भारत में गेहूं की अनेक किस्मों का उत्पादन होता है और सबकी अपनी विशेषताएं हैं लेकिन कुछ किस्में ऐसी हैं जिनकी पैदावार किसानों को बहुत फायदा पहुंचा सकती है. ऐसी ही एक किस्म है - 'पूजा तेजस' (PusaTejas)
इस रबी वर्ष की समाप्ति के साथ ही गेहूं की अधिकांश उपज मंडियों में बेच दी गई है.
इस बार गेहूं का उत्पादन आशानुकूल नहीं रहा. पूरे विश्व में खाद्यान्न संकट का असर भारत पर भी पड़ा और उस पर गर्मी की मार ने किसान भाइयों और आम उपभोक्ता दोनों को परेशान किया .
गेहूं का उत्पादन (Wheat production) सामान्य से कम रहने के कारण कई समस्याएं भी उत्पन्न हो गई. इन परिस्थितियों के बावजूद कुछ ऐसे किसान भी हैं जिन्होंने अपनी सूझबूझ से गेहूं की बंपर पैदावार की प्राप्ति की है.
मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में गेहूं की कटाई अपेक्षाकृत जल्दी शुरू होती है. यानि मार्च के प्रथम सप्ताह में जिसके कारण यहां पर मार्च मध्य से शुरू हुई गर्मी का असर ज्यादा नहीं पड़ा और इसीलिए मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के चिल्लोद पिपलिया गांव के किसान वल्लभ पाटीदार ने गेहूं की बंपर पैदावार प्राप्त करने में सफलता हासिल की.
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पाटीदार भी यह मानते हैं कि इस वर्ष गेहूं का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है हुआ है. जब उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उत्पादन कैसे प्राप्त किया तो उन्होंने बताया कि बताया कि वे पिछले 2 वर्षों से गेहूं की पूसा तेजस HI 8759 (PusaTejas HI 8759) किस्म की बुवाई कर रहे हैं. इस किस्म में गेहूं की उत्पादन क्षमता तथा प्रतिरोधक क्षमता गेहूं की अन्य किस्मों के मुकाबले काफी अच्छी है.
पाटीदार ने बताया कि इसीलिए उन्होंने इस वर्ष गेहूं की इस किस्म से 75 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की दर से पैदावार प्राप्त की है.
जब पाटीदार से यह पूछा गया कि उन्हें गेहूं की किस्म की जानकारी कहां से प्राप्त हुई तो उन्होंने बताया कि उन्हें यह जानकारी अपने जिले में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र मंदसौर से प्राप्त हुई थी. यहां तक कि गेहूं की किस्म के प्रमाणित बीज भी कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा ही उन्हें उपलब्ध कराए गए थे.