अब बाजार में जल्द ही कटहल से बने बिस्कुट, चॉकलेट और जूस मिलना शुरू हो जाएगा. खास बात यह है कि यह पूरी तरह से प्राकृतिक होगा. भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बेंगलुरू ने देश में पहली बार कटहल से बिस्कुट, चॉकलेट और जूस को तैयार करने में सफलता हासिल की है. इसको जल्द ही बाजार में उतार दिया जाएगा. संस्थान के निदेशक का कहना है कि पके कटहल से चॉकलेट, जूस और बिस्कुट आदि को तैयार किया गया है. यह कटहल का जूस पूरी तरह से प्राकृतिक होता है जिसमें किसी भी तरह से न तो चीनी का प्रयोग किया गया है और न ही जूस को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए किसी भी तरह के रसायन का प्रयोग किया गया है.
स्वाद में है पौष्टिक
कटहल से तैयार बिस्कुट स्वाद में काफी अच्छा होता है. मानव के स्वास्थय का विशेष ख्याल रखते हुए इसमें 40 प्रतिशत मैदे के स्थान पर कटहल के आटे के बीज का इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल मैदे के प्रयोग से बिस्कुट में रेसे की मात्रा बहुत कम या फिर नहीं के बराबर होती है. इस बिस्कुट में कटहल के गुदे से तैयार पाउडर, मशरूम, मैदा, चीनी, मक्खन और दूध पाउडर मिलाया गया है. इसी तरह से चॉकलेट बनाने में भी कटहल का काफी उपयोग किया गया है. इसमें चॉकलेट पाउडर का प्रयोग किया गया है.
कटहल की विभिन्न किस्मों का प्रयोग हुआ
किसानों को प्रोत्साहित करने की योजनाके तहत देश में कटहल की सिद्धु और शंकर किस्म का चयन किया गया है जिसमें लाइकोपीन भरपूर मात्रा में भरा होता है. इन दोनों ही किस्मों की खास बात है कि इसका फल पकते ही तांबे जैसा लाल हो ता है इसका वजन भी ढाई से तीन किलोग्राम तक होता है.
कटहल के पेड़ से 8 लाख सालाना कमाई
परवेशा का कहना है कि वह पहले कटहल के व्यावसाय से सालाना सात से आठ हजार रूपये की आय ही अर्जित कर पाते थे लेकिन आईएचएचआर के संपर्क में आने से उनकी आय सालाना आठ लाख रूपये तक होती है., वह आज इस संस्थान के सहयोग द्वारा कटहल के पौधे तैयार करने का कार्य करते है. बाद में उन सभी पको वह बेच देते है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष 20 हजार पौधों की मांग आ गई है. कटहल को अधिक वर्षा वाले स्थान पर लगा देने से वह जल्दी खराब हो जाता है. इसकी लकड़ी को बेहद ही मजबूत और उपयोगी माना जाता है और कई किसान इसकी लकड़ी का बहुतायत उपयोग करते है.