श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmastami) का पर्व 30 अगस्त को मनाया जा रहा है. अगर ज्योतिष शास्त्र की मानें, तो इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmastami) पर जयंती योग बन रहा है.
ऐसा योग करीब 101 साल बन रहा है, जो बहुत शुभ है. ऐसा माना जाता है कि अगर भक्त इस योग पर श्रीकृष्ण की पूजा करेंगे, तो महालाभ प्राप्त होगा. ज्योतिषाचार्य की मानें, तो इस साल अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र का विशेष योग बन रहा हैं, इसलिए इसे जयंती योग माना जा रहा है.
यह संयोग और बेहतर है, क्योंकि जब द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तो जयंती योग ही था. ऐसे में इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmastami) बहुत खास है.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से जुड़ी खास जानकारी (Special information related to Shri Krishna Janmashtami)
इस साल भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन (Shri Krishna Janmastami) सम्पूर्ण देश में धूमधाम से मनाया जाएगा. बता दें कि भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 29 अगस्त को रविवार को रात 11 बजकर 25 मिनट पर होगा. इसके साथ ही अष्टमी तिथि 30 अगस्त को रात में 1 बजकर 59 मिनट तक रहेगी.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा करने की विधि (Method of worshiping on Shri Krishna Janmashtami)
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जन्माष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें.
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सूर्य को जल चढ़ाए.
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इष्ट देवता को नमन करें.
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फिर उपवास धारण करें.
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इसके बाद श्रीकृष्ण की प्रतिमा और मंदिर को सजाएं.
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उनके आगमन की तैयारी करें.
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श्रीकृष्ण के भोग के लिए मिठाई, फल, दूध-दही, मक्खन, पंजीरी आदि बनाकर पूजा स्थल के पास रखें. ध्यान रहे कि भगवान श्रीकृष्ण के भोग में तुलसी के पत्ते जरूर पत्र डालें, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को बहुत पसंद है.
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इसके बाद रात में एक बार फिर से स्नान करें.
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फिर पंचामृत से बाल गोपाल को स्नान कराएं, साथ ही नए वस्त्र धारण कराए.
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रात्रि 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था इसलिए उस समय का विशेष ध्यान रखकर पूजन करें और भगवान का जन्मोत्सव मनाएं. अब तिलक लगाकर पुष्प चढ़ाएं और दीपक जलाएं.
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इसके बाद भगवान को भोग अर्पित करें.
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इसके बाद ठाकुर जी के नाम का हवन करें, साथ ही आरती भी करें.
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फिर शंख बजाकर पूजा समाप्त करें.
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इसके साथ ही प्रार्थना करें.
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अंत में परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें.
उपयुक्त विधि से आप भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते हैं.