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Updated on: 7 August, 2023 11:41 AM IST
National Handloom Day

भारत सरकार ने देश में हथकरघा बुनकरों के सम्मान के लिए वर्ष 2015 से हर 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने की शुरुआत की है. इस दिन देश में पारंपरिक हथकरघा वस्त्रों की सांस्कृतिक विरासत और देश की शिल्प कलाओं की चर्चा की जाती है. इस दिवस का उद्देश्य देश में ‘हथकरघा’ उद्योग को बढ़ावा देना और लोगों को इससे बने कपड़े को पहनने का आग्रह करना है. आज भी देश में बड़ी संख्या में कारीगर अपनी आजीविका के लिए इस करघे उद्योग पर निर्भर हैं. हर साल 7 अगस्त को देश  के विभिन्न हिस्सों में करघे से बने उत्पादों के महत्व और जागरूकता के बारे में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

इस हैंडलूम उद्योग में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है, जिनमें देश की बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं. यह उद्योग देश की महिलाओं को रोजगार के साथ-साथ उन्हें आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर भी बना रहा है. देश में कई राज्य जैसे कि आंध्र प्रदेश के कलमकारी, गुजरात के बांधनी, तमिलनाडु के कांजीवरम, महाराष्ट्र के पैठनी, मध्य प्रदेश के चंदेरी और बिहार के भागलपुरी में हाथों से बने सिल्क देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के देशों में प्रसिध्द हैं.

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हैंडलूम का इतिहास(History of handloom)

हैंडलूम का भारत की आजादी की लड़ाई में एक बहुत बड़ा योगदान रहा है. वर्ष 1905 में लार्ड कर्ज़न ने जब बंगाल के विभाजन की घोषणा की थी तो इस निर्णय के विरोध में कोलकाता के टाउनहॉल में एक जनसभा से स्‍वदेशी आंदोलन की शुरुआत की गई थी. इसी घटना की याद में भारत सरकार ने हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रुप में मनाने का निर्णय लिया था. आज 7 अगस्त, 2023 को हम देश का 9वां हैंडलूम दिवस मना रहे हैं.

हथकरघा दिवस का उद्देश्य

भारत के अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान लघु और मध्यम उद्योग को होता है. ऐसे में हथकरधा उद्योग भी इन्ही में से एक है. भारत सरकार इस उद्योग को बढ़ावा देकर न ही सिर्फ देश की सांस्कृतिक धरोहर को बचाना चाह रही है, इसके साथ ही इसमें काम करे रहे कारीगरों की आर्थिक हालात भी सुदृढ़ करना चाह रही है.

English Summary: National Handloom Day 2023, why its being celebrated on 7 august
Published on: 07 August 2023, 11:45 AM IST

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