क्या आपने कभी पीले व गुलाबी टमाटरों (Yellow and Pink Tomatoes) का स्वाद चखा है? यदि नहीं तो आपके लिए खुशखबरी है. जी हां, आप पीले-गुलाबी टमाटर भारत की मार्किट में भी जल्द प्रवेश करने वाले हैं, वो भी बड़ी तादाद में. तो आइये जानते हैं की यह सब कैसे संभव होने वाला है.
रंग-रंग की सब्जियों को किया गया विकसित (Colorful vegetables were developed)
वानापर्थी जिले के मोजेरला कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर के जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग में एसोसिएट प्रोफेसर पिडिगाम सैदैया (Pidigam Saidiya, Associate Professor in Genetics and Plant Breeding, Mozzarla College of Horticulture, Wanaparthy District) ने वंशावली पद्धति का उपयोग करके गुलाबी टमाटर, पीले टमाटर, लाल ऐमारैंथ और यार्डलॉन्ग बीन्स की आशाजनक बीज किस्में विकसित की हैं.
इन्होंने इसको दो किस्मों की ब्रीडिंग करके विकसित किया है. बता दें कि बीजों को परीक्षण के लिए बागवानी उत्कृष्टता केंद्र जीदीमेटला भेजा गया है और जल्द ही बाजार में तेज़ी से आने की उम्मीद है.
क्या है गुलाबी और पीले टमाटर की खासियत (What is the specialty of pink and yellow tomatoes)
गुलाबी टमाटर (Pink Tomatoes) आमतौर पर थाईलैंड, मलेशिया और यूरोपीय देशों में उपयोग किया जाता है. इसको भारतीय परिस्थितियों के लिए विकसित किया गया है और यह पानी में घुलनशील एंथोसायनिन वर्णक (Soluble anthocyanin pigment) से भरपूर पाया जाता है.
साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) से भरपूर होता है और इसमें कैंसर रोधी गुण होते हैं. पीले टमाटर में लाल टमाटर जैसा लाइकोपीन (Lycopene) भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि टमाटर की इस किस्म की खेती 150-180 दिनों की अवधि में की जाती है और यह 55 दिनों से फल देना शुरू कर देता है. मार्किट में इसकी कीमत करीब 25-30 रुपये प्रति किलो है, जो मौजूदा समय में लाल टमाटर के भाव से बेहतर है.
यह स्वाद में अधिक अम्लीय (Acidic) होता है और व्यंजनों को गुलाबी रंग देता है. हालांकि, बागवानी करने वाले पी यादगिरी के अनुसार, इस किस्म की कमी यह है कि इस फल की बाहरी त्वचा बहुत पतली होती है.
नतीजन यह कहीं सप्लाई करने में या परिवहन के दौरान ही आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. इसकी शेल्फ लाइफ सिर्फ सात दिन है. पीले और गुलाबी टमाटर की किस्म प्यूरी, सांबर, चटनी के लिए एकदम सही है और यह टमाटर की आम किस्मों की तुलना में जल्दी पक जाती है.
सैदैया द्वारा विकसित पीले टमाटर की किस्म बीटा कैरोटीन (Beta carotene) में समृद्ध है, जो कि प्रो-विटामिन ए है और आंखों की रोशनी के लिए एक अच्छा स्रोत है. यह भोजन को सुनहरा रंग प्रदान करता है. सामान्य टमाटरों के विपरीत, यह किस्म पकाए जाने पर पालक की तरह स्वाद देता है, क्योंकि इसमें एस्कॉर्बिक एसिड की कमी होती है.
फलियों को भी दिया गया नया रूप (Beans were also given a new look)
खास तो यह है कि प्रोफेसर ने विभिन्न प्रकार के लाल ऐमारैंथ भी विकसित किए हैं, जो एक उच्च उपज देने वाली किस्म है और इसमें एंथोसायनिन वर्णक होता है.
साथ ही उन्होंने लोबिया जर्मप्लाज्म के एक प्रकार और विकसित यार्ड लंबी फलियों का भी उपयोग किया है, जो 30-35 सेमी तक लंबी हो सकती हैं. इस किस्म के किसानों के लिए लाभ यह है कि जहां फ्रेंच बीन्स केवल सर्दियों के दौरान कम तापमान पर उगाए जाते हैं, वहीं यार्ड-लंबी फलियों को पूरे वर्ष उगाया जा सकता है और इसमें उच्च प्रोटीन होता है.
लाल भिंडी (Red Lady Finger)
सैदैया लाल भिंडी की किस्म विकसित करने और गुलाबी टमाटर की गुणवत्ता बनाए रखने के तरीके खोजने पर भी काम कर रहे हैं. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के परिणामों के आधार पर, किस्मों को अनुसंधान निदेशक, श्री कोंडा लक्ष्मण तेलंगाना राज्य बागवानी विश्वविद्यालय को भेजा जाएगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सैदैया को पूर्व में 'स्टेट बेस्ट टीचर' और 'यंग साइंटिस्ट' का पुरस्कार मिल चुका है.