के पेड़ हैं और मैं देखता हूं कि इसके रख-रखाव की कम जरूरत होती है, मैं अच्छा मुनाफा कमाता हूं और मेरे परिवार को प्राकृतिक आम भी खाने को मिलते हैं. मैं चाहता हूं कि इस फल को उगाने से अधिक किसानों को लाभ मिले और बच्चों को फिर से इन पेड़ों की छाया और आशीर्वाद मिले." इसलिए 3 वर्षों में 1 लाख से अधिक पेड़ लगाने के लिए, महादेव ने 2023 में आम के बीज सफलतापूर्वक एकत्र किए. गोमारे के अनुसार, पौधे रोपने के लिए तैयार हैं और इस साल जुलाई में किसानों और समितियों को वितरित किए जाएंगे.

मिट्टी के कटाव को रोकना और पानी की बचत

इन फलों को उगाने से न केवल मिट्टी के कटाव को रोकना और पानी की बचत करना सुनिश्चित होता है क्योंकि उन्हें बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है, बल्कि जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन एक वास्तविक चुनौती बनता जा रहा है, बाढ़ और सूखे जैसी जलवायु चरम स्थितियों से निपटने के लिए फलों के पेड़ उगाना आवश्यक हो जाएगा. सबसे बढ़कर, जब पेड़ों पर आम लगने लगेंगे, तो किसान इसे पेंशन योजना के रूप में देख सकते हैं, क्योंकि आम के बागानों से सालाना 4-5 लाख रुपये से अधिक की आय हो सकती है.

एक लक्ष्य आम वृक्ष, फोटो साभार: कृषि जागरण

आम की मांग तो बहुत है, लेकिन आम के मामले में उपभोक्ताओं में अविश्वास की भावना भी पैदा हो गई है. उन्हें नहीं पता कि आम को रसायनों का उपयोग करके उगाया गया है या आनुवंशिक रूप से संशोधित किया गया है. महादेव गोमारे कहते हैं, "यह परियोजना लोगों को रासायनिक रूप से उगाए गए आमों के बजाय पौष्टिक, प्राकृतिक रूप से उगाए गए और स्वस्थ आम के फल देगी." वे कहते हैं, 'आजकल किसान बहुत अधिक आम नहीं उगा रहे हैं क्योंकि इसके लिए जगह की आवश्यकता होती है. एक किसान तभी पेड़ लगाएगा जब उसे इससे लाभ होगा. इस मामले में, आम का पेड़ उगाने के लिए सबसे उपयुक्त फल है, क्योंकि यह यहाँ की मिट्टी के प्रकार के लिए भी उपयुक्त है.'

गोमारे का सपना मराठवाड़ा क्षेत्र में 10 लाख पेड़ लगाने का है. “मराठवाड़ा में पानी की गंभीर समस्या है और किसान पारंपरिक खेती के तरीकों की वजह से महीने में सिर्फ़ 20-30 हज़ार रुपये ही कमा पाते हैं. अगर वे आम के पेड़ उगाएँ और 2 लाख रुपये भी कमाने लगें, तो इससे उनकी आय में काफ़ी बढ़ोत्तरी होगी . साथ ही, मराठवाड़ा की मिट्टी अब आम के लिए ज़्यादा उपयुक्त है और यहाँ बेहतरीन किस्म के आम उगाए जा सकते हैं.”

एक बार जब ज़्यादा किसान ऐसा करना शुरू कर देंगे, तो यह समाज में आम की अर्थव्यवस्था का एक स्थायी चक्र बन जाएगा. गोमारे कहते हैं, "हमारा काम सिर्फ़ शुरुआती कुछ कदम उठाना और किसानों का आत्मविश्वास बढ़ाना है."

English Summary: Art of Living is planting 1 lakh mango trees in Latur under Ek Lakshya Mango Tree latest news
Published on: 04 June 2024, 11:36 AM IST

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