गाय के दूध, गोबर और गोमूत्र से हम अपनी सेहत की देखभाल करते हैं, लेकिन गाय के गोबर से देश के किसानों का आर्थिक तरक्की का रास्ता खुलने वाला है, ये बात आपको आश्चर्यचकित कर देगी.
जी हाँ...ये खबर वैदिक पेंट से जुड़ी है. और आप ये जान के हैरान रह जायेंगे कि वैदिक पेंट गाय के गोबर से बना हुआ है. ये किसानों की जिंदगी में खुशहाली का रंग भरने वाला गोबर है. केंद्र सरकार का दावा है इस पेंट से गाय पालने वाले किसानों को 30,000 रूपए की सालाना आमदनी हो सकती है.
गाय के गोबर से बना ये पेंट पर्यावरण के लिए अच्छा माना जा रहा है, साथ ही देश में इससे एक नए स्टार्टअप की शुरुआत हो सकती है. इस पेंट से नए रोजगार के अवसर बढ़ने की भी संभावना जताई जा रही है.गाय के गोबर (Cow Dung) को कोई और नहीं बल्कि खुद सरकार खरीदेगी. साथ ही लोगों को आमतौर पर मिलने वाली गोबर की कीमत (Cow Dung Price) के मुकाबले चार गुना अधिक पैसा भी देगी.
प्राकृतिक पेंट के लिए राज्यों का चयन (State selection for Khadi paint)
राजस्थान के जयपुर में पहली बार खादी ग्रामोद्योग आयो (KVIC) की ओर से गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट (Natural Paint) बनाकर जनवरी में ही लांच किया गया था. हालांकि अब देश के छह बड़े शहरों में भी गाय के गोबर (Cow Dung) से प्राकृतिक पेंट (Natural Paint) बनाने के लिए मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट (Manufacturing Unit) लगाने की तैयारी की जा रही है.
इनमें देश की राजधानी दिल्ली सहित अहमदाबाद, बंगलुरू, यूपी के वाराणसी, नासिक और उड़ीसा के चौद्वार शहर शामिल हैं. केवीआईसी की ओर से छह राज्यों को चुना गया है.
खादी एवं ग्रामोद्योग के अधिकारियों के अनुसार, इन चयनित ६ राज्यों के प्रमुख एवं बड़े शहर में एक-एक यूनिट लगाकर गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाया जाएगा, साथ ही इन्हीं शहरों के आसपास के लोगों से इस वैदिक पेंट को बनाने के लिए गाय का गोबर (Cow Dung) भी खरीदा जाएगा.
इस पेंट के निर्माण के लिए आम लोगों, गौशालाओं (Gaushala) से पांच रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर गोबर खरीदा जाएगा. केवीआईसी का कहना है कि अभी तक लोग एक से डेढ़ रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर खाद या परंपरागत चीजों के लिए गाय के गोबर को बेचते रहे हैं. या फिर इसके उपले बनाकर बेचते हैं जिसमें लागत और श्रम भी लगता है, लेकिन अब केवीआईसी इसके करीब चार से पांच गुना ज्यादा दाम देकर गोबर को खरीदेगा.
प्राकृतिक पेंट का उद्द्येश्य (Purpose of natural paint)
12 जनवरी, 2021 को राजस्थान के शहर जयपुर में पहली बार खादी ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की ओर से गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाकर लांच किया गया था. यह पेंट किसानों की आय बढानें और देश में स्वरोजगार पैदा करने के मकसद के लिए बनाना प्रारंभ किया गया है. इस नई तकनीकी से अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए केवीआईसी ने इस परियोजना को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत शामिल किया है, जो रोजगार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है. यह पेंट दो किस्मों- डिस्टेंपर और इमल्शन में उपलब्ध होगा.
प्राकृतिक पेंट की विशेषता (Importance of natural paint)
यह गाय के गोबर से बना एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और इकोफ्रेंडली पेंट है. यह पेंट दीवाल पर रंगने के बाद ये 4 घंटे में ही सूख जायेगा. सबसे बड़ी बात इस पेंट की यह है कि आप अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें कोई और रंग भी मिला सकते हैं. यह पहला ऐसा पेंट है जो विष रहित होने के साथ साथ जीवाणु- रोधी और फफूंदी-रोधी गुणों से भरपूर है. यह पेंट पर्यावरण के अनुकूल, नॉन-टॉक्सिक, गंधहीन और सस्ता है.
किसानों को प्राकृतिक पेंट से मिलने वाला लाभ (Benefits of Khadi paint to farmers)
किसान या पशुपालक गाय के गोबर को बेचकर रोजाना 100 रूपए से 125 रूपए तक की कमाई कर सकता है, साथ ही महीने के तीन हजार से चार हजार रूपए गाय के गोबर को बेचकर किसान कमा सकता है. इस पेंट के लिए गाय का गोबर बेचने वाले किसानों, गौ पालकों को 30,000 रूपए की सालाना आमदनी हो सकती है.
प्राकृतिक पेंट की बढती मांग (Increasing demand for Khadi paint)
छह महीने पहले लांच हुए इस प्राकृतिक पेंट की मांग लगातार बढ़ रही है. लोग अपने घरों को इससे रंग रहे हैं. खादी ग्रामोद्योग आयोग के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इसकी सेल काफी बेहतर है. अब खादी ग्रामोद्योग ने इसकी ऑनलाइन बिक्री भी शुरू कर दी है. जिसके बाद से देशभर में कहीं से भी लोग ऑर्डर करके इस पेंट को मंगवा सकते हैं.
फैक्ट्री खोलने में 15 लाख रूपए का खर्च (15 lakhs rupees spent in opening the factory)
जानकारी के मुताबिक गोबर से पेंट बनाने वाली एक फैक्ट्री खोलने में लगभग 15 लाख रूपए का खर्च आ रहा है. यह देश का पहला ऐसा पेंट है जो विष रहित होने के साथ साथ फफूंद– रोधी, जीवाणु-रोधी गुणों वाला भी है. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार इस पेंट को पूरे देश में बढ़ावा दिया जायेगा ताकि युवा उद्यमी गाय के गोबर से पेंट बनाने की इस नयी तकनीक से लाभ लेकर, ग्रामीण और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा सके.