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Updated on: 24 May, 2023 12:38 PM IST
No one in this village wears shoes

आज के इस आधुनिक युग में लोग नए-नए परिवर्तनों के साथ अपने को बदलने का प्रयास कर रहे हैं वहीं भारत में एक ऐसा भी गांव है जहां लोग अपनी पुरानी संस्कृति के पालन के लिए कठोर नियमों का पालन कर रहे हैं. इतना ही नहीं जो भी इस गांव में आता है उसको भी इन्ही नियमों के अनुसार चलना होता है. तो आइये जानें इस गांव के सदियों पुराने इन नियमों के बारे में.

वेमना इंडलू गांव में होता है इन प्रथाओं का पालन

भारत के आंध्रप्रदेश में तिरुपति से लगभग 50 किलोमीटर दूर एक गांव वेमना इंडलू है. जहां आज भी शताब्दियों से चली आ रही प्रथाओं का पालन वैसे ही किया जाता है जैसे पहले के लोग करते आ रहे हैं. अब इसे आप अंधविश्वास कहें या आस्था लेकिन गांव वालों की नजर में इसे बनाये रखना ही उनके पूर्वजों और उनका सम्मान है.

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बाहर का पानी और खाना नहीं खाते

इस गांव के लोग पिछले कई सालों से बाहर का खाना या पानी कभी नहीं खाते-पीते हैं. वह यह सभी व्यवस्थाएं घर से पूरी कर के ही चलते हैं. अगर व्यवस्थाएं न भी हो पाएं तो भी अपने सख्त नियमों के चलते वह पूरा दिन भूखे और प्यासे रह कर ही काट देते हैं. लेकिन बाहर की कोई भी वस्तु नहीं खाते.

Women live outside the village when menstruation occurs

गांव में कोई नहीं पहनता जूते

तिरुपति जिले के इस गांव में आज भी कोई जूते नहीं पहनता है. आबादी की दृष्टि से बहुत ही छोटे से गांव में कई चौंकाने वाले नियमों का पालन आज भी किया जा रहा है. इस गांव में आज तक किसी ने जूते पहन के प्रवेश नहीं किया है. यदि वह जूते पहनते भी हैं तो गांव के बाहर जाकर ही पहनते हैं और वापस आकर गांव के बाहर जूते उतार कर प्रवेश करते हैं.

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अस्पताल नहीं जाते बीमार लोग

गांव के सभी लोग प्राचीन मंदिर की पूजा अर्चना में लगे रहते हैं. उनके अनुसार यह एक ऐसी आस्था मानी जाती है कि यदि कोई व्यक्ति बीमार हुआ है तो वह भगवान की देन है और उसको ठीक करने की जिम्मेदारी भी भगवान की ही है. उनके अनुसार ईश्वर सब कुछ ठीक कर देगा. जानकारी के लिए आपको बता दें कि गांव में शिक्षा का स्तर काफी निम्न है. गांव के लोगों के अनुसार कोई भी व्यक्ति जब बीमार होता है तो वह गांव के प्राचीन मंदिर की परिक्रमा करता है.

दलित समुदाय का प्रवेश वर्जित

गांव में किसी भी दलित समुदाय के व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है. फिर वह कितने भी बड़े पद पर क्यों न हो. गांव के नियमों के अनुसार माहवारी के समय महिलाओं को भी गांव से बाहर रहना पड़ता है. इन सभी नियमों को लोग कई सालों से मानते चले आ रहे हैं और गांव में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति को मानना भी पड़ता है.

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लोगों की आस्था का सम्मान करते हुए आज भी सरकार किसी तरह की दखलांदाजी नहीं करती है. गांव के लोगों के अनुसार यह सभी नियम उनके नहीं हैं यह नियम उनके पूर्वजों के हैं जिनका पालन करना उनका कर्तव्य है यही कारण है कि वह आज भी अपनी परम्पराओं और नियमों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करते हैं.

English Summary: Centuries old practices are followed in this village even today, you will also be surprised to know
Published on: 24 May 2023, 12:57 PM IST

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