घोड़ा!... फूर्ति, शक्ति और ऊर्जा से भरा एक शानदार जानवर. ये जानवर पृथ्वी पर सबसे प्राचीन पालतू जानवरों में से एक है. आरम्भ से ही कभी सवारी के लिए, कभी खेती के लिए, कभी जंग के लिए और न जाने किन-किन चीज़ों के लिए घोड़े का इस्तेमाल होता आया है. घोड़ा जितना ताक़तवर होता है उससे कहीं ज़्यादा वह अपने पालक के लिए वफ़ादार होता है
आज भले ही घोड़े का इस्तेमाल पहले जैसे बड़े पैमाने पर नहीं होता है लेकिन फिर भी इस अद्भुत जीव के प्रति लोगों का शौक़ कम नहीं हुआ है. समय के साथ-साथ अच्छी नस्लों के घोड़ों का इस्तेमाल खेलों में, फ़ौज में, रेसिंग में किया जाने लगा. कई लोग शौक़िया तौर पर भी घोड़ों को पालते हैं.अगर अच्छी तरह से देखभाल के साथ बढ़िया नस्ल के घोड़े पाले जाएं तो इसमें कोई शक नहीं है कि पालक इससे अच्छा पैसा कमा सकते हैं. आइये जानते हैं घोड़ा पालन (horse breeding) से जुड़ी हर एक बात...
आर्यों ने शुरू किया घोड़ा पालन!
निश्चित तौर पर बतौर पालतू जानवर घोड़े का इतिहास जानना बेहद मुश्किल है, क्योंकि अलग-अलग लोगों का इस पर मत भी अलग-अलग है. कुछ मानते हैं कि दक्षिण रूस (Russia) के पास आर्यों ने सबसे पहले घोड़े को पालना शुरू किया था. फिर धीरे-धीरे घोड़ा पालन का चलन यूरोप (Europe) और फिर अमेरिक (America) तक पहुंचा. घोड़ों के इतिहास (Horse History) पर सबसे पहले किताब शालिहोत्र ऋषि ने महाभारत काल से पहले लिखी थी जिसका नाम ‘शालिहोत्र’ था.
अच्छी क़िस्मे-
देश में घोड़ा राजस्थान, गुजरात, पंजाब और मणिपुर में प्रमुखता से पाला जाता है. काठियाड़ी, मारवाड़ी, स्पीती, मणिपुरी पोनी घोड़ा, भूटिया और कच्छ सिंध घोड़े की क़िस्मों को भारत की जलवायु के अनुसार पालने के लिहाज से अच्छा माना जाता है. इन क़िस्मों में भी काठियाड़ी और मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों को अव्वल मान जाता है.
ऐसे कर सकते हैं घोड़ा पालन-
घोड़ा पालन की सबसे पहले शर्त ये है कि आपके पास बड़ी भूमि होनी चाहिए. ज़ाहिर है कि घोड़ों के स्वस्थ रहने और स्वतंत्र विचरण के लिए ये ज़रूरी है. हर घोड़े के पालन के लिए 170 वर्गफ़ीट जगह की ज़रूरत होती है. घोड़ों का चारा रखने, ठहरने, दवाइयां रखने, चारागाह के लिए अलग-अलग कमरों की ज़रूरत होती है. घोड़ों की कोठरी साफ़-सुथरी और हवादार होनी चाहिए. उनके बिस्तर के रूप में आप लकड़ी के बुरादे का उपयोग कर सकते हैं. आपके पास अगर ज़मीन है तो आप घोड़ा पालन कर सकते हैं. ध्यान रखें कि घोड़ों को पालना निहायत ही ज़िम्मेदारी भरा काम है इसलिए आपको रोज़ाना उनके देखभाल, खान-पान, रहन-सहन को देखना होगा और उसी के मुताबिक़ इंतज़ान करना होगा. अगर आपकी दिनचर्या व्यस्तता से भरी हुई होती है तो आपको घोड़ा पालन के लिए केयरटेकर की ज़रूरत पड़ेगी.घोड़ों के जीवन काल की बात करें तो यह 25 से 30 साल तक होता है. औसतन 5 से 6 साल की आयु तक एक अश्व प्रजनन के लिए तैयार हो जाता है.
भोजन-
घोड़ों को सालभर हरी ताज़ी घास खाने के लिए देनी चाहिए. इसके अलावा घोड़ों के भोजन में चना, लोबिया, ब्रासिका, दूब आदि के साथ चुकंदर, भूसी, ज्वार, बाजरा दे सकते हैं. ध्यान रखें कि घोड़े को दिए जाने वाले कुल आहार में नाइट्रेट का स्तर 0.5 फ़ीसदी से अधिक न हो. घोड़ियों की प्रारंभिक गर्भावस्था के लिए जई घास उत्तम चारा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि घोड़े अपनी वज़न (horse weight) का 1% से ज़्यादा घास खा सकते हैं.
सेहत का रखें ख़्याल-
घोड़े को रोगरहित और तंदुरुस्त रखने के लिए ये ज़रूरी है कि आप हमेशा घोड़ों के रोग के विशेषज्ञ पशु चिकित्सक के सम्पर्क में रहें, ताकि किसी भी विपरीत समय में चिकित्सक के माध्यम से घोड़े की उचित देखभाल की जा सके. अगर वो टाइम पर नहीं आ सकते तो फ़ोन के ज़रिये उनके मार्गदर्शन में आप घोड़ों की देखभाल कर सकते हैं. आपके पास घोड़ों की दवाओं का किट भी मौजूद होना चाहिए. घोड़ों में अगर कोई बीमारी होती है तो उन्हें सीधा खड़ा होने में दिक़्क़त होती है. इसके अलावा बीमार होने पर वो पूरा दिन सोते हैं और खाना भी सही से नहीं खाते हैं. इन लक्षणों के दिखाई देने पर आपको तुरंत पशु चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए. घोड़ों की नियमित स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए, जिससे समय-समय पर उनकी अच्छी देखभाल की जा सके और घोड़े स्वस्थ रहें.
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आर्थिक लाभ-
आज के दौर में घोड़ों का ज़्यादातर इस्तेमाल, खेलों में, सैन्य उपयोग में और आर्थिक रूप से सम्पन्न लोग शौक़ के तौर पर करते हैं. अगर आपके पास अच्छे नस्ल के घोड़े हैं तो आप सिर्फ़ एक घोड़े से अच्छा पैसा कमा सकते हैं. एक घोड़ा लाखों रुपये में बिकता है. इसलिए कई मायनों में घोड़ा पालन खेती से अच्छा पैसा कमाकर देता है.