पूरे विश्व में भारत एक मात्र ऐसा देश माना जाता है, जहां हिन्दू रीत रिवाजों के साथ त्योहारों को मनाया जाता है. इन्हीं में से पशुराम जयंती भी एक विशेष और महत्वपूर्ण पर्व के रूप में जानी जाती है. तो आइये जानते हैं साल 2022 में पशुराम जयंती किस दिन मनाई जाएगी और इसकी पूजन विधि का शुभ मुहूर्त क्या है?
दरअसल, हिन्दू पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीय के साथ – साथ पशुराम जयन्ती पर्व का भी बहुत विशेष महत्व है. यह बैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के साथ भगवान परशुराम की जयंती के साथ – साथ मनाई जाती है.
क्यों मनाई जाती है पशुराम जयंती (Why Is Parasuram Jayanti Celebrated?)
कहते हैं बैशाख माह की तृतीय तिथि को भगवान पशुराम का जन्म हुआ था. भगवन पशुराम को श्री विष्णु का अवतार माना जाता है. इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि परशुराम का जन्म धरती पर राजाओं द्वारा किए जा रहे अधर्म, पाप को समाप्त करने के लिए हुआ था. इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि भगवान् पशुराम आज भी जीवित हैं.
परशुराम जयंती का शुभ मुहूर्त (Auspicious Time For Parshuram Jayanti)
- प्रारम्भिक तृतीया तिथि - 3 मई,मंगलवार सुबह 5 बजकर 20 मिनट से शुरू
- समाप्ति तृतीया तिथि - 4 मई 2022, बुधवार सुबह 7 बजकर 30 मिनट तक
पूजन विधि (Worship Method)
- सबसे पहले पूजन विधि को शुरू करने के लिए आपको तिथि के दिन ब्रहम मुहूर्त में जल्दी उठना होगा.
- इसके बाद आपको स्नान करना होगा.
- फिर मंदिर में एक साफ़ जगह पर भगवान की चौकी रखें,
- उस चौकी पर एक लाल कपड़ा रखें.
- भगवान पशुराम की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें.
- मूर्ति स्थपित करने के बाद भगवान पशुराम को हल्दी, अक्षत ,चन्दन और फूलों से उनका श्रृंगार करें.
- इसके बाद भगवान पशुराम की मूर्ति के सामने देशी घी का दीपक जलाकर उनकी आरती करें.
- इस दिन व्रत रखने की भी मान्यता है. यदि आप व्रत रखते हैं तो आपको दिन में एक बार फलहार करना होगा एवं रात में बिना नामक का आहार लेना होगा.
महत्व (Importance)
भगवान पशुराम जयंती के विशेष महत्व को समझाते हुए बता दें कि भगवान परशुराम का जन्म धरती पर बढ़ते पाप को खत्म करने के लिए हुआ था. इतना ही नहीं भगवान परशुराम को भगवान शिव का एकमात्र शिष्य भी माना जाता है. ऐसा कहते हैं कि भगवान परशुराम शंकर भगवान् की कठोर तपस्या कर महादेव को प्रसन्न किया था जिस उपरांत भगवान् शिव ने पशुराम भगवन को भेंट में परशु (फरसा) दिया था.