भारत सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से देश में गेहूं के स्टॉक में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है, लेकिन देखा जाए, तो गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद देश के किसानों की आय पर भी असर देखने को मिला है.
आपको बता दें कि इन सब के बीच देश में अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में एफसीआई के गोदामों में गेहूं का स्टॉक (wheat stock) लगभग 134 लाख टन से अधिक रहने की आशंका जताई जा रही है, जो कि 80 प्रतिशत तक मानदंड से अधिक है. इसी सिलसिले में हाल ही में राज्यसभा में मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि 1 जुलाई 2022 तक देश में गेहूं का केंद्रीय पूल स्टॉक खाद्यान्न भंडारण मानदंडों से कहीं ज्यादा अधिक हो सकता है.
इसके अलावा उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी है कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य सरकार की एजेंसियों में 275.80 लाख टन के स्टॉकिंग मानदंड के तहत देखा जाए, तो केंद्रीय पूल में लगभग 285.10 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष 2022-23 में गेहूं की खरीद लगभग 188 लाख टन तक हुई है.
अब तक 70 लाख टन गेहूं का निर्यात (So far 70 lakh tonnes of wheat has been exported)
गोयल का यह भी कहना है कि देश में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (Prime Minister Garib Kalyan Anna Yojana) और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की जरूरतों को पूरा करने के बाद भी अगले साल तक गेहूं का स्टॉक करीब 134 लाख टन तक होगा.
बता दें कि सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में लगभग 80 करोड़ परिवार को प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न वितरित किया जाता है. अप्रैल 2020 में शुरू की गई इस मुफ्त राशन योजना को इस साल के सितंबर तक और आगे बढ़ा दिया है.
देखा जाए, तो देश में आगे साल के लिए पीडीएस और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार मौजूद है. इसी क्रम में भारत ने इस साल 2021-22 में 70 लाख टन गेहूं का निर्यात भी कर चुकी है.
सरकार देश की खाद्य सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध (Government is committed to the food security of the country)
गोयल ने यह भी कहा है कि भारत सरकार (Indian government) पहले देश की खाद्य सुरक्षा की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और साथ ही पड़ोसी व अन्य कमजोर विकासशील देशों का भी समर्थन करती है, लेकिन सरकार ने 13 मई 2022 को गेहूं के निर्यात पर निलंबित लगा दिया था.
इसके बाद गेहूं की सभी किस्मों (all varieties of wheat) के निर्यात को मुक्त से निषिद्ध श्रेणी में परिवर्तित कर दिया गया. जिससे घरेलू बाजार में गेहूं की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाई जा सके.