AIF Scheme: किसानों के लिए वरदान है एग्री इंफ्रा फंड स्कीम, सालाना कर सकते हैं 6 लाख रुपये तक की बचत, जानें कैसे करें आवेदन स्टार 33 मक्का: कम निवेश में बंपर उत्पादन की गारंटी इस किस्म के दो किलो आम से ट्रैक्टर खरीद सकते हैं किसान, जानें नाम और विशेषताएं भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 23 April, 2022 3:27 PM IST
गेहूं कटाई बनी परेशानी

किसानों के लिए सरकार कई तरह की योजनाओं पर काम करती रहती है, जिससे किसानों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े. लेकिन फिर भी उन्हें अपनी फसल को लेकर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बता दें कि इस बार किसानों के लिए सबसे बड़ी परेशानी गेहूं की कटाई (wheat harvesting) है. बताया जा रहा है कि बाजार में गेहूं कटाई पर खर्च अधिक बढ़ गया है. जिससे किसान भाई गेहूं की कटाई के लिए दर-दर भटक रहे हैं.

क्यों बढ़ा गेहूं कटाई पर खर्च (Why the expenditure on harvesting wheat increased)

किसानों का कहना है कि गेहूं कटाई पर खर्च (cost of harvesting wheat) बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि फरवरी महीने के बाद से ही बारिश के नहीं होने से क्षेत्र में कनक का झाड़ घटने लगे हैं और साथ ही अधिक गर्मी पड़ने से दाने का आकार भी छोटा हो गया है. जैसे कि आप जानते हैं, बैसाखी के त्योहार के बाद से कनक पककर कटने के लिए तैयार हो जाती है, लेकिन इस बार किसानों में फसल को लेकर चिंता बनी हुई है. इस चिंता के पीछे कटाई के लिए लेबर व अन्य कई सुविधाएं ना मिलना है.

कनक फसल में किसानों की परेशानी (Farmers' trouble in Kanak crop)

इस विषय में दातारपुर किसानों का कहना है कि जब हमने प्रवासी श्रमिकों से फसल कटाई की बात की तो उन्होंने सबसे पहले समय नहीं होने के बारे में कहा और साथ ही मजदूरों ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ महीने तक बहुत बुकिंग हैं.

ये भी पढ़ेंः गेहूं की फसल से पाना चाहते हैं अधिक उत्पादन तो ये लेख पहले पढ़ लें...

किसानों के ज्यादा जोर देने पर श्रमिकों ने कहा की अगर कनक कटवानी है, तो आपको प्रति एकड़ 5 हजार रुपए के साथ दिन में तीन बार चाय और शाम के समय दारू की व्यवस्था करनी होगी. उनका कहना है कि अब स्थानीय लोग कटाई में रुचि नहीं रखते हैं. इस आधार पर किसानों का कहना है कि खेती अब मुनाफे का नहीं घाटे का धंधा बनती जा रही है.

प्रति एकड़ कनक की फसल (Kanak's crop) का खर्च आमदनी से कहीं ज्यादा है और साथ ही अगर किसान इसकी कटाई करवा भी लेते हैं, तो उन्हें मंडीकरण के लिए ट्रैक्टर भाड़ा, लोडिंग, लेबर की बिजाई-कटाई तथा गहाई के वक्त चायपान और दारू तक देना होगा और इसके अलावा लावारिस पशुओं द्वारा किए जाने वाले नुकसान का भी खतरा भी है. ऐसे में किसानों को कहना है कि सरकार के दावों और वादों से किसान भाइयों की आमदनी में वृद्धि कैसे होगी.

English Summary: Wheat harvesting became a problem for farmers
Published on: 23 April 2022, 03:32 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now