Weather Update: आज इन 7 राज्यों में होगी बारिश, IMD ने जारी की चेतावनी, जानें आपके शहर का मौसम पूर्वानुमान! महिंद्रा फार्म इक्विपमेंट बिजनेस ने सितंबर 2025 में दर्ज की 50% वृद्धि, घरेलू बिक्री 64,946 ट्रैक्टर तक पहुंची एनएचआरडीएफ द्वारा पांच दिवसीय मशरूम उत्पादन ट्रेनिंग प्रोग्राम का सफल समापन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 7 May, 2023 1:50 PM IST
कीटनाशक के काम ना करने के 5 कारण

कई बार ऐसा देखने को मिल जाता है कि जब हम फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव करते हैं तो उनके रिजल्ट या तो ना करे बराबर मिलते हैं या उम्मीद से बहुत कम मिलते हैं. आज हम आपको इसके पांच मुख्य कारण बताने जा रहे हैं. तो आइये उनपर एक नजर डालें.

दवाओं की कर लें पहचान

कीटनाशक दवा की पहचान

फसलों पर कीटनाशक का असर नहीं होने का पहला कारण दवा की पहचान है. इसके लिए सबसे पहले कीटनाशक व कीट की पहचान करना बेहद जरुरी है. दरअसल, कीट दो प्रकार के होते हैं. एक खाने वाले श्रेणी में आते हैं तो दूसरा रस चूसने वाले कीट होते हैं. इसी तरह, कीटनाशक भी दो तरह के होते हैं. एक कांटेक्ट व दूसरा सिस्टमेटिक.

सिस्टमेटिक कीटनाशक रस चूसने वाले कीटों को खत्म करते हैं. वहीं, कांटेक्ट पेस्टीसाइड्स फसलों को खाने वाले कीटों का नाश करते हैं. ऐसे में छिड़काव के दौरान दवा की पहचान बहुत आवश्यक है. अगर उसमें बदलाव होता है तो रिजल्ट या तो ना के बराबर या 10 से 20 प्रतिशत मिलेगा. इसलिए कीट की सही जानकारी हासिल कर सही पेस्ट का चुनाव करें.

यह भी पढ़ें- दवा नहीं जहर हैं कीटनाशक, इस रंग के पेस्टीसाइड सबसे ज्यादा घातक
 

बार-बार कीटनाशक का प्रयोग

अगर बार बार फसलों पर कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाए, तब भी रिजल्ट कम या ना के बराबर मिलते हैं. इसका कारण यह है कि लगातार कीटनाशक का प्रयोग करने से कीटों के अंदर रेजिस्टेंस पावर आ जाती है. जिससे उनपर दवा का असर नहीं होता है. एक तरह से यह भी कह सकते हैं कि वह कीटनाशक दवाओं के आदी हो जाते हैं. इसलिए एक महीने में दो से तीन या उससे अधिक बार फसलों पर कीटनाशक का प्रयोग करने से बचें.

पानी का पीएच वैल्यू से भी रिजल्ट मिलता है कम

अगर कीटनाशक के रिजल्ट नहीं मिल रहे हैं तो इसका एक मुख्य कारण पानी की पीएच वैल्यू भी है. यदि पानी की पीएच वैल्यू 750 से ऊपर होगी तब भी कीटनाशक काम नहीं करेंगे. इसके लिए 200 लीटर में 25 एमएल फास्फोरिक एसिड मिलाकर फसलों पर छिड़काव करने से अच्छे रिजल्ट जरुर देखने को मिलेंगे.

गर्मी के दिनों में कम मिलते हैं रिजल्ट

गर्मी के दिनों में लगभग सभी कीटनाशक फेल हो जाते हैं. कहा जाता है कि ज्यादा तापमान में पेस्टीसाइड्स बिलकुल काम नहीं करते हैं. ऐसे में खेतों की सिंचाई जरुरी है और कीटनाशक का छिड़काव हमेशा शाम के समय करना चाहिए.

सही मात्रा में छिड़काव ना करने से भी नहीं मिलता रिजल्ट

किसी भी कीटनाशक का सही मात्रा में छिड़काव करना जरुरी है. अगर स्प्रे के दौरान पेस्टीसाइड्स की मात्रा अधिक या कम हो तब भी कीटनाशक का रिजल्ट देखने को नहीं मिलता है. इसलिए, सही जानकारी हासिल करने के बाद ही खेतों में कीटनाशक का छिड़काव करें. 

English Summary: 5 major reasons for not getting results of pesticides
Published on: 07 May 2023, 02:06 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now