बसंत पंचमी (Basant Panchami) भारत के सबसे जीवंत त्योहारों में से एक है. यह बसंत के मौसम की शुरुआत में मनाई जाती है. उसके बाद होली (Holi) होती है जो ज्यादातर फरवरी या मार्च की शुरुआत में एक महीने के भीतर आती है. लेकिन क्या आपको पता है कि बसंत पंचमी और पीले रंग (Yellow Colour) का क्या संबंध है? अगर नहीं पता तो यह लेख आपके लिए है जिससे आपको पूरी जानकारी मिल पायेगी.
किसानों के लिए बसंत पंचमी की अहमियत (Importance of Basant Panchami for Farmers)
बसंत पंचमी ऐसे समय में मनाई जाती है जब सरसों के पके पौधों के चमकीले पीले फूल (Bright Yellow Flowers of Mustard Plants) भारत की चादर बन जाते हैं. बता दें कि दुनिया भर में कई वसंत फूल पीले होते हैं जिनमें डैफ़ोडिल (Daffodil) भी शामिल हैं. गेंदा, रात की चमेली, पीली जलकुंभी, पीली लिली और फोर्सिथिया झाड़ियां भारत में कई पीले वसंत फूलों में से हैं. और यही बसंत पंचमी का प्रमुख रंग होने का मुख्य कारण है.
बसंत पंचमी के सुरीले पाठ (Melodious lessons of Basant Panchami)
वहीं ऐसा मानना है कि देवी सरस्वती का प्रिय रंग पीला है. सरस्वती मूर्तियों (Saraswati Idols) को हमेशा पीले फूलों और एक ही रंग की साड़ियों से सजाया जाता है और कभी-कभी सफेद रंग का उपयोग पवित्रता और ज्ञान के प्रतीक के रूप में भी किया जाता है.
सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) मनाने वाले लोग पारंपरिक रूप से बसंत पंचमी के दौरान पीले कपड़े और सामान पहनते हैं. यहां तक कि देवी सरस्वती को दिया जाने वाला प्रसाद भी आमतौर पर पीले रंग का होता है.
बसंत पंचमी बृजभूमि में होली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और वृंदावन में मंदिरों को गेंदे के फूलों (Marigold Flowers) से सजाया जाता है. मंदिरों में मूर्तियों को भी अक्सर वसंत के आगमन को चिह्नित करने के लिए पीले कपड़े से सजाया जाता है.
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बसंत पंचमी की विविधता (Diversity of Basant Panchmi)
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राजस्थान में लोगों के लिए Basant Panchami पर चमेली की माला (Jasmine Garland) पहनने का रिवाज है.
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वहीं महाराष्ट्र में नवविवाहित जोड़े पीले कपड़ों में शादी के बाद अपनी पहली बसंत पंचमी पर पूजा करने के लिए मंदिरों में जाते हैं.
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पंजाब में भी पीली पगड़ी पहनने की परंपरा है.
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उत्तराखंड में लोग बसंत पंचमी पर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं और लोग पीले चावल या 'मीठा चावल' खाने और पीले पहनने के लिए जाने जाते हैं.
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वहीं एक कारण यह भी है कि पीला रंग हिंदू संस्कृति में ज्ञान, सीखने और खुशी का प्रतीक है.
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लोग चमकीले पीले कपड़े पहनने के साथ-साथ पीले रंग के स्नैक्स और मिठाई जैसे केसर चावल, 'शीरा', बूंदी के लड्डू और खिचड़ी भी तैयार करते हैं.