छत्तीसगढ़ के करतला व कोरबा ब्लॉक के किसान सामूहिक रूप से खेती करके आत्मनिर्भर बनते जा रहे हैं. पहले ये सभी किसान केवल धान की खेती पर ही निर्भर रहते थे लेकिन चार साल पहले किसानों ने मिलकर इंटर क्रॉप करना शुरू किया था. अब उनकी आमदनी चार गुना तक बढ़ गई है. अब यहां के किसान धान के अलावा मूंगफली, आलू, प्याज के साथ-साथ सब्जियों की फसल लेते हैं. इस बदलाव का व्यापक असर अब आसपास के किसानों पर भी पड़ने लगा है. हालांकि, किसानों को इससे बड़ी मात्रा में मुनाफा हो रहा है.
बाड़ लगाना चुनौती
किसान, कन्हैया राठिया बताते हैं कि उनकी 5 एकड़ जमीन में से 2 एकड़ भाठा जमीन थी. इसलिए महज 3 एकड़ में ही धान की फसल लगाते थे. नतीजतन परिवार की वार्षिक आय मात्र 10 से 15 हजार ही थी. इससे बच्चों को न तो ठीक से पढ़ाई करा पाते थे और न ही अन्य खर्च के लिए रुपए मिल पाते थे. स्थिति को देखते हुए चार साल पहले किसानों ने बैठक कर भाठा जमीन को उपजाऊ बनाने का निर्णय लिया. इसमें नाबार्ड का भी सहयोग मिला. पहले सभी ने खेती को सुरक्षित करने के लिए बाड़बन्दी की ताकि जानवर फसल को नुकसान न पहुंचाएं. इसके लिए बारबेट तार खरीदने के साथ ही लकड़ी की व्यवस्था करने में समय लगा. इसके बाद जमीन में आम, काजू का पौधारोपण करने के साथ ही बेर लगाए ताकि लाखों की आमदनी हो सके. सभी ने मिलकर सिंचाई के लिए बोरवेल लगाया. जिसका पानी सभी के बाड़ी में जाता है. इसके बाद किसानों ने इंटर क्रॉप लेना शुरू किया जिससे उनकी अतिरिक्त आय होने लगी. अब सालना 50 से 60 हजार की अतिरिक्त आय हो जाती है और साथ ही किसानों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती जा रही है.
महिलाएं समूह में कर रहीं कार्य
इस गांव की महिलाएं भी खेती को आगे बढ़ाने के लिए तेजी से समूह में कार्य कर रही हैं. नाबार्ड के स्व सहायता समूह से जुड़ी हुई महिलाएं 31 लाख रूपए का कर्ज लेकर गांव में अलग-अलग व्यवसाय करने का कार्य कर रही हैं. महिलाएं सिलाई मशीन के साथ ही सब्जी उत्पादन, अगरबत्ती उत्पादन, बकरी पालन, होटल, किराना, सुहाग, भंडार और बांस के शिल्प का कार्य भी कर रही हैं. छोटे-छोटे व्यापार से भी महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. महिलाओं का कहना है कि पहले काम करने के लिए उनको बाहर जाना पड़ता था लेकिन अब घर में ही इतना काम है कि कहीं बाहर जाने की जरूरत ही नहीं रहती है.