हिमाचल प्रदेश में शीत मरूस्थल लाहुल स्फीति अब जल्द ही हींग की खुशबू से महकेगा। दरअसल देश में पहली बार हिमाचल के इस हिस्से में हींग के उत्पादन का कार्य शुरू किया जा रहा है। हिमालय की जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान ने कृषि की तकनीक को विकसित करके काफी किफायती और गुणवत्तायुक्त हींग की पौध को तैयार करने का कार्य किया है। दरअसल यहां पर नेशनल प्लांट जैनेटिक के माध्यम से बीज को उपलब्ध करवाया गया है, जिससे गुणवत्तायुक्त हींग की पौध को तैयार करने का काम किया गया है। इस तरह यहां पर हींग के विकसित होने से न केवल लोगों को रोजगार के अवसर आसानी से पैदा होंगे बल्कि किसानों की आय में आसानी से बढोतरी होगी।
हो रही है हींग के बीज की बुवाई
दरअसल इसकी खेती के लिए सीआएसआईआर हिमालय संस्थान के निदेशक ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर सारी जानकारी दी है। हिमालय जैवसंपदा जैविक संस्थान ने लाहौल -स्फीति के रिबलिंग में हींग की बिजाई को करने का कार्य तेज किया है। देश में अभी तक हींग का उत्पादन नहीं होता है जबकि विश्व ज्यादा हींग की खपत भारत में ही होती है। इसके साथ ही मोंक फ्रुट से प्राकृतिक मिठास तत्व विकसित करने की दिशा में तेजी से अग्रसर हो रहा है। इसके अलावा यहां पर हींग के साथ केसर की खेती का विस्तार हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र जैसे भारत के अन्य राज्यों में भी किया जा रहा है।
प्रशिक्षण के बारे में जानकारी दी
हींग की खेती के साथ ही राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर सीएसआईआर हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान में वहां के निदेशक ने भी विज्ञान से जुड़ी अन्य के बारे में भी प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने बताया है कि विज्ञान का मूल उद्देश्य मानव आवश्यकताओं को पूरा करना होता है। उन्होंने खेती के साथ - साथ वैज्ञानिकों को समुदाय के पास जाना होगा और उसी के आधार पर शोध करके इसको पूरा किया जा सकता है। इसके साथ ही इस दौरान उन्होंने विज्ञान में रमन खोज के बारे में भी जानकारी दी है।