इस बीच गेहूं (Wheat) की खरीद और निर्यात पर मुद्दा गरमाया हुआ है. एक तरफ किसानों ने गेहूं को सरकारी मंडियों (Sarkari Mandi) में बेचना बंद कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर इसके निर्यात पर भी बैन लगाया जा चूका है. ऐसे में भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध (Wheat Ban) के कदम के बाद वैश्विक हंगामे के बीच, भारत के विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन (External Affairs Minister V. Muraleedharan) ने दुनिया को आश्वासन दिया है कि भारत उन देशों को भोजन उपलब्ध कराना जारी रखेगा जो इसके निर्यात पर निर्भर हैं.
उन्होंने "वैश्विक खाद्य सुरक्षा कॉल" (Global Food Safety Call) पर मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत की खाद्य निर्यात नीति की व्याख्या करते हुए कहा कि "मैं यह स्पष्ट कर दूं कि ये उपाय उन देशों को अनुमोदन के आधार पर निर्यात की अनुमति देते हैं जिन्हें अपनी खाद्य सुरक्षा मांगों को पूरा करने की आवश्यकता होती है".
मुरलीधरन ने कहा कि भारत सरकार ने गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक हुई बढ़ोतरी को स्वीकार किया है, जिसने हमारी खाद्य सुरक्षा और हमारे पड़ोसियों और अन्य कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है. जिसके चलते मुरलीधरन ने आगे कहा कि "खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी व विकासशील देशों (Developing Countries) की जरूरतों का समर्थन करने के लिए हमने 13 मई, 2022 को गेहूं के निर्यात के संबंध में कुछ उपायों की घोषणा की है".
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में खाद्य एवं उपभोक्ता (Food and Consumer) मामलों के सचिव सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) ने कहा कि पीडीएस प्रणाली देश के खाद्य सुरक्षा और सुरक्षा नेटवर्क की रीढ़ है. उन्होंने कहा कि पीडीएस लगभग 81.35 करोड़ लोगों को कवर करता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत बढ़ने के बावजूद यह देश में सुचारू रूप से चलेगा.
उन्होंने आगे कहा कि, भारत को छोड़कर अन्य सभी देश बाजार में करीब 450 से 480 डॉलर प्रति टन के हिसाब से गेहूं बेच रहे हैं.
बता दें कि इस साल भारत में गेहूं का शुरुआती स्टॉक (Wheat Stock 2022) 190 लाख टन था जो पिछले साल के शुरुआती शेष 273 लाख टन से कम है. इस पर पांडे जी ने बताया कि पिछले वर्ष गेहूं की खरीद 433 लाख टन हुई थी, जबकि इस वर्ष 444 लाख टन होने का अनुमान था लेकिन अभी तक वास्तविक खरीद लगभग 180 लाख टन है.
मुरलीधरन ने कहा, "हमने अपने पड़ोस और अफ्रीका सहित कई देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए हजारों मीट्रिक टन गेहूं, चावल, दाल और दाल के रूप में खाद्य सहायता प्रदान की है".
उन्होंने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान (Afghanistan) को 50,000 टन गेहूं दान किया है. इसके अलावा, म्यांमार (Myanmar) को 10,000 टन चावल और गेहूं भेजा है और श्रीलंका (Sri Lanka) की भी सहायता कर रहा है.