जोंक
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रोपनी जब करते हैं कर्षित किसान ;
तब रक्त चूसते हैं जोंक!
चूहे फसल नहीं चरते
फसल चरते हैं
साँड और नीलगाय.....
चूहे तो बस संग्रह करते हैं
गहरे गोदामीय बिल में!
टिड्डे पत्तियों के साथ
पुरुषार्थ को चाट जाते हैं
आपस में युद्ध कर
काले कौए मक्का बाजरा बांट खाते हैं!
प्यासी धूप
पसीना पीती है खेत में
जोंक की भाँति!
अंत में अक्सर ही
कर्ज के कच्चे खट्टे कायफल दिख जाते हैं
सिवान के हरे पेड़ पर लटके हुए!
इसे ही कभी कभी ढोता है एक किसान
सड़क से संसद तक की अपनी उड़ान में!
थ्रेसर
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थ्रेसर में कटा मजदूर का दायाँ हाथ
देखकर
ट्रैक्टर का मालिक मौन है
और अन्यात्मा दुखी
उसके साथियों की संवेदना समझा रही है
किसान को
कि रक्त तो भूसा सोख गया है
किंतु गेहूँ में हड्डियों के बुरादे और माँस के लोथड़े
साफ दिखाई दे रहे हैं
कराहता हुआ मन कुछ कहे
तो बुरा मत मानना
बातों के बोझ से दबा दिमाग
बोलता है / और बोल रहा है
न तर्क , न तत्थ
सिर्फ भावना है
दो के संवादों के बीच का सेतु
सत्य के सागर में
नौकाविहार करना कठिन है
किंतु हम कर रहे हैं
थ्रेसर पर पुनः चढ़ कर -
बुजुर्ग कहते हैं
कि दाने-दाने पर खाने वाले का नाम लिखा होता है
तो फिर कुछ लोग रोटी से खेलते क्यों हैं
क्या उनके नाम भी रोटी पर लिखे होते हैं
जो हलक में उतरने से पहले ही छिन लेते हैं
खेलने के लिए
बताओ न दिल्ली के दादा
गेहूँ की कटाई कब दोगे?
उम्मीद की उपज
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उठो वत्स!
भोर से ही
जिंदगी का बोझ ढोना
किसान होने की पहली शर्त है
धान उगा
प्राण उगा
मुस्कान उगी
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पहचान उगी
और उग रही
उम्मीद की किरण
सुबह सुबह
हमारे छोटे हो रहे
खेत से….!
इस मौसम में ओस नहीं आंसू गिरता है
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एक किसान
बारिश में
बाएं हाथ में छाता थामे
दाएं में लाठी लिए
मौन जा रहा था मेंड़ पर
मेंड़ बिछलहर थी
लड़खड़ाते-संभलते
अंततः गिरते ही देखा एक शब्द
घास पर पड़ा है
उसने उठाया
और पीछे खड़े कवि को दे दिया
कवि ने शब्द लेकर कविता दी
और उस कविता को
एक आलोचक को थमा दिया
आलोचक ने उसे कहानी कहकर
पुनः किसान के पास पहुँचा दिया
उसने कहानी एक आचार्य को दी
आचार्य ने निबंध कहकर वापस लौटा दिया
अंत में उसने वह निबंध एक नेता को दिया
नेता ने भाषण समझ कर जनता के बीच दिया
जनता रो रही है
किसान समझ गया
यह आकाश से गिरा
पूर्वजों का आँसू है
जो कभी इसी मेंड़ पर
भूख से तड़प कर मरे हैं
इस मौसम में ओस नहीं
आंसू गिरता है!
4गोलेन्द्र पटेल
युवा किसान कवि, हिंदी कविता का गोल्डेनबॉय, काशी में हिंदी का हीरा एवं दिव्यांगसेवी
ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत
पिन कोड : 221009
नोट : उपर्युक्त सभी रचनाएँ स्वरचित हैं और मेरी हैं!