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Updated on: 16 May, 2022 11:03 AM IST
जमीन से निकलने वाले 6 जहरीले सांप

कॉमन करैत 

मानसून सीजन शुरू  होते ही कॉमन करैत बिल के बाहर आ जाते हैं. यह देश के सबसे जहरीलों सांपों में से एक है. यह आम तौर पर रात के वक्त काटता है. खासतौर पर रात 12 बजे सुबह चार बजे के बीच जब लोग सो रहे होते हैं, तब इसका काटने का मुफीद समय होता है.

जंगल से निकलकर यह जमीन पर पड़े बिस्तर में घुसने की कोशिश करता है, ताकि उसे गरमाहट मिल पाए. यह जमीन पर सो रहे लोगों के साथ चिपक भी जाता है. जब लोग हिलते-ढुलते हैं तो यह काट लेता है. जब यह काटता है तो लोगों को बिल्कुल भी अहसास नहीं होता. लोगों को ऐसा महसूस होता है कि उसे किसी चींटी या मच्छर ने काटा हो. यह मुख्य रूप से कान के पास, गले, चेस्ट और पेट पर काटता है. कई बार देखा गया है कि सोते वक्त जब कॉमन करैत किसी व्यक्ति को काटता है तो वह सोता ही रह जाता है. इसके काटने से मरीजों में न्यूरो पैरालिसिस होता है और दम घुटने लगता है. इसके काटने पर 60 प्रतिशत व्यक्तियों की मौत हो जाती है. 

कैसा दिखता है करैत 

इसकी लंबाई 100 सेंटीमीटर होती है. बीच-बीच में सफेद रंग की धारियां बनी होती हैं. पानी के साथ लगते गार्डन और फार्म हाउस में पाया जाता है, खेतों की क्यारियां भी इसे पसंद है. जब कॉमन करैत काटता है तो बिना देर किए मरीज को अस्पताल ले जाना चाहिए. यह चंडीगढ़ सहित पूरे उत्तर भारत में पाया जाता है.

रसेल वाइपर 

यह अजगर जैसा दिखता है. खाकी रंग के साथ इस पर गहरे भूरे रंग के फूल जैसे बने होते हैं. यह अक्सर सूखे पत्तों, झाड़ियों, खेती बाड़ी और पानी वाली जगहों पर मिलता है इसीलिए हमारे किसान भाइयों को सतर्क रहने की जरूरत है. यह सुखना लेक और रॉक गार्डन के आसपास अक्सर देखा जाता है. 

बचाव में काटता है रसेल 

बहुत कम बार यह साफ जगहों पर देखा जाता है. यह ऐसे नहीं काटता, जब किसी का पैर इस पर पड़ता है तो यह बचाव में काट लेता है. इसके काटने से सबसे ज्यादा किसानों की मौत होती है. जब यह काटता है तो कई लोग समझते हैं कि अजगर ने काट लिया. इस लापरवाही के कारण लोग इलाज नहीं कराते और उनकी मौत हो जाती है. यह सालभर दिखते हैं. ठंड के वक्त यह झाड़ियों में धूप सेंकने भी निकलता है. रसेल वाइपर के काटने पर बहुत तेजी से दर्द होता है. उसके बाद शरीर में सूजन, उल्टियां, ब्लीडिंग और किडनी फेल हो जाती हैं.

कोबरा

इसकी गिनती भी जहरीले सांपों में होती है. यह तीन तरह का होता है. पहला चित्तीदार, दूसरा काला और तीसरा भूरे रंग का. रसेल वाइपर के मुकाबले इसकी फुहार कम होती है. यह लोगों से दूर रहना चाहता है, लेकिन चूहों का बहुत शौकीन होता है. चूहों के चक्कर में यह घर के किचन, स्टोर रूम और बाथरूम में घुसकर बैठ जाता है.यह खेतों भी चूहे ढूंढता है. यह तभी काटता है, जब किसी व्यक्ति का पैर या फिर हाथ लग जाए.  यह कम से कम छह फुट लंबा होता है. इसके काटने पर भी व्यक्ति की मौत हो जाती है.

रेट स्नैक 

रेट स्नैक में जहर बिल्कुल भी नहीं पाया जाता. यह मुख्य रूप से गिलहरी, चिड़िया और उनके अंडे खाने का शौकीन होता है. चूहों को भी खाता है. गिलहरी और चिड़ियां के अंडे को खाने के लिए यह पेड़ों पर भी चढ़ जाता है. इसके काटने पर थोड़ी घबराहट होती है, लेकिन मौत का खतरा नहीं रहता. यह कई बार पेड़ों के सहारे घर के अंदर तक घुस जाता है. 

चेकर्ड कीलबैक

यह पानी वाली जगहों के आसपास पाया जाता है. धनास लेक  और घग्गर के पास इसे देखा जा सकता है. यह मुख्य रूप से मछली और मेंढक खाने का शौकीन होता है. कई बार पानी की तलाश में नाले के सहारे किचन या कमोड में पहुंच जाता है. सांप की यह प्रजाति भी शहर में काफी पाई जाती है. इसमें जहर बिल्कुल नहीं होता. यह खेतों में कम ही पाया जाता है. 

वूल्फ स्नैक 

पंजाब यूनिवर्सिटी के आसपास के इलाकों में यह काफी पाया जाता है. यह बिना प्लास्टर वाली दीवारों पर आसानी से चढ़ जाता है. यह छिपकली के बच्चों और कॉकरोच खाने का शौकीन होता है. गहरे ब्राउन कलर होने के साथ यह ज्यादा मोटा नहीं होता. इसमें पीले रंग की धारियां होती हैं. इसमें भी जहर बिल्कुल नहीं पाया जाता.

ये होते हैं  सर्पदंश के लक्षण

  1. घाव के दो निशान

  2. घाव के आसपास सूजन और लालपन

  3. सांस लेने में दिक्कत

  4. उल्टियां

  5. आंखों के सामने अंधेरा

  6. घाव वाले स्थान पर जलन

  7. चेहरे और पैर में अकड़न

सांप काटने पर ये नहीं करना चाहिए

  1. सांप काटने वाले अंग को नहीं हिलाना चाहिए

  2. पेशेंट को न तो चलना चाहिए और न ही दौड़ना चाहिए

  3. घाव वाले स्थान पर न तो कट लगाएं, न ही उसे जलाएं

  4. समय बर्बाद न करें

  5. न तो डरना चाहिए और न तो डर फैलाना चाहिए.

सांप काटने पर क्या करें 

झाड़-फूंक के बजाय नजदीकी अस्पताल ले जाएं. विशेषज्ञ बताते हैं कि सांप काटने पर मरीज को झाड़-फूंक या किसी देसी दवा दिलाने के बजाय उसे नजदीकी अस्पताल ले जाएं. मानसूनी सीजन में अस्पताल में एंटी वैनम वैक्सीन जिला और अस्पताल प्रशासन को प्राथमिकता के तौर पर उपलब्ध कराना चाहिए. पीजीआई में हर वक्त एंटी वैनम मौजूद रहती है. कई बार तो सांप काटने वाले पेशेंट में एंटी वैनम लगाने की जरूरत नहीं पड़ती.

English Summary: Monsoon Snake: 6 poisonous snakes coming out of the ground during monsoon which are dangerous
Published on: 16 May 2022, 11:11 AM IST

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