रबी सीजन की बात करें तो मुख्य फसल में आज भी सबसे ऊपर गेहूं का ही स्थान है. वहीं इस साल जो स्थिति पैदा हुई है उसको देखकर सभी हैरान है. पारम्परिक फसलों की खेती करने वाला भारत इस बार परम्पराओं को छोड़ अपना ध्यान दूसरी तरफ ले जाता नजर आ रहा है.
इस साल रबी सीजन में किसान तिलहनी फसलों की बुवाई पर जोर दे रहे हैं. भारत में ठंड के मौसम में सबसे अधिक गेहूं की खेती होती है, लेकिन इस बार किसान बदलाव कर रहे हैं. हालांकि तिलहन के मुकाबले गेहूं का रकबा अभी भी काफी अधिक है. लेकिन पिछले साल के मुकाबले गिरावट दर्ज हुई है.
देश में रबी फसलों की 82 प्रतिशत बुवाई पूरी हो चुकी है. आकड़ों के मुताबिक गेहूं के रकबे में पिछले साल के मुकाबले 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है. वहीं तिलहन का रकबा 16 लाख हेक्टेयर से अधिक बढ़ा है. तिलहन के रकबा में बढ़ोतरी के पीछे कृषि विशेषज्ञ सरकार की नीतियों और इस बार तिलहनी फसलों के लिए मजबूत भाव को कारण मान रहे हैं.
अच्छी रकम मिली तो किसान हुए उत्साहित
बीते एक साल में सरसों तेल की बढ़ती खपत और लगातार बढ़ती मांगों की वजह से कीमतों में काफी इजाफा देखने को मिला है. वहीं सरसों की कीमत में तेल से कम नहीं बढ़ी है. इस बार कुछ मंडियों में भाव 9500 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था. यह सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 4650 से दोगुने से भी अधिक है.
देश की अलग-अलग मंडियों में पूरे साल सरसों एमएसपी से काफी अधिक भाव पर बिका है. वहीं आगामी सत्र के लिए सरकार ने सरसों की एमएसपी में 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है. एमएसपी में बढ़ोतरी और सरकार की तिलहन समर्थित नीतियों की वजह से रकबे में बढ़ोतरी दर्ज हुई है.
तिलहन का रकबा पिछले साल के मुकाबले इस बाद बढ़ा
भारत में राजस्थान सरसों का प्रमुख उत्पादक राज्य है. यहां पर इस बार किसानों ने चना और गेहूं की बजाय सरसों की जमकर बुवाई की है. राजस्थान सरकार के लक्ष्य से अधिक राज्य में सरसों की बुवाई हो चुकी है.
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पिछले वर्ष के मुकाबले देश में तिलहन का रकबा 16.37 लाख हेक्टेयर अधिक है. बीते साल 10 दिसंबर तक देश में 72.13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहनी फसलों की बुवाई हुई थी. इस बार समान अवधि में 88.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है और अभी भी कई राज्यों में बुवाई का काम जारी है.
वहीं गेहूं की बात करें तो 10 दिसंबर तक देश में लगभग 248.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी बुवाई हुई है. पिछले साल इसी समय तक 254.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई का काम पूरा हो चुका था. आंकड़ों से स्पष्ट है कि इस बार अभी तक 6 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में कम बुवाई है.