महाराष्ट्र में बागवानी करने वाले किसानों की समस्या थमने का नाम नहीं ले रही है. अमरावती जिले से दिल दुखाने वाली ख़बर सामने आ रही है. दरअसल महाराष्ट्र के पावनी, नंदगांव और खंडेश्वर गांवों के किसानों ने संतरे के बाग हटाने का फैसला किया है.
किसानों का कहना है कि अब तक हुई भारी बारिश से फलों की फसल को नुकसान हो रहा है. जिससे उत्पादन में गिरावट आ रही है. संतरे पूरी तरह खराब हो चुके हैं और पेड़ों से गिर रहे हैं.
जिससे किसानों ने कहा कि अब हम अपना खर्चा भी नहीं निकाल पाएंगे और लाखों का नुकसान हो रहा है. जिले के किसानों को कृषि विश्वविद्यालय से कोई मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है. ऐसे में अब किसान निराश हैं और उन्होंने संतरे के बाग हटाने का फैसला किया है.
राज्य में किसान फलों को प्रभावित करने वाले कीटों और रोगों से चिंतित हैं. बागवानी हो या सूखा, इस साल किसानों पर संकट का सिलसिला जारी है. इस साल राज्य के कई जिलों में फल उत्पादक किसान संकट में हैं, क्योंकि किसान इस बार अपनी लागत की वसूली नहीं कर पा रहे हैं. जिले के किसान फलों के उत्पादन में भारी गिरावट को देखते हुए बागों की कटाई पर ध्यान दे रहे हैं.
किसान की कहानी, उसकी ज़ुबानी
अमरावती के किसान संजय अवारे ने बताया कि हर साल कीटों और रोगों के कारण फलों को नुकसान होता है, लेकिन इस साल भारी बारिश और जलवायु परिवर्तन के कारण फंगल रोगों की घटनाओं में वृद्धि हुई है. जिससे संतरे का पूरा हिस्सा खराब हो गया है.
इस साल भी लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. आप बीती सुनाते किसान संजय अवारे की आंखों से आंसू छलक पड़ें. किसान ने बताया कि उसके पास 500 पेड़ों वाला 15 साल पुराना संतरे का बाग था. जिसे उन्होंने अब कम कर दिया है. संजय ने बताया कि सर्वे, पंचनामा और मुआवजे की मांग की गई थी. लेकिन प्रशासन इसकी अनदेखी कर रहा है.
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इस साल फलों के उत्पादन में होगी कमी
जिले के सभी बागों में फल लगने लगे हैं. लेकिन कीटों और बीमारियों के कारण फल सड़ रहे हैं और पेड़ों से नीचे गिर रहे हैं.
कीटों और रोगों के बढ़ते प्रकोप से पूरा बाग खराब होता जा रहा है, तो वही किसानों का आरोप है कि कृषि विवि की ओर से कोई गाइडेंस नहीं है. जिले में हर साल 5 लाख टन का उत्पादन होता है, लेकिन इस साल इसके आधा रहने की उम्मीद है.