Wheat stock: महंगाई की मार झेल रही आम जनता के लिए एक बुरी खबर है. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से परेशान जनता को एक और झटका लग सकता है. अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में अनाज की कीमतों में फिर बढ़ोतरी हो सकती है. दरअसल, सरकारी भंडार में गेहूं का स्टॉक 16 वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. जिसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. बाजार विशेषज्ञों की मानें तो अगर स्थिति ऐसी ही रही तो आम जनता पर महंगाई का बोझ और बढ़ सकता है.
निजी व्यापारियों ने बढ़ाई सरकार की चिंता
बिजनेसलाइन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार के भंडार में गेहूं का स्टॉक 1 अप्रैल को पिछले 16 वर्षों में सबसे कम हो गया है. यह अभी भी 74.6 लाख टन (एलटी) के बफर मानक से 42,000 टन ऊपर है. यहां बड़ी बात ये है की जहां सरकारी भंडार में स्टॉक की स्थिति बिगड़ी हुई है, वहीं सरकारी आदेश के बाद भी निजी व्यापारियों ने गेहूं की खरीद बढ़ा दी है. सरकार ने निजी व्यापारियों से सरकारी खरीद लक्ष्य पूरा होने तक बाजार से दूर रहने को कहा था. लेकिन, इसके बावजूद निजी व्यापारियों की खरीद जारी है. जिससे सरकार की चिंता बढ़ गई है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 1 अप्रैल को सेंट्रल पूल का स्टॉक 75.02 था. इससे पहले साल 2008 में सेंट्रल पूल स्टॉक का न्यूनतम स्तर 58.03 लाख टन पर पहुंच गया था. एक आटा मिल मालिक ने कहा, "हमें नहीं पता कि सरकार कितना खरीद पाएगी. न ही हम जानते हैं कि यह प्रोसेसरों को कितनी मात्रा की पेशकश करेगा. फिर साप्ताहिक निविदा में अधिकतम मात्रा का प्रतिबंध भी है. अगर हम अभी नहीं खरीदेंगे तो हम अपनी जरूरतें कैसे पूरी करेंगे."
केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल से शुरू होने वाले विपणन वर्ष में 372.9 लाख टन खरीद का लक्ष्य रखा है. अधिकारियों का कहना है कि "यथार्थवादी" खरीद 310 लाख टन से 320 लाख टन के बीच हो सकती है. कृषि मंत्रालय ने 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के लिए गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 1120.2 लीटर होने का अनुमान लगाया है.
मध्य प्रदेश में होगी 80 लाख टन गेहूं की खरीद
सूत्रों ने कहा कि खरीद 13 अप्रैल तक 27.2 लीटर टन तक पहुंच गई है, जो साल भर पहले के 25.5 लीटर से 7 प्रतिशत अधिक है. पिछले कुछ दिनों में बारिश के कारण मध्य प्रदेश में खरीद में बाधा आई है और परिणामस्वरूप, कुल खरीद अब 20.06 लाख टन से घटकर 17.73 लाख टन रह गई है. सरकार का लक्ष्य मध्य प्रदेश से 80 लाख टन गेहूं खरीदने का है.
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निजी व्यापारियों को अनाज बेच रहे किसान
इटारसी के एक कमीशन एजेंट ने कहा, "दक्षिण से मिल मालिकों की मांग पिछले साल की तरह सामान्य है और राज्य सरकार द्वारा एमएसपी ₹2,275/क्विंटल के ऊपर ₹125/क्विंटल का बोनस देने के बावजूद उन्हें ऑर्डर में कोई बड़ी गिरावट नहीं देखी गई है." उन्होंने कहा कि छोटे किसान जो तुरंत पैसा चाहते हैं, वे सरकारी खरीद का इंतजार करने के बजाय मंडियों में बेचना पसंद करते हैं, जहां टोकन प्रणाली है और उन्हें केवल आवंटित तिथि पर ही बेचना होता है.
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश में नीति को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है क्योंकि वहां लगातार यू-टर्न देखने को मिल रहा है. यूपी के बहराइच जिले के एक स्टॉकिस्ट ने कहा, "एक दिन वे (राज्य अधिकारी) मंडी के अधिकार क्षेत्र से बाहर गेहूं ले जाने के परमिट पर प्रतिबंध लगाते हैं, और 3 दिनों में वे उस आदेश को वापस ले लेते हैं. एक दिन मंडी निजी व्यापारी को प्रतिबंधित करती है, दूसरे दिन वह आदेश निरस्त हो जाता है. खाद्य विभाग निजी व्यापारियों को डराकर केंद्र का अनुसरण करना चाहती है."
वहीं एक दूसरे स्टॉकिस्ट ने कहा, "हम जानते हैं कि गेहूं बाज़ार में आएगा चाहे वह सरकार द्वारा भंडारित किया गया हो या किसानों द्वारा रखा गया हो. हम अनुचित घाटे में जाने के बजाय मंडियों में उस स्टॉक के आने तक इंतजार करेंगे. अगर हम खरीदते हैं, तो हमें डर है कि छापे पड़ेंगे. यदि नहीं, तो सरकार कम दरों पर बेचेगी. जिससे हमें घाटा होगा."