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Updated on: 8 May, 2020 11:32 AM IST

विश्व थैलीसीमिया दिवस हर साल 8 मई को मनाया जाता है. इस दिन थैलीसीमिया की बीमारी की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है, जिसमें हीमोग्लोबीन असामान्य रूप से बनने लगता है. थैलीसीमिया के मरीज के लिए सबसे महत्वपूर्ण इलाज ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट है. इसलिए इस विश्व थैलीसीमिया दिवस पर डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया भारत के नागरिकों से आग्रह कर रहा है कि वो ब्लड स्टेम सेल डोनर के रूप में रजिस्ट्रेशन कराएं एवं किसी के जीवनरक्षक बनें.

थैलीसीमिया एक अनुवांशिक विकृति है, जिसमें शरीर कम मात्रा में खून का उत्पादन करता है. भारत के वर्तमान संदर्भ में हर साल थैलीसीमिया के 10,000 नए मामले सामने आते हैं. जो माता पिता में आमतौर पर लक्षण विहीन होते हैं, वो इस बीमारी के कैरियर बनते हैं और उनसे बच्चों में ये बीमारी जाने की  संभावना 25 फीसदी होती है. डॉक्टर सुनील भट्ट, डायरेक्टर एवं क्लिनिकल लीड, पीडियाट्रिक हीमेटोलॉजी, ऑन्कोलॉजी एवं ब्लड एंड मैरो ट्रांसप्लांटेशन, नारायणा हैल्थ, बैंगलुरू ने कहा, ‘‘भारत में थैलीसीमिया के मामले देखते हुए इस बीमारी का भार बहुत ज्यादा है और इस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है. ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ट्रांसफ्यूज़न- फ्री स्थिति के लिए एकमात्र उपलब्ध इलाज है, जो थैलीसीमिया के मरीजों को सामान्य जीवन अवधि देता है. स्टेम सेल्स डोनर्स के खून से ली जाती हैं और उन्हें थैलीसीमिया मरीज के शरीर में तब ट्रांसप्लांट किया जाता है, जब उनका बोन मैरो नष्ट हो जाता है.

ट्रांसप्लांट की जरूरत वाले केवल 25 से 30 प्रतिशत मरीजों को ही उनके परिवार में पूर्ण एचएलए मैच वाला डोनर मिल पाता है, बाकी के लोगों को अनजान डोनर पर निर्भर होना पड़ता है. ऐसी स्थिति में डीकेएमएस-बीएमएसटी जैसी ब्लड स्टेम सेल रजिस्ट्री की भूमिका शुरू होती है, जो व्यस्क सेहतमंद अनजान डोनर का नामांकन करती हैं.’’ ब्लड स्टेम सेल रजिस्ट्री अनजान डोनर ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के नर्व सेंटर होते हैं, जो डोनर को परामर्श देते हैं, डोनर को एनरॉल करते हैं, उनका एचएलए टाईपिंग कराते हैं, डोनर की सर्च में मदद करते हैं एवं ब्लड स्टेम सेल कलेक्शन एवं ट्रांसप्लांट में मदद करते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि इन रजिस्ट्री को मजबूत किया जाए और अधिकतम डोनर नियुक्तियां की जाएं. डॉक्टर सुनील ने कहा, ‘‘आज थैलीसीमिया की रोकथाम के लिए एक प्रभावशाली देशव्यापी कार्यक्रम की जरूरत है क्योंकि इस बीमारी का आकार सामाजिक व आर्थिक रूप से बहुत बड़ा है.’’

इस साल के वर्ल्ड थैलीसीमिया दिवस की थीम ‘‘यूनिवर्सल एक्सेस टू क्वालिटी थैलीसीमिया हैल्थकेयर सर्विसेसः बिल्डिंग ब्रिजेस विद एंड फॉर पेशेंट्स’’ है. इस बारे में पैट्रिक पॉल, सीईओ, डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया ने कहा, ‘‘थैलीसीमिया मरीज ज्यादातर बच्चे होते हैं, जिन्हें अपने जीवन में कई सालों तक पीड़ादायक ब्लड ट्रांसफ्यूज़न कराना होता है. मरीजों के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की अपनी चुनौतियां व जोखिम हैं. सफल ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट संपूर्ण एचएलए टिश्यू मैच पर निर्भर है. भारतीय मूल के मरीजों व डोनर्स की अद्वितीय एचएलए विशेषताएं हैं, जो ग्लोबल डेटाबेस में बहुत ज्यादा अपर्याप्त हैं.

इस कारण से उचित डोनर तलाश पाना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है. भारतीय मरीजों को मुख्यतः एक इंडियन टिश्यू मैच चाहिए. इसलिए ब्लड स्टेम सेल डोनर के रूप में रजिस्टर कराने के लिए भारतीयों के बीच जागरुकता बढ़ाया जाना एवं उन्हें प्रोत्साहन दिया जाना जरूरी है.’’पैट्रिक ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी ने लोगों को घरों के अंदर बंद कर दिया है, जिसके कारण हम ब्लड स्टेम सेल डोनर रजिस्ट्रेशन अभियान नहीं चला पा रहे. इस कमी को पूरा करने और ब्लड कैंसर के खिलाफ हमारी लड़ाई को जारी रखने के लिए हम भारत के नागरिकों से आग्रह करते हैं कि वो हमारे द्वारा लॉन्च किए गए ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन लिंक के माध्यम से ब्लड स्टेम सेल डोनर के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराएं. ऐसा करके योजनाबद्ध ऑन-ग्राउंड रजिस्ट्रेशन ड्राईव डिजिटल रूप से आयोजित हो सकेगी और स्टेम सेल डोनर्स का डेटाबेस बढ़ेगा.’’

डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया दुनिया में सबसे बड़े इंटरनेशनल ब्लड स्टेम सेल डोनर सेंटर्स में से एक, डीकेएमएस का हिस्सा है. डीकेएमएस दुनिया में लगभग 85,000 लोगों को नया जीवन दे चुका है. वर्तमान में डीकेएमएस-बीएमएसटी के पास 42,000 से ज्यादा ब्लड स्टेम सेल डोनर्स हैं और यह 28 मरीजों को नया जीवन दे चुका है. आने वाले सालों में इस संख्या में काफी वृद्धि हो जाएगी, जिसका उद्देश्य हर जरूरतमंद मरीज को मैचिंग डोनर खोजने में मदद करना होगा. ब्लड स्टेम सेल डोनर के रूप में रजिस्टर करने के लिए, विजि़ट करें: www.dkms-bmst.org/register

English Summary: World Thalassemia Day 2020: A comprehensive nationwide program for prevention and treatment of Thalassemia is needed!
Published on: 08 May 2020, 11:36 AM IST

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